भारत विश्वभर में अपने हैंडलूम के बेहतरीन काम के लिए जाना जाता है। इसी को देखते हुए हैंडलूम सेक्टर को दुनिया भर में पहचान दिलाने और सशक्त बनाने के लिए हर वर्ष 7 अगस्त को नेशनल हैंडलूम डे मनाया जाता है।
नौंवे नेशनल हैंडलूम डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंडपम, प्रगति मैदान, दिल्ली में भाग लिया। इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष’ का ई-पोर्टल भी लॉन्च किया। जोकि कपड़ा और शिल्प का एक भंडार होता है जिसे नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) द्वारा विकसित किया गया है।
वहीं, पीएम मोदी ने ट्वीट कर ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल के अनुरूप स्वदेशी वस्त्रों और हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए देश की प्रतिबद्धता को मजबूत करने में इस अवसर के महत्व को रेखांकित किया।
हैंडलूम डे के मौके पर दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित कार्यक्रम में कपड़ा और MSME sector के 3,000 से अधिक हैंडलूम और खादी वीवर्स, आर्टिसन्स और स्टेकहोल्डर्स ने भाग लिया। यह पूरे भारत के हैंडलूम समूहों जैसे निफ्ट कैंपस, विवर सर्विस सेंटर, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ हैंडलूम टेक्नोलॉजी कैंपस, नेशनल हैंडलूम डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, हैंडलूम एक्सपोर्ट प्रोमोशन कॉउन्सिल, केवीआईसी इंस्टिट्यूट और राज्य के कई हैंडलूम डिपार्टमेंट्स को एक साथ लाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा से देश की कलात्मकता और शिल्प कौशल की समृद्ध परंपरा को जीवित रखने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन देने के दृढ़ समर्थक रहे हैं। इस दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, सरकार ने नेशनल हैंडलूम डे मनाना शुरू किया, इस तरह का पहला उत्सव 7 अगस्त, 2015 को आयोजित किया गया था। इस तारीख को विशेष रूप से स्वदेशी आंदोलन के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में चुना गया था जो 7 अगस्त, 1905 को शुरू किया गया था और स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित किया गया था और विशेषकर हथकरघा बुनकरों में।
आज हैंडलूम को पहनावे से लेकर घर की सजावट तक में ख़ास तौर से शामिल किया जाने लगा है। जिससे इन इंडस्ट्री में रोजगार बढ़ा है और स्थिति में भी सुधार आया है। हैंडलूम बड़ी मात्रा में लोगों को रोजगार देने के आलावा महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित हुआ है और करीब 72.29 % महिलाओं को हैंडलूम सेक्टर में रोजगार मिला है।
वहीं, भारत में ऐसे कई राज्य हैं जो खासतौर से अपने बेहतरीन हैंडलूम के लिए जाने जाते हैं। जैसे, तमिलनाडु का कांजीवरम, आंध्र प्रदेश की कलमकारी, गुजरात की बांधनी, महाराष्ट्र की पैठनी, बिहार का भागलपुरी सिल्क ये वो हैंडलूम है जो केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में इनकी पहचान है।
यहाँ तक की दुबई में 280 डॉक्टरों के एक समूह को “डॉक्टर्स इन साड़ीज़” के नाम से जाना जाता है। जो विश्व भर में हैंडलूम को लेकर जागरूकता दे रहा है।
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