बीते कल शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी माँ हीरा बा का अन्तिम संस्कार करने के कुछ ही घंटे बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोलकाता में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हुए रवाना किया।
दु:ख की इस घड़ी में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस प्रतिबद्धता ने एक बार फिर पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में पश्चिम बंगाल की जनता से माफी भी माँगी क्योंकि वे कोलकाता नहीं पहुँच पाए थे।
पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उन्हें पश्चिम बंगाल आना था लेकिन व्यक्तिगत कारणों से वे नहीं आ पाए। इसके लिए वे माफी माँगते हैं।
ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के मुखिया होने के नाते ही अपनी यह जिम्मेदारी निभाई। बल्कि, इससे पहले भी जब वे एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते थे, तब भी ठीक इसी तरह की परिस्थिति उनके सामने थी, बावजूद उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से मुँह नहीं मोड़ा।
आज से तकरीबन 33 साल पहले साल 1989 में नरेन्द्र मोदी के पिता का देहावसान हुआ था। उस समय भी अपने पिता के अन्तिम संस्कार के कुछ ही घंटे बाद वे एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए थे।
समाचार एजेन्सी एएनआई ने विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव दिलीप त्रिवेदी के हवाले से बताया है कि 1989 में नरेन्द्र मोदी एक महत्वूपर्ण बैठक के लिए अहमदाबाद में थे। इस दौरान सूचना मिली कि उनके पिता का निधन हो गया है।
पिता के निधन की सूचना मिलते ही नरेन्द्र मोदी वडनगर के लिए रवाना हो गए। दिलीप त्रिवेदी बताते हैं कि उन्हें लगा था कि अब नरेन्द्र मोदी बैठक के लिए नहीं आएँगे लेकिन वे अन्तिम संस्कार के तुरन्त बाद दोपहर तक बैठक में शामिल होने के लिए वापस अहमदाबाद आ गए।
विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव बताते हैं कि बैठक में यह दृश्य देखकर सभी लोग हैरान रह गए।
दिलीप त्रिवेदी बताते हैं कि इस विकट परिस्थिति में भी बैठक में शामिल होने को लेकर नरेन्द्र मोदी से पूछा तो उनका जवाब था कि यह पार्टी के प्रति उनकी जिम्मेदारी है। वे आगे कहते हैं कि यह कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रेरणादायक क्षण था।
30 दिसम्बर, 2022 को माँ के निधन के बाद एक बार फिर ठीक साल 1989 वाली परिस्थिति देखने को मिली। जब पीएम मोदी ने दुःख की घड़ी में भी अपना कर्त्तव्य नहीं भूला। प्रधानमंत्री के तौर पर देश के प्रति नरेन्द्र मोदी का यह समर्पण प्रेरणादायक ही है।