20 नवंबर को उत्तर-प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। मतदान से पहले Samajwadi Party ने चुनाव आयोग को एक चिठ्ठी लिखकर कहा है कि वोटिंग के दौरान मुस्लिम महिलाओं का बुर्का हटाकर चेकिंग न की जाए।
अखिलेश यादव की पार्टी का कहना है कि मुस्लिम महिलाएं समाजवादी पार्टी की वोटर हैं। बुर्का हटाकर चेकिंग करने से वे डर जाती हैं और बिना वोट किए लौट जाती हैं।
सवाल उठ रहे हैं कि अखिलेश यादव संविधान विरोधी क्यों हैं? संविधान के अनुसार चुनाव आयोग काम करता है और चुनाव आयोग के नियम कहते हैं कि वोटर आईडी कार्ड से प्रत्येक मतदाता की पहचान करने के बाद ही उसे वोट डालने दिया जाए, लेकिन अखिलेश कह रहे हैं कि मुस्लिम महिलाओं की पहचान किए बिना ही उन्हें वोट डालने दिया जाए। सवाल है क्यों?
क्या अखिलेश यादव बुर्का की आड़ में फ़र्जी वोटिंग करवाना चाहते हैं? क्या अखिलेश यादव बुर्का के बहाने जो अनियमितिताएं वोटिंग में होती हैं, उन्हें बनाए रखना चाहते हैं?
लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी से ऐसे कितने ही वीडियो, कितनी ही ख़बरें आईं जब हमने देखा कि वोटर-आईडी कार्ड किसी और का था और बुर्का पहनकर वोट डालने कोई और महिला आई थी।
उत्तर-प्रदेश के 2023 के स्थानीय निकाय चुनाव में भी ऐसी कई घटनाएं हमारे सामने आईं जब बुर्का पहनकर फ़र्जी वोटिंग की गई। संभल में निकाय चुनाव के दौरान चार महिलाओं को पकड़ा गया, ये महिलाएं बुर्का पहनकर फ़र्जी वोटिंग कर रही थी। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी इसी तरह से बुर्का पहनकर फर्जी वोटिंग करने का प्रयास किया गया।
और पढ़ें: JMM पर कांग्रेस का असर? बिरसा मुंडा चौक के विरोध में उतरी हेमंत सोरेन की पार्टी
इससे एक बात स्पष्ट है कि लंबे समय से चुनावों में बुर्का पहनकर फ़र्जी वोटिंग करवाई और की जाती रही है। ऐसे में क्या लोकतंत्र के लिए ये आवश्यक नहीं है कि बुर्का पहने हुए प्रत्येक वोटर की सघन चेकिंग हो? बिल्कुल आवश्यक है।
लोकतंत्र में एक-एक वोट महत्वपूर्ण होता है और अगर कोई राजनीतिक दल किसी मज़हबी कुप्रथा का लाभ उठाकर चुनावों को प्रभावित करना चाहता है तो निश्चित तौर पर उस दल के ऊपर चुनाव आयोग को कार्रवाई करनी चाहिए।
एक बात और समझिए, चुनाव आयोग से बुर्का वाली महिलाओं की चेकिंग ना करने की चिठ्ठी लिखकर Samajwadi Party ने दोतरफा खेल खेला है।
पहला ये कि अगर चुनाव आयोग उनकी प्रार्थना स्वीकार कर लेता है तो बुर्के में जो फ़र्जी वोटिंग होती है वो ना सिर्फ चलती रहेगी बल्कि उसे बढ़ावा भी मिलेगा। अखिलेश यादव ने दूसरा अपना पुराना तुष्टीकरण का खेल खेला है। चुनाव आयोग अगर उनकी बात स्वीकार नहीं करता है तब भी चिठ्ठी के बहाने वे तुष्टीकरण तो कर पाएंगे।
मुस्लिमों के बीच, विशेष तौर पर मुस्लिम महिलाओं के बीच ये संदेश भेजा जाएगा कि आपका बुर्का उठाकर चेकिंग ना हो इसके लिए अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी लड़ रही हैं।
ऐसे में निश्चित तौर पर चुनाव आयोग को Samajwadi Party से जवाब मांगना चाहिए कि वोटिंग से बिल्कुल पहले वे इस तरह से फर्जी मतदान को बढ़ावा देने का प्रयास क्यों कर रहे हैं?