आज वाराणसी की विशेष अदालत ने वर्ष 1991 में हुए अवधेश राय हत्याकांड मामले में जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही धीरे-धीरे ही सही लेकिन माफिया मुख्तार अंसारी के अवैध साम्राज्य का पतन आरंभ हो गया है।
वैसे तो उत्तरप्रदेश में माफिया राज के खात्मे की शुरुआत वर्ष 2017 से हो गयी थी जब योगी आदित्यनाथ पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव और हाल ही में हुए निकाय चुनावों में योगी आदित्यनाथ को मिले प्रचंड बहुमत ने माफिया राज खत्म करने की शैली पर मुहर लगा दी थी।
आप कह सकते हैं कि मुख्तार अंसारी पर आया कोर्ट का यह फैसला न्यायपालिका का फैसला है, लेकिन एक तथ्य यह है कि इन मुकदमों का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार इनको लेकर कितनी गंभीर और सक्रिय रहती है? पूर्व में भी मुख्तार अंसारी पर 50 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे लेकिन स्थिति में कुछ ख़ास परिवर्तन नहीं आया था ।
इसके विपरीत मुख्तार को समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी सहित कांग्रेस पार्टी का सरक्षण प्राप्त था। अंसारी को संरक्षण देने की अपनी धुन में कांग्रेस पार्टी यह भी भूल गई कि मारे गये अवधेश राय कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय के भाई थे। योगी सरकार से अंसारी को बचाने के लिए कांग्रेस ने ही उसे पंजाब में शरण दे रखी थी। केवल शरण ही नहीं बल्कि वीवीआईपी ट्रीटमेंट भी। वीआईपी ट्रीटमेंट के अलावा अंसारी को उत्तर प्रदेश सरकार को न सौंपने की अपनी कोशिश में पंजाब की कांग्रेस सरकार ने वकील दुष्यंत दवे को सर्वोच्च न्यायालय में उतारा था और उन्हें केवल फ़ीस के रूप में 55 लाख रूपये का खर्च वहन किया था।
अंसारी को उत्तर प्रदेश की विशेष अदालत से कुल अढ़तालीस नोटिस सर्व हुए थे और प्रोडक्शन वारंट पर लेने के लिए यूपी सरकार ने 26 बार कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।
प्रश्न यह है कि अपनी पार्टी के कार्यकर्ता के हत्यारे से कांग्रेस को इतना प्रेम क्यों था? और हत्या भी इतनी निर्मम कि सरेआम सड़क पर गोलीबारी से छलनी कर दिया।
पर शायद कांग्रेस की राजनीति में सब जायज़ है। सिख दंगों के आरोपितों के साथ भी कांग्रेस का यही व्यवहार था। एक ओर पार्टी के कुछ लोग सिख दंगों में न्याय की बात कहते और दूसरी ओर बंद कमरों में पार्टी की बैठकों में सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को शामिल किया जाता रहा।
यह सब इसलिए क्योंकि वोट बैंक महत्वपूर्ण है। शायद कांग्रेस का मानना था कि उत्तर प्रदेश में अजय राय से ज्यादा वोट मुख्तार अंसारी दिलवा सकते हैं। या शायद इसलिए कि अंसारी उस परिवार से आते हैं जिसके लोग पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे।
कांग्रेस का मुख्तार पर ऐसा भरोसा इसलिए था क्योंकि वह वर्ष 1996 से वर्ष 2017 तक लगातार विधायक के पद पर जीत हासिल करता रहा। लंबे आपराधिक रिकॉर्ड के बाद भी अंसारी को जनता द्वारा चुने जाने पर कोर्ट ने भी कहा था, “ये लोकतंत्र का सबसे भयावह चेहरा है, क्या यह सच में लोकप्रिय है या व्यर्थ के मानकों से उसे फायदा पहुँचाया गया है?”
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