आजादी के अमृतकाल का वर्ष यानी साल 2022, भारतीय महिलाओं के बेहद खास रहा है। बात राजनीति के क्षेत्र की हो या फिर खेल, अकादमिक, कृषि या अन्य क्षेत्र की, महिलाओं ने हर क्षेत्र में भारत का नाम रौशन किया है। बात करते हैं 20 ऐसी भारतीय महिलाओं की, जिनके नाम साल 2022 में उपलब्धियाँ हासिल हैं।
1. कैप्टन हरप्रीत चंडी
बिना किसी मदद के हरप्रीत, जो कि एक ब्रिटिश आर्मी मेडिकल ऑफिसर और एक फ़िजियोथेरपिस्ट भी हैं, साउथ पोल पहुँच गई। 0 से 50 डिग्री सेल्सियस नीचे का तापमान और करीब 90 km प्रति घंटे के हिसाब से चल रही हवा के थपेड़ो का सामना करते हुए हरप्रीत ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। ‘पोलर प्रीत’ के नाम से लोकप्रिय हरप्रीत ने इसकी घोषणा अपनी लाइव ब्लॉग के सफर के 40वें दिन के अंत में की, अपने पूरे सफर में उन्होंने 700 मील (1,127 km) की यात्रा की।
2. बलजीत कौर
21 मई, 2022 को बलजीत ने लम्बे स्ट्रगल के बाद दुनिया की सबसे ऊँची चोटी एवेरेटस्ट को चढ़ने का कारनामा किया। बलजीत कौर 17 मई को रात्रि 10 बजे अपने दल के साथ एवेरेस्ट पहुंची थी और पांच दिन में उन्होंने छोटी चढ़ने में सफलता हासिल की। 22 मई को ठीक 4:30 बजे वो एवेरेस्ट चढ़ गई थीं।
पर्वतारोही बलजीत कौर जिला सोलन के कुनिहार के छोटे से गाँव ममलीग से सम्बन्ध रखती हैं। वह भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने 7161 ऊँची पुमोरी चोटी फतह करने का गौरव हासिल किया। पुमोरी माउंट एवेरेस्ट के पश्चिम में आठ किलोमीटर दूर है। बलजीत स्कूल टाइम से ही एनसीसी में शामिल हो गई थीं।
3. इशानी सिंह जामवाल
7200 मीटर तक माउंट चो ओयू पीक चढ़ी कुल्लू की बेटी, यह कारनामा करने वाली दुनिया की पहली महिला हैं। माउंट चो ओयू पीक नेपाल और चीन के मध्य स्थित है। इशानी इस पर्वत के सबसे चुनौतीपूर्ण दक्षिण की ओर से दुनिया की छठी सबसे ऊंची एवं कठिन चोटी पर 7200 मीटर की ऊँचाई तक पहुँच गईं। दक्षिण की अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचने वाली वह पहली भारतीय महिला बन गई हैं।
4. अन्विथा रेड्डी पदमती
अन्विथा रेड्डी पदमती, भारत की पहली महिला जिन्होंने नेपाल में माउंट सुमनलू के ‘ट्रू समिट’ को फतह किया। वर्तमान में ‘द ट्रू समिट’ की ऊंचाई 8,163 मीटर थी जबकि पिछले साल इसकी ऊंचाई 8,116 रखी गई थी। अन्विथा इससे पहले माउन्ट एवरेस्ट भी फतह कर चुकी हैं।
5. मेघा परमार
मेघा परमार एवेरेस्ट फतह करने के साथ स्कूबा डाइविंग करने वाली विश्व की पहली महिला बन गई हैं।
हाल ही में मेघा ने 147 फ़ीट की टेक्निकल स्कूबा डाइविंग कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है। मेघा अब विश्व की पहली महिला बन गई हैं, जिन्होंने माउंट एवेरेस्ट को फतह किया और साथ साथ टेक्निकल स्कूबा डाइविंग में समुद्र के अंदर 45 मीटर की गहराई तक डाइव की है।
मेघा परमार विश्व की पहली महिला है, जिन्होंने 4 महाद्वीप के शिखरों को फतह किया है। वे मध्य प्रदेश शासन के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एम्बेसडर भी हैं।
6. रेनू सिंघी
जयपुर की साइकिलिस्ट रेनू सीघी; ‘आयरन लेडी’ के नाम से पहचानी जाने वाली 57 साल की रेनू सिंघी में लन्दन -एडिनबर्ग- लंदन 2022’ इवेंट में 1500 किलोमीटर की दूरी 124 घण्टे 32 मिनट में पूरी कर रिकॉर्ड कायम कर दिया है। यह करने वाली रेनू देश की एकमात्र सायकिलिस्ट हैं।
लंदन-एडिनबर्ग-लंदन दुनिया के सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण सेल्फ सपोर्टेड सायकिल राइडर्स में से एक है। इसमें 14,300 मीटर का एलिवेशन गेन करना होता है। ये ऊंचाई माउन्ट एवेरेस्ट से भी अधिक है।
Heart-Breaking Good Bye To 2022, Remembering Those, Whom We Lost
इस सफर में इंग्लैंड से शुरुआत कर स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग होते हुए पूरे यूनाइटेड किंगडम में 1550 किलोमीटर सायकिलिंग कर वापस लंदन पहुंचना था, राइड के लिए 28 घण्टे की समय सीमा तय थी, जिसे रेनू सिंघी ने 124 घंटे और 32 मिनट में ही पूरा कर दिया।
7. श्वेता चौहान
64 सालों में पहली बार सेंट्रल दिल्ली की पहली महिला DCP बनी हैं। इनका नाम है श्वेता चौहान।
64 साल में पहली बार दिल्ली के इस जिले को महिला डीसीपी मिली। दिल्ली का मध्य जिला संवेदनशील क्षेत्र में आता है।
8. नैंसी कतनोरिया
नैंसी कतनोरिया ने हिमाचल प्रदेश की पहली एम्बुलेंस ड्राइवर बनकर दिखाया। 102 एम्बुलेंस की चालक बनकर नैंसी अन्य युवतियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हैं।
9. लक्ष्मी जाधव
भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई की बेस्ट बस, जो कि मुंबई की लाइफलाइन है, मुलुंड की रहने वाली 41 वर्षीय लक्ष्मी जाधव बेस्ट बसेज़ को चलाने वाली पहली महिला हैं। साल 1926 में इन बसेज़ की स्थापना की गई थी और तब से लेकर अब तक बीते 96 सालों में बेस्ट के पास कोई महिला ड्राइवर नहीं थी।
10. सरिता देवी
बिहार के टेटिया बंबर प्रखंड क्षेत्र के मुहराटन गांव के मांझी टोला की रहने वाली सरिता देवी (29 वर्ष) ई-रिक्शा चलाकर छह लोगों के अपने परिवार का खर्च उठाती है। वो जिले की पहली महिला ई-रिक्शा चालक है। सरिता देवी का पति शंकर मांझी बेरोजगार है।
सरिता ने लोन पर ई-रिक्शा खरीद कर खुद काम करने की ठानी। वो अपनी हिम्मत और हौसले से महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी है। सरिता देवी ने बताया कि वो जीविका के ग्राम संगठन से जुड़ी है। वो पहले से उसमें 10 रुपया प्रतिदिन जमा करती थी। इस संगठन के प्रति काफी जागरूक और सजग रहती थी
11. अंतिम पंघल
खेल के 34 साल के इतिहास में, हरियाणा के एक 17 वर्षीय पहलवान अंतिम पंघल ने स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बनकर एक रिकॉर्ड बनाया।
अंतिम ने टूर्नामेंट में तकनीकी रूप से ओलिविया एंड्रीच को पछाड़कर महिलाओं की 53 kg प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान हासिल किया, उन्होंने यूरोपीय चैंपियन को हराया।
12. हरमनप्रीत कौर
हरमनप्रीत कौर क्रिकेट में वीरेंदर सहवाग से प्रभावित हैं। आईसीसी ने सितंबर 2022 महीने के लिए ‘प्लेयर ऑफ द मंथ’ अवॉर्ड की घोषणा कर दी है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर को महिलाओं में यह सम्मान दिया गया है। वह आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गई हैं।
इंग्लैंड के खिलाफ निराशाजनक टी20 सीरीज के बाद हरमनप्रीत ने वनडे सीरीज में वापसी की। तीन वनडे मैचों में उन्होंने 221 की औसत से 221 रन बनाए और टॉप स्कोरर रहीं। हरमन ने पहले मैच में नाबाद 74 रन और दूसरे मैच में नाबाद 143 रन बनाए। इसकी बदौलत भारत ने 1999 के बाद इंग्लैंड में पहली वनडे सीरीज अपने नाम की।
13. तरुणा अर्धेंदुमौली प्रसाद
उत्तर प्रदेश के देवरिया की बेटी तरुणा अर्धेंदुमौली प्रसाद सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर राज्य के मामलों की पैरवी करेंगी। तरुणा जम्मू कश्मीर राज्य की पहली महिला चीफ स्टैंडिंग काउंसिल नियुक्त हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट तरुणा ने देश के सबसे चर्चित मामलों में से एक अयोध्या मामले की सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी पैरवी की है। भारत की सबसे पुरानी ला फर्म में पार्टनर भी हैं।
तरुणा ने गरीब और लाचार महिलाओं के अनेक मामलों में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक निःशुल्क पैरवी की है। इनके द्वारा देश के कई ट्रिब्यूनल जैसे एनजीटी, आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल, विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण, नेशनल कंपनी ट्रिब्यूनल में पीड़ितों की पैरवी की गई है।
14 . प्राची राठौर और रूथ जॉन पॉल
तेलंगाना की दो ट्रांसजेंडर्स ने अपने निजी जीवन में चुनौतियों का सामना करते हुए मेडिकल की पढ़ाई पूरी की और राज्य में सरकारी सेवा में शामिल होने वाली पहले ट्रांसजेंडर डॉक्टर बनकर इतिहास रच दिया है। दोनों ट्रांसजेंडर डॉक्टर का नाम प्राची राठौर और रूथ जॉन पॉल है, उन्होंने हाल ही में सरकारी उस्मानिआ जनरल हॉस्पिटल में चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला है।
प्राची राठौर ने आदिलाबाद के एक मेडिकल कॉलेज से 2015 में एमबीबीएस पूरा किया था। प्राचीर राठौर पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए दिल्ली गई थे, लेकिन प्रतिकूल माहौल के कारण उन्हें हैदराबाद वापस लौटना पड़ा था। हालांकि प्राचीर राठौर ने यहां एक अस्पताल में काम करते हुए इमरजेंसी मेडिसिन में डिप्लोमा किया था।
15 . द्रौपदी मुर्मू
पहली जनजातीय महिला और अब तक सबसे कम उम्र की राष्टपति। राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को 64% और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 36% वोट मिले। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद पर आसीन होने वाली पहली जनजातीय महिला हैं।
64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू देश की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति हैं। वह भारत की पहली राष्ट्रपति होंगी जिनका जन्म भारत की स्वतंत्रता के बाद हुआ है।
16 . शनन ढाका
शनन ढाका सिर्फ 19 साल की हैं और साल 2022 NDA के पहले महिला बैच के एंट्रेंस एग्जाम की टॉपर का चयन लेफ़्टिनेंट पद के लिए हुआ है। उनकी यह उपलब्धि कई लड़कों और लड़कियों के लिए एक उदहारण है। शनन ढाका एक सैनिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
17 . मेहरुनिस्सा शौकत अली
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की रहने वाली 35 वर्ष की महिला मेहरुनिस्सा शौकत अली को भारत की पहली फीमेल बाउंसर कहा जा रहा है। यह एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें अब तक पुरुषों की ही भूमिका रहा करती थी।
दिल्ली के हौज़ खास विलेज के पॉपुलर रेस्टोरेंट सोशल में काम करने वाली मेहरुनिस्सा बार में होने वाले झगड़े को खत्म करने और गैरकानूनी ड्रग को अनकवर करने के साथ ही फीमेल कस्टमर की सुरक्षा पर खास ध्यान देती हैं।
एक बार दिल्ली इंडियन आइडल के ऑडिशन के लिए वह दिल्ली आई थीं और तभी उन्होंने पहली बार बाउंसर को देखा। उन्हें इस काम ने प्रभावित किया और आज वह एक लेडी बाउंसर हैं।
18 . अंजुम आरा
राजस्थान में पहली बार मुस्लिम महिला बनीं संस्कृत की प्रोफेसर।
राजस्थान की अंजुम आरा ने RPSC परीक्षा देकर संस्कृत विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर की सूची में 21वां स्थान हासिल किया है। संस्कृत में पीएचडी कर चेचट की छात्रा अंजुम आरा राजस्थान की पहली मुस्लिम प्रोफेसर बन गई हैं।
उदयपुर के संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अंजुम आरा सीनियर डीआई हैं। राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय की पूर्व छात्रा अंजुम बताती हैं कि परिवार की तीनों बहनें संस्कृत की छात्रा हैं। सीनियर सेकेंडरी तक अंजुम ने संस्कृत की पढ़ाई वैकल्पिक विषय के रूप में की थी।
अंजुम ने कहा कि चेचट में कई मुस्लिम लडकियां अब संस्कृत में भविष्य तलाश रही हैं।अंजुम ने बताया कि वह तीन बहनें हैं। दोनों संस्कृत में आचार्य (पीजी) हैं।
19. माधबी पुरी बुच – SEBI की पहली महिला अध्यक्ष
माधबी पुरी बुच को अजय त्यागी की जगह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वह सेबी की पहली महिला प्रमुख हैं और नियामक निकाय की अध्यक्षता करने वाली पहली गैर-आईएएस भी हैं।
उन्हें वित्तीय बाजारों में तीन दशकों से अधिक का अनुभव है और वह 5 अप्रैल, 2017 और 4 अक्टूबर, 2021 के बीच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य (WTM) थी।
माधबी पुरी बुच अपने करियर की शुरुआत 1989 में आईसीआईसीआई बैंक से की, जहां उन्होंने आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में जाने से पहले कॉरपोरेट फाइनेंस, ब्रांडिंग, ट्रेजरी और लोन में काम किया। वह ब्रिक्स राष्ट्रों द्वारा स्थापित न्यू डेवलपमेंट बैंक की सलाहकार भी थीं।
20. पीटी उषा
महान एथलीट पीटी उषा भारतीय को कौन नहीं जानता। पीटी उषा ओलम्पिक संघ IOA की पहली महिला अध्यक्ष हैं। कई एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता 58 साल की उषा 1984 के ओलंपिक 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में चौथे स्थान पर रहीं थी।
खेल के अपने सुनहरे दिनों की टॉप धाविका उषा को IOA के एथलीट आयोग द्वारा उत्कृष्ट खिलाड़ी (SOM) के तौर पर आठ में एक सदस्य में रूप में भी चुना गया है, जिससे वह निर्वाचक मंडल की सदस्य बनीं। पीटी उषा IOA के 95 साल के इतिहास में इसका नेतृत्व करने वाली पहली ओलंपियन और पहली अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता भी हैं।
पीटी उषा देश की सबसे सफल एथलीट में से एक हैं और भारतीय महिलाओं के लिए सदैव ही प्रेरणा का स्रोत रही हैं।