क़तर में जारी फ़ुटबॉल विश्वकप में जीत के बाद मोरक्को व फ्रांस के प्रशंसक पेरिस में सड़कों पर जश्न मनाते देखे गए। प्रशंसकों की रैली के दौरान दोनों टीम के समर्थक आपस में भिड़ पड़े। यह घटना विश्वकप में शनिवार को हुए मैचों के बाद हुई है।
शनिवार, 10 अक्टूबर को हुए क्वाटर फाइनल मैच में फ्रांस ने इंग्लैंड को हराकर सेमीफ़ाइनल में अपनी जगह बनाई वहीं क्वाटर फाइनल के दूसरे मैच में मोरक्को की टीम पुर्तगाल को हराकर सेमीफइनल में पहुंच गई।
सेमीफाइनल में मोरक्को और फ्रांस एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरेंगे लेकिन इससे पहले ही फ्रांस में दोनों टीमों के समर्थक भिड़ गए।इस बवाल में शामिल थे फ्रांस में रहने वाले मोरक्को मूल के प्रवासी! पेरिस की सड़कों पर लोग सामान इधर-उधर फेंकने लगे तो वहीं कुछ लोगों ने आगज़नी को अंजाम दिया।
भीड़ को क़ाबू करने के लिए पुलिस ने आँसू गैस के गोले दागे और भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया।इस प्रदर्शन में शामिल कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है।
सोशल मीडिया पर काफ़ी सारे वीडियो सामने आए हैं जिनमें फ्रांस की राजधानी में तनाव देखा जा सकता है। पुलिस अधिकारी अपना बचाव करते देखे जा सकते हैं।
वीडियो: कतर में समलैंगिकों के समर्थक अमेरिकी पत्रकार की मृत्यु
पेरिस से सामने आ रही वीडियो में मोरक्को के फुटबॉल प्रशंसकों को पुलिस पर कांच की बोतलें फेंकते हुए देखा जा सकता है। पुलिस अधिकारी इस भीड़ से अपना बचाव करते देखे जा रहे हैं।
ज्ञात हो कि पुर्तगाल के खिलाफ टीम की 1-0 की जीत के बाद मोरक्को फीफा विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाला पहला अफ्रीकी देश बन गया है और इसके बाद से ही विश्व के कई देशों में मोरक्को प्रवासियों ने बवाल शुरू कर दिया गया।
क़तर वर्ल्डकप 2022 शुरू से ही विवादों में ही घिरा है। उद्घाटन समारोह में इस्लामी कट्टरपंथियों को शामिल करने से लेकर और मैच के दौरान खिलाड़ियों द्वारा मजहबी प्रक्रियाओं के पालन करने तक यह वर्ल्डकप पूरी तरह से मजहबी छाया में घिर गया।
मोरक्को की इस जीत को सोशल मीडिया पर कई इस्लामी चरमपंथी इस्लाम से जोड़ने का प्रयास करते भी देखे जा सकते हैं।
खेल में मजहब से जुड़े विवाद की यह कोई नई घटना नहीं है।
अक्टूबर माह में इंग्लैंड के लेस्टर शहर में भारत पाकिस्तान क्रिकेट मैच के बाद बड़े स्तर पर दंगे भड़क गए थे। हिंदू और मुस्लिम समूहों के बीच झड़प हो गई थी और हिंदू मंदिर को नुकसान पहुंचाया गया था।
ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने लेस्टर में हुए इन दंगों के लिए देश में अनियंत्रित प्रवास और नए लोगों के बीच मेलजोल की कमी को जिम्मेदार ठहराया था।