फीफा विश्वकप के सेमीफाइनल मुकाबले में फ्रांस के हाथों मोरक्को की हार के बाद मोरक्को और फ्रांस के समर्थकों के बीच फ़्रांस के शहर मोंटपिलर में हिंसा भड़क उठी। इससे पहले मोरक्को की पुर्तगाल के ऊपर जीत और अन्य मैचों के बाद भी हिंसा की घटनाएँ हुई थीं।
15 दिसम्बर की मध्यरात्रि को क़तर में खेले गए हाई वोल्टेज सेमीफाइनल मुकाबले में फ्रांस ने प्रतिद्वंदी मोरक्को को 2-0 से पटखनी दी। थिओ हेर्नान्देस और कोलो मुआनी के द्वारा दागे गए दो गोल की मदद से फ्रांस ने मोरक्को को हराकर फाइनल में जगह बना ली। फाइनल में उनकी भिड़ंत अर्जेंटीना से होगी।
यह पहला ऐसा मौका नहीं है जब मोरक्को के समर्थकों पर हिंसा करने का आरोप हो। इससे पहले भी पुर्तगाल के खिलाफ मोरक्को की जीत के बाद कई जगह हिंसक झड़पें हुई थीं। इसे इस्लाम की जीत बताया गया था। एक कट्टरपंथी खालिद बेदून ने यहाँ तक लिखा कि यदि पुर्तगाल के खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो गोट (गॉड ऑफ आल टाइम्स) हैं तो मोरक्को कसाई है।
ताजा घटना फ्रांस के दक्षिणी हिस्से में स्थित शहर मोंटेपिलर की है। जहाँ पर फ्रांस के समर्थक अपनी टीम की जीत के बाद जश्न मनाने उतरे। इस के बाद फ्रांस के समर्थकों का सामना मोरक्को के अप्रवासी समर्थकों से हुआ। दोनों पक्षों ने जमकर ज्वलनशील आतिशबाजी एक-दूसरे पर फेंकीं और हिंसा भड़काई।
इस हिंसा के बीच एक 14 साल के किशोर की कार से कुचल कर मृत्यु हो जाने की खबर भी स्थानीय मीडिया ने चलाई है। स्थानीय अख़बार मिडी लिबरे मोंटेपिलर ने कई ट्वीट में दर्शाया कि दोनों पक्षों के बीच जम कर हिंसा हुई।
इस मुकाबले के खेले जाने से पहले ही दोनों टीमों के समर्थक आमने-सामने आ गये थे। फ्रांस की राजधानी पेरिस में दोनों टीमों के समर्थकों के बीच हुई झड़प में मोरक्कन अप्रवासी और शरणार्थी शामिल थे।
वहीं फ्रांस के समर्थक अपने देश के सेमीफाइनल में पहुँचने का जश्न मना रहे थे। टकराव के दौरान सामन फेंके जाने और आगजनी की घटना भी हुई। इसके पश्चात पुलिस को स्थिति नियन्त्रण में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े थे।