मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में चल रहे यौन शोषण के मामले में माकपा (CPIM) विधायक एम मुकेश पर भी आरोप लगे हैं। मगर केरल में सत्तारूढ़ LDF संयोजक ईपी जयराजन ने बलात्कार के मामले में आरोपी सीपीएम विधायक एम मुकेश का समर्थन करते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न के मामले में आरोपी दो कांग्रेस विधायकों को पहले इस्तीफा दे देना चाहिए, उसके बाद मलयालम अभिनेता का इस्तीफा मांगा जाना चाहिए। माकपा नेता मुकेश के खिलाफ IPC की धारा 376 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। जिसके बाद से उनके इस्तीफे की मांग उठ रही है।
यहाँ वह कांग्रेस विधायक एम वी एम विंसेंट और एल्डोज कुन्नापिल्ली का जिक्र कर रहे थे। अगर उन्होंने इस्तीफा दे दिया होता, तो तीसरे विधायक (मुकेश) को भी इस्तीफा देना पड़ता। कानून सभी विधायकों पर समान रूप से लागू होता है। मुकेश का इस्तीफा मांग कर आप बाकी दो को बचा रहे हैं।
LDF संयोजक ईपी जयराजन ने यह भी कहा कि न तो CPIM और न ही वामपंथी सरकार विभिन्न अभिनेताओं और निर्देशकों के खिलाफ आरोपों पर दर्ज किसी भी मामले में किसी भी गलत काम करने वालों की रक्षा करेंगी।
जयराजन द्वारा यह बयान तब दिया गया जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि मुकेश इस्तीफा देंगे या नहीं। जब उनसे कहा गया कि एनी राजा समेत कुछ सीपीआई नेताओं ने मुकेश का इस्तीफा मांगा है, तो जयराजन ने कहा कि “कोई भी कुछ भी मांग सकता है।”
विधायक पद से इस्तीफे की मांग के बीच अभिनेता एवं राजनेता एम मुकेश ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से संपर्क किया और अपने खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के बारे में स्पष्टीकरण दिया है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन को दिए अपने स्पष्टीकरण में मुकेश ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया और आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता ने उसे ब्लैकमेल किया। इस्तीफे देने के बजाय उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि वह उनके खिलाफ अभिनेत्री की साजिश को साबित करने के लिए व्हाट्सएप चैट सहित सबूत प्रस्तुत करेंगे।
बताया जा रहा है कि यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाने के बाद मुकेश किसी अज्ञात ठिकाने पर चले गए। हालांकि पुलिस ने तिरुवनंतपुरम में उनके आवास पर सुरक्षा कड़ी कर दी, लेकिन अभिनेता का न तो राजधानी शहर में और न ही उनके गृह नगर, कोल्लम में कहीं पता चल पाया है।
आपको बता दें, मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन शोषण को लेकर जिन जिन अभिनेताओं के नाम सामने आए थे उनमें से कई अभिनेताओं जैसे अभिनेता मोहनलाल, अभिनेता सिद्दीकी, निदेशक रंजीत ने अपने पद से तुरंत ही इस्तीफा दे दिया था मगर CPIM विधायक एम मुकेश ने अभी तक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया।
तो वहीं मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में चल रहे यौन शोषण के मुद्दे पर द पैम्फलेट ने पहले भी जानकारी दी थी कि कैसे फ़िल्म अभिनेत्रियों के साथ बढ़ती यौन शोषण की घटनाएँ। फिल्मों में काम के बदले Sexual Favours माँगा जा रहा है, Casting Couch, Harassment जैसे मामले सामने आ रहे हैं। जिसको लेकर Me Too अभियान ने भी ज़ोर पकड़ लिया है ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपने साथ हए अत्याचार को लेकर सामने आ रही है और यह सब तब शुरू हुआ जब हेमा कमीशन की रिपोर्ट सामने आई थी।
रिपोर्ट की शुरुआत में ही लिखा गया है कि “ये चकाचौंध से भरी दुनिया है, दूर से सब सही लगता है लेकिन अंदर से पूरी घिनौनी है। जो आप देखते हैं उस पर भरोसा ना करें क्योंकि दूर से नमक भी चीनी जैसा लगता है। इंडस्ट्री में सबसे बड़ी समस्या जो एक्ट्रेस फेस करती हैं वो सेक्शुअल हैरेसमेंट है और इसी पर बात करने से हिचकिचाते भी हैं।”
हेमा कमीशन की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म जगत के कई बड़े खुलासे किए हैं जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है।
आपको बता दें, हेमा कमीशन का गठन 2017 में एक मलयालम एक्ट्रेस के अपहरण और चलती कार में सेक्सुअल हैरेसमेंट के बाद किया गया था जिसका उदेश्य मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न की जांच करना है।
इस बार जैसे ही हेमा कमीशन ने रिपोर्ट सार्वजनिक की वैसे ही राज्य सरकार को मामले पर कार्रवाई करनी चाहिए थी। इस मामले को लेकर जिस तरह से अभी तक राज्य सरकार का रुख रहा है उससे राज्य सरकार को लगातार इस मामले को गंभीरता से लेने की मांग की जा रही है और केरल कांग्रेस द्वारा आरोप लगाए जा रहे हैं कि राज्य की वाम सरकार मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने वालों को बचाने की कोशिश कर रही है और इसलिए न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट पर जांच की पहल नहीं कर रही।
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