आपत्तिजनक बयानबाजी के मामले में कॉन्ग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। अब रांची की एमपी/ एमएलए कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की व्यक्तिगत पेशी से छूट की याचिका को खारिज कर दिया है।
वहीं इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय ने मानहानि के मामले में अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की राहुल गांधी की याचिका पर मंगलवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस हेमंत प्रच्छक छुट्टी के बाद इस फैसले पर विचार करेंगे। कोर्ट ने राहुल गांधी को किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है।
ज्ञात हो कि राहुल गांधी द्वारा 25 अप्रैल को सूरत सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था। गुजरात हाईकोर्ट द्वारा आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। 29 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की ओर से पेश अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने रिकॉर्ड पर कुछ दस्तावेज पेश करने के लिए समय मांगा था जिस पर अदालत ने सुनवाई 2 मई तक के लिए स्थगित कर दी थी।
सूरत की सत्र अदालत द्वारा भी 20 अप्रैल को राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया गया था जिसमें वर्ष, 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अपने फैसले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रॉबिन पी मोगेरा ने एक सांसद और देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के पूर्व प्रमुख के रूप में गांधी के कद का हवाला देते हुए कहा था कि उन्हें अपने बयानों को लेकर अधिक सावधान रहना चाहिए।
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निचली अदालतों के सबूतों और टिप्पणियों का जिक्र करते हुए जज ने कहा कि राहुल गांधी ने चोरों के साथ एक ही उपनाम वाले लोगों की तुलना करने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कुछ अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। जस्टिस मोगेरा ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता का उपनाम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी भी मोदी हैं। शिकायतकर्ता पूर्व मंत्री भी हैं और सार्वजनिक जीवन में शामिल हैं। ऐसे में इस तरह की मानहानिकारक टिप्पणियों से निश्चित रूप से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा होगा और उन्हें समाज का हिस्सा होने के नाते पीड़ा हुई होगी।
मोगेरा ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अयोग्यता मानदंड का हवाला देते हुए कहा कि सांसद के रूप में निष्कासन या अयोग्यता को गांधी को अपरिवर्तनीय या अपूरणीय क्षति या क्षति नहीं कहा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि मोदी उपनाम जाति के प्रति असम्मानजनक भाषा के प्रयोग के कारण निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी को लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। वे केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए थे। बता दें कि यह मामला अप्रैल, 2019 का है जब कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि “कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?”
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निचली अदालत द्वारा पूर्णेश मोदी द्वारा दायर मामले में कॉन्ग्रेस नेता को 23 मार्च को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत 2 वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी। सत्र न्यायालय के फैसले पर कॉन्ग्रेस का कहना है कि अब वह गुजरात उच्च न्यायालय का रुख करेगी।