विश्व के कई समृद्ध देश ऊर्जा समस्या से जूझ रहे हैं। यूरोप के विकसित देश, जो पहले कभी अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था और रिकॉर्ड ऊर्जा उत्पादन का दंभ भरते थे आज बिजली के बढ़े बिल से परेशान हैं।
जहाँ दुनिया के कई देश ऊर्जा समस्या से ग्रस्त हैं तो वहीं दूसरी तरफ भारत अब पूरा ध्यान कोयला उत्पादन पर दे रहा है, ताकि देश आत्मनिर्भर हो सके।
कोयला उत्पादन
भारत सरकार ने वर्ष 2024-25 तक कोयला उत्पादन, 1.23 अरब टन तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, “कोयला मंत्रालय देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वित्त वर्ष 2024-25 तक (सीआईएल और गैर-सीआईएल कोयला ब्लॉकों सहित) 1.23 बिलियन टन कोयला उत्पादन बढ़ाने की प्रक्रिया में है।
नार्थ करनपुरा कोलफील्ड
सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड के अंतर्गत, नार्थ करनपुरा कोलफील्ड झारखंड का एक महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र है और इसमें तक़रीबन 19 अरब टन कोयला मौजूद है।
वित्त वर्ष 2025 तक सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड का अनुमानित कोयला उत्पादन 135 मिलियन टन रहेगा। इसमें से 85 मिलियन टन उत्पादन अकेला नार्थ करनपुर कोलफील्ड से होगा।
कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड कोयला निकासी के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है।
बुनियादी ढाँचे में सुधार
कोयला मंत्रालय ने अपने बयान में बताया, “कोल इंडिया लिमिटेड ने एक अरब टन उत्पादन और अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए कोयले के निर्बाध परिवहन के लिए निकासी और बुनियादी ढांचे को मजबूत करके एक एकीकृत योजना दृष्टिकोण अपनाया है।”
रेल नेटवर्क मजबूत करने से कोयला की आवाजाही और मजबूत होगी।
वर्तमान में, नार्थ करनपुरा कोयला क्षेत्र से कोयले की निकासी पूर्व मध्य रेलवे की बरकाकाना-डाल्टनगंज शाखा रेलवे लाइन द्वारा कवर की जाती है।
तोरी-शिवपुरी से एक अलग डबल रेल लाइन का भी निर्माण हुआ है, वहीं इसी मार्ग पर ₹894 करोड़ की लागत वाली तीसरी रेल लाइन का काम भी निर्माणधीन है। शिवपुर-कठौटिया से एक नई रेल लाइन की परिकल्पना की गई है जिसका निर्माण परियोजना विशिष्ट एसपीवी के गठन के माध्यम से किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री-गति शक्ति पहल के तहत बन रही यह रेल लाइन लगभग 125 मीट्रिक टन कोयला निकासी की क्षमता प्रदान करेगी।
साथ ही रेल से निकासी बढ़ने से सड़क मार्ग निकासी समाप्त करने में मदद मिलेगी।
कोयला आयात
पिछले महीने ही संसदीय स्थायी समिति ने अपनी ऊर्जा पर अपनी रिपोर्ट में कोयला आयात कम करने का सुझाव दिया था।
अपनी 26वीं रिपोर्ट में, पैनल ने कहा था, “दोनों मंत्रालयों द्वारा किए गए प्रयासों से वित्त वर्ष 2011 में ब्लेंडिंग के लिए कोयले के आयात में 56% की गिरावट दर्ज़ हुई।” पैनल की अध्यक्षता संसद सदस्य राजीव रंजन सिंह ने की थी।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में 45.5 मिलियन टन कोयला आयात किया जो पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में 69.2 मिलियन टन था।
आत्मनिर्भर भारत
ये सारे प्रयास प्रधानमंत्री के श्रेष्ठ भारत बनाने के आह्वान पर आधारित है। कोविड-19 के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद से ही कई केंद्रीय मंत्रालयों ने स्कीम और प्लान तैयार किए जो आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर आधारित थे।
कोविड महामारी के दौरान पीपीई किट निर्माण सेक्टर में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज़ हुई, जो आत्मनिर्भर भारत का एक शानदार उदाहरण है।
मोदी सरकार ऊर्जा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रयासरत है। यह लक्ष्य अगर प्राप्त हो गया, तो आनेवाले वर्षों में भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता बेहद कम हो जाएगी।