प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में बुधवार (7 जून, 2023) को हुई केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 की फसलों के लिए नए समर्थन मूल्यों की घोषणा कर दी गई है। कैबिनेट का यह फैसला देश में किसानों की आय बढ़ाने और सभी फसलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
केंद्र सरकार ने खरीफ की मुख्य फसल धान के समर्थन मूल्य में लगभग 7% की बढ़ोतरी पिछली कीमतों की तुलना में की है। धान का समर्थन मूल्य खरीफ के 2022-23 सीजन में ₹2040/क्विंटल था जिसे बढ़ा कर अब ₹2,183/क्विंटल कर दिया गया है। केंद्र सरकार का अनुमान है कि इस सीजन में धान की लागत ₹1,455/क्विंटल रहने वाली है, ऐसे में ₹2,183 रुपए का समर्थन मूल्य किसानों को उनकी लागत का 1.5 गुना मूल्य दिलाने में सहायता करेगा।
धान के अतिरिक्त, ज्वार के समर्थन मूल्य को ₹2,970 रुपए से ₹210 रुपए बढ़ाकर ₹3,180 क्विंटल कर दिया गया है। इसी तरह बाजरे को ₹2,350 से ₹2,500 और मक्के की फसल को ₹1,962 से बढ़ा कर ₹2,090 कर दिया है। केंद्र सरकार ने मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रागी जैसी फसलों की कीमतों में भी बढ़ोतरी की है। रागी का मूल्य ₹3,578/क्विंटल रुपए से बढ़ा कर ₹3,846/क्विंटल कर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त सरकार ने दलहनों एवं तिलहनों के समर्थन मूल्य में भी वृद्धि की है। अरहर के समर्थन के मूल्य को ₹6,600/क्विंटल से ₹7,000/क्विंटल कर दिया गया है जबकि सोयाबीन के समर्थन में मूल्य में ₹300 की वृद्धि करके इसे ₹4,600/क्विंटल कर दिया गया है।
इस वर्ष केंद्र सरकार का अनुमान है कि खरीफ सीजन में खाद्यान्नों का उत्पादन 330 मिलियन टन रहेगा। यह वर्ष 2018-19 के दौरान 285 मिलियन टन रहा था।
खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि के विषय में मीडिया से बात करते हुए केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “पिछले चार वर्षों में देश में 450 लाख टन की खाद्यान्न के उत्पादन में वृद्धि हुई है। शायद ही किसी देश में इतनी वृद्धि हुई होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह वृद्धि कोरोना महामारी, यूक्रेन-रूस युद्ध और उर्वरक की कमियों के बीच हुई है। माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा और किसानों, दोनो की चिंता की गई है।”
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सरकार का समर्थन मूल्यों के आधार पर कहना है कि लागत के मुकाबले होने वाले लाभ को देखा जाए तो यह बाजरा (82%), तुअर(58%), सोयाबीन(52%) और उड़द (51%) में सर्वाधिक है। पिछले खरीफ सीजन में देश में लगभग 316 मिलियन टन खाद्यान्न की उपज हुई थी।
वर्तमान खरीफ सीजन के ऊपर अनिश्चित मानसून का खतरा मंडरा रहा है, मौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि देश में इस बार मानसून सामन्य रहेगा और 4 जून को केरल के तट से देश में आएगा। हालांकि, मानसून में देरी देखी जा रही है और इसके अब 9 जून से पहले आने के अनुमान हैं। निजी मौसम अनुमान एजेंसियों ने बारिश में कमी का भी अनुमान लगाया था। इस बार अल नीनो का खतरा भी मंडरा रहा है।
हालांकि, इस बार रबी के सीजन में की गई गेंहू की सरकारी खरीद अच्छी रही है। विपणन एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अनुसार, वह अब तक 260 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेंहू की खरीद पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेशा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से कर चुका है। यह पिछले वर्ष से अधिक है। खरीद प्रारम्भ होने से पहले अनुमान लगाया गया था कि देश में इस बार खरीद कमजोर रह सकती है क्योंकि बेमौसम बारिश ने गेंहू को नुकसान पहुँचाया है।
खरीफ सीजन के लिए भी सरकारी अनुमानों के अनुसार ही देश में उत्पादन होने के आसार हैं यदि मानसून सामान्य रहता है। इस बीच सरकार ने किसानों को सही मूल्य पर खाद और बीज उपलब्ध कराने के लिए भी बड़ी धनराशि आवंटित की है।
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