हाल ही में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में इंदिरा गाँधी के शासन में मिजोरम में बमबारी की घटना का जिक्र छेड़ा गया तो इसके बाद घटना की परतें खुलती चली गईं। मीडिया के हवाले से इस बमबारी से जुड़े कॉन्ग्रेस के दो नेताओं का नाम सामने आया। पहला नाम है सुरेश कलमाड़ी का और दूसरा नाम है राजेश पायलट का। इन नामों के चर्चा में आने से अब इस बहस में कॉन्ग्रेस नेता सचिन पायलट भी कूद चुके हैं।
लोग इस बात की तह में जाना चाह रहे हैं कि आखिर मिजोरम वाली घटना में इन दो कॉन्ग्रेसी नेताओं की भूमिका का खुलासा सर्वप्रथम किसने किया था। बताया जा रहा है कि कॉन्ग्रेस के दो नेताओं के नाम इस घटना में सर्वप्रथम साल 2011 में सामने रखे गए थे।
प्रधानमंत्री ने संसद में क्या कहा
20 जुलाई को संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ जिसमें विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मिजोरम की एक घटना का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि “5 मार्च, 1966 को कांग्रेस ने मिजोरम में असहाय नागरिकों पर वायुसेना के माध्यम से हमला करवाया था। वहाँ गंभीर विवाद हुआ था। कांग्रेस वाले जवाब दें कि क्या वो किसी दूसरे देश की वायुसेना थी? क्या मिजोरम के लोग अपने देश के नागरिक नहीं थे? उनकी सुरक्षा भारत सरकार की जिम्मेदारी थी या नहीं थी? निर्दोष नागरिकों पर हमला करवाया गया। आज भी 5 मार्च को पूरा मिजोरम शोक मनाता है। कभी इन्होंने मरहम लगाने की कोशिश नहीं की। कांग्रेस ने इस सच को देश से छिपाया है।”
प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य के बाद भारतीय जनता पार्टी मिजोरम बॉम्बिंग के मुद्दे पर कांग्रेस पर हमलावर हो गई।
मिजोरम में क्या हुआ था?
19 जनवरी, 1966 को इंदिरा गांधी पहली बार देश की प्रधानमंत्री बनी थीं। मिजोरम में अलगाववाद चरम पर था और सरकार इससे निपट नहीं पा रही थी। 5 मार्च को इंडियन एयरफोर्स के लड़ाकू विमान मिजोरम के प्रमुख शहर ऐजवाल (आइजॉल) पर मंडरा रहे थे। अचानक उन विमानों से मशीनगन की गोलियां बरसने लगीं, पूरे शहर में अफरा-तफरी मच गई। अगले दिन वे विमान फिर आकाश में दिखे, लोगों में दहशत फैल गई। वे कुछ करते, उससे पहले ही एयरफोर्स के विमानों से बम बरसने लगे। कइ लोगों की मौत हो गई। आजादी के बाद का यह पहला और आखिरी मामला है, जब भारतीय वायुसेना ने अपने ही देश के नागरिकों पर बमबारी की। घटना का उल्लेख विष्णु शर्मा ने ‘इंदिरा फाइल्स’ नामक किताब में किया है।
क्या है विवाद
अब घटना के बारे में देश में चर्चा शुरू हुई तो एक नया पहलू सामने आया। मीडिया की रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ कि बम गिराने वाले भारतीय वायुसेना के पायलटों में सुरेश कलमाड़ी और राजेश पायलट थे जो बाद में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और सांसद भी रहे। इस खबर को कई मुख्यधारा के समाचार पत्रों में जगह दी गयी। इन्हीं में से एक है प्रतिष्ठित समाचार पत्र दैनिक भास्कर।
कॉन्ग्रेस पार्टी से जुड़े इन दोनों बड़े नामों के चर्चा में आते ही इस घटना को टीवी चैनल ABP न्यूज़ ने भी प्रमुखता से जगह दी और इस पर एक विशेष शो प्रसारित किया गया। इस शो की एक क्लिप भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय द्वारा अपने ट्विटर अकाउंट से भी शेयर की गई।
अब अमित मालवीय के इस ट्वीट पर राजेश पायलट के पुत्र और राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने आपत्ति जताई है।
सचिन पायलट ने ट्वीट करते हुए लिखा- “एयरफोर्स पायलट के तौर पर मेरे स्वर्गीय पिता ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान में बमबारी की थी। 1966 में मिजोरम में नहीं। स्व. राजेश पायलट जी 29 अक्टूबर, 1966 को भारतीय वायुसेना में कमीशन हुए थे। यह कहना कि उन्होंने 5 मार्च 1966 में मिजोरम में बमबारी की थी, काल्पनिक, तथ्यहीन और पूर्णत: भ्रामक है। हां, 80 के दशक में एक राजनेता के रूप में मिजोरम में युद्ध विराम करवाने और स्थायी शांति संधि स्थापित करवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका जरूर निभाई थी”
‘द प्रिंट’ वाले शेखर गुप्ता साल 2011 में कर चुके हैं ये खुलासा
अब मामला आरोप-प्रत्यारोप का हो चला है तो प्रश्न यही उठ रहा है कि सच क्या है और झूठ क्या? ऐसे में हमें वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता का ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित एक लेख मिला। ये वही लेख है, जिसमें वर्ष 2011 में शेखर गुप्ता इस बात का खुलासा कर चुके थे कि इस बॉम्बिंग में सुरेश कलमाड़ी और राजेश पायलट शामिल थे।
उनके इस लेख के आधार पर वर्ष 2015 में तथाकथित न्यूज़ पोर्टल ‘न्यूज़लांड्री’ भी एक लेख प्रकाशित करता है और यही बात दोहराता है कि बम गिराने वाले विमानों में दोनों कांग्रेस नेता शामिल थे।
वहीं वर्ष 2011 में ही जयदीप मजूमदार भी ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में ‘मिजोरम में गद्दाफी’ शीर्षक नामक लेख में बताते हैं कि कलमाड़ी और पायलट इसमें शामिल थे। वे यह बात डेंगनुना नामक अधिकारी के हवाले से कहते हैं जो उस समय आइजोल में सरकार के सूचना और जनसंपर्क अधिकारी थे।
अब महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह जानकारी वर्षों से पब्लिक डोमेन में उपलब्ध थी। हालाँकि कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को तब इस तथ्य से परेशानी नहीं हुई लेकिन ये तथ्य आज जनता तक पहुंच रहा है तो अब विपक्ष इसे खतरे के तौर पर देख रहा है।
हालाँकि, कुछ वर्षों बाद ‘द प्रिंट’ के संपादक शेखर गुप्ता को एहसास हुआ होगा कि उनके इस लेख से कॉन्ग्रेस उनसे नाराज है इसलिए वे वर्ष 2016 में अपने नए लेख ‘ क्या इंदिरा गाँधी का अपने ही लोगों के खिलाफ वायुसेना के हमले का फैसला सही था??’ (Was Indira Gandhi right to use air power against her own countrymen?) में इंदिरा गाँधी को पूरी तरह से क्लीन चिट दे देते हैं।
प्रश्न यही है कि क्या कांग्रेस पार्टी या सचिन पायलट शेखर गुप्ता पर कार्रवाई कर पाएंगे? इसका उत्तर तो कांग्रेसी ही दे सकते हैं पर इस प्रश्न का उत्तर इस बात में भी छिपा है कि अपने पसंदीदा पत्रकार पर कार्रवाई करना चुनावी वर्ष में कॉन्ग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है। शेखर गुप्ता कम से कम इस बात का कुछ स्पष्टीकरण अवश्य दे सकते हैं कि आखिर उन्हें ये ख़ुफ़िया जानकारी किसने और कब दी थी?