शुक्रवार (3 मार्च, 2023) को केन्द्रीय बजट के बाद हुए वेबिनार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जहाँ पहले काशी विश्वनाथ मंदिर प्रत्येक वर्ष 70-80 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते थे, वहीं काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद अब यह संख्या लगभग 10 गुनी होकर 7 करोड़ पहुँच गई है।
प्रधानमंत्री ने भारत में टूरिज्म क्षेत्र के विषय में कई बातें कहीं। प्रधानमंत्री ने कहा, “कुछ लोग सोचते हैं कि टूरिज्म ऊंची आय वालों का एक फैंसी शब्द है, लेकिन भारत के सम्बन्ध में इसका अलग सामाजिक और आर्थिक महत्व है।”
प्रधानमंत्री ने टूरिज्म क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अलग तरह की सोच को बढ़ावा देने और दूरदर्शिता के साथ सोचने की बात की। प्रधानमंत्री ने भारत में यात्रों के संदर्भ में बताते हुए कहा, “सदियों से हमारे यहां यात्राएं होती रही हैं। ये हमारे सांस्कृतिक-सामाजिक जीवन का हिस्सा रहा है। और वो भी जब संसाधन नहीं थे।”
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उन्होंने आगे कहा, “यातायात की व्यवस्था ही नहीं थी, बहुत कठिनाई होती थी। तब भी कष्ट उठाकर लोग यात्राओं पर निकल पड़ते थे। चारधाम यात्रा हो, द्वादश ज्योर्लिंग की यात्रा हो, 51 शक्तिपीठ की यात्रा हो, ऐसी कितनी ही यात्राएं हमारे आस्था के स्थलों को जोड़ती थीं।”
प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ के अतिरिक्त केदारनाथ धाम का भी उदारहण दिया, उन्होंने कहा कि जब तक केदारघाटी का विकास नहीं हुआ था तब तक सालाना मात्र 4-5 लाख श्रृद्धालु वहां दर्शन के लिए आते थे। पिछले वर्ष वहां 15 लाख से अधिक श्रृद्धालु दर्शन करके गए हैं।
विदेशी टूरिस्टों को भी आकर्षित करने को लेकर योजना बनाने और डेस्टिनेशन वेडिंग पर राज्यों द्वारा पैकेज बनाने को लेकर भी प्रधानमंत्री ने बात की। उन्होंने कहा कि लोग दूसरी संस्कृतियों से विवाह करने के इच्छुक हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण प्रधानमंत्री मोदी ने दिसम्बर 2021 में किया था। इससे पहले इस क्षेत्र में रास्ते संकरे थे और यात्रियों के लिए सुविधाओं की कमी थी, कॉरिडोर के बनने के बाद से यात्री सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है।
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कॉरिडोर के खुलने के बाद से एक वर्ष के भीतर ही यहाँ 7.35 करोड़ लोग आ चुके हैं और मंदिर को 100 करोड़ से अधिक के दान भी प्राप्त हुए हैं। प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ के बाद उज्जैन महाकाल कॉरिडोर का भी लोकार्पण कुछ दिनों पहले किया था।
उत्तर प्रदेश के कई तीर्थस्थलों में अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर ही अन्य जगह विकास किया जा रहा है।