भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने मई माह के लिए जारी की गई स्टेट ऑफ़ द इकॉनमी रिपोर्ट में भारत के आर्थिक विकास को लेकर ‘द डॉन ऑफ़ इंडियाज एज’ शीर्षक से एक लेख लिखा है जिसमें बताया गया है कि किन कारणों से भारत अब आर्थिक विकास के नए युग में प्रवेश कर रहा है।
पात्रा ने भारत की जनसांख्यिकी, विदेशों में रहने वाले भारतीय, डिजिटल क्रान्ति और और भारत की प्रभावशाली कूटनीति जैसे कारणों को रेखांकित करते हुए बताया है कि भारत कैसे तेज रफ़्तार से तरक्की करेगा। वे कहते हैं; भारत के पास विश्व की सबसे बड़ी जनसंख्या है, कभी आर्थिक तरक्की में समस्या समझी जाने वाली जनसंख्या अब एक अवसर के तौर पर सामने आ रही है।
जहाँ एक ओर विश्व भर के देश बढती उम्र वाली जनसंख्या और जनसंख्या घटने की समस्या को झेल रहे हैं वहीं भारत के पास 28 वर्ष की औसत आयु वाली जनसंख्या है। काम करने में सक्षम (15-64) आयु वाला विश्व का हर छठा कामकाजी व्यक्ति भारतीय है। इसी जनसंख्या के बल पर भारत पर्चेजिंग पॉवर पैरिटी के मामले में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वर्ष 2048 तक यह दूसरे नम्बर पर आएगा।
वे भारत की तरक्की में देश से बाहर बसे भारतीयों और भारतवंशियों का भी बड़ा रोल मानते हैं। भारतवंशी विश्व के सबसे बड़े प्रवासी हैं। अमेरिका के 500 यूनिकॉर्न(1 बिलियन डॉलर से ज्यादा की वैल्युएशन रखने वाले स्टार्टअप) के लगभग 10% संस्थापक भारतीय हैं।
इन प्रवासियों ने वर्ष 2022-23 में भारत में 108 बिलियन डॉलर भेजे जो किसी भी प्रवासी समूह द्वारा भेजी जाने वाली सबसे बड़ी धनराशि है। ऐसे में देश के विकास में इनका भी बड़ा योगदान है।
भारत की आर्थिक तरक्की में सबसे बड़ा योगदान डिजिटल क्रान्ति का रहा है, माइकल का कहना है कि विश्व के डिजिटल भुगतान में भारत का हिस्सा लगभग 50% है। ई-KYC और ई साइन जैसी सुविधाओं ने भारत में डिजिटल भुगतान सफल बनाए हैं। UPI ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसी डिजिटल क्रान्ति का असर भारत के सेवा क्षेत्र में भी दिखा है। कोरोना महामारी के बाद से भारत के सेवा क्षेत्र के निर्यात 25% से अधिक की दर से प्रति वर्ष बढ़े हैं। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था का अलग-अलग क्षेत्रों में बढ़ना शुभ संकेत है।
भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने भारत की बढती कूटनीतिक ताकत को भी आर्थिक तरक्की का एक कारण माना है। G20 जैसे आयोजन करना और बड़े वित्तीय संस्थानों में अपनी भागीदारी को बढ़ाना देश की कूटनीतिक ताकत के बढ़ने का संकेत हैं। भारत ने पर्यावरण के फ्रंट पर भी आगे बढ़कर काम किया है। भारत अपनी स्वच्छ ऊर्जा की क्षमता को वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट तक ले जाएगा।
भारत ने अपनी पर्यावरण नीतियों में भी समय के अनुसार बदलाव किया है और कार्बन उत्सर्जन में नेट जीरो होने का भी लक्ष्य वर्ष 2070 तक रखा है। ऐसे में भारत का वैश्विक जलवायु बदलाव के साथ आगे बढ़ना उसकी जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता दिखाता है। इसके साथ ही भारत का स्थानीय स्तर और राज्य स्तर पर चलने वाला प्रशासन लगातार मजबूत हो रहा है जो आगे आने वाले समय में आर्थिक गतिविधियों को बढाने में और मदद करेगा।
माइकल के अनुसार इन सभी बिन्दुओं पर अगर हम और काम करें तो देश के विकास की रफ़्तार और बढ़ेगी।
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