कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार (अगस्त 28, 2023) के दिन डेनमार्क स्थित एनजीओ ‘डैन चर्च एड’ द्वारा प्राप्त धन जारी करने के संबंध में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल एफसीआरए (विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम) पंजीकरण होने से किसी भी व्यक्ति या संगठन को बैंक खाते में विदेशी दान प्राप्त करने की अनुमति नहीं मिलती है, बल्कि इसके लिए गृह मंत्रालय की मंजूरी भी आवश्यक है।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता-एनजीओ ने अपनी शिकायत में कहा था कि डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक लिमिटेड, बेंगलुरु ने 2013 में अवैध रूप से खाते से राशि निकालने की अनुमति नहीं दी थी, जबकि याचिकाकर्ता एफसीआर अधिनियम के तहत विदेशी अंशदान प्राप्त करने के लिए एक पंजीकृत एनजीओ है। याचिकाकर्ता ने बैंक से हर्जाने के रूप में ₹10 लाख के साथ राशि जारी करने की माँग की थी।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने एक फ़ैसले में कहा है कि विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम 2010 (Foreign Contribution (Regulation) Act – FCRA) के तहत रजिस्ट्रेशन का अर्थ यह नहीं है कि उस व्यक्ति या संगठन को विदेश से कोई राशि बैंक खाते में जमा करने का अधिकार मिल गया है।
न्यायमूर्ति केएस हेमलेखा ने बताया कि विदेशी स्रोतों से धन का क्रेडिट हमेशा केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) से मंजूरी के अधीन होता है। ‘मानसा सेंटर फॉर डेवलपमेंट एंड सोशल एक्शन बनाम प्रबंध निदेशक, द डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक लिमिटेड’ मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि वर्ष 2013 में गृह मंत्रालय द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को सभी बैंकों को यह ध्यान में रखने का निर्देश दिया गया था कि ‘डैन चर्च एड’ की ओर से भारत में जब ही किसी व्यक्ति या यूनिट को किसी भी प्रकार की धनराशि दी जाए तो वह इसकी जानकर गृह मंत्रालय को अवश्य देगा।
मानसा (Manasa Centre for Development and Social Action) ने साल 2013 में डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक द्वारा अलग रखे गए फंड को जारी करने की मांग की थी। मानसा ने यह बात सामने रखी थी कि क्रेडिट बैंक ने पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद भी अपर्याप्त धनराशि का हवाला देते हुए एक चेक बाउंस कर दिया था। बैंक ने यह जानकारी दी थी कि 29 लाख रुपए से अधिक की राशि अलग रखी गई है एवं ‘डैन चर्च एड’ नाम की किसी विदेशी यूनिट से प्राप्त कोई भी हस्तांतरण केवल गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद ही अकाउंट में जमा की जा सकती है। इस पर मानसा ने दावा किया था कि अकाउंट में धनराशि सिर्फ़ ‘डैन चर्च एड’ से ही नहीं बल्कि अन्य एजेंसियों से भी आई थी।
इस पर अदालत ने कहा, “एफसीआरए, 2010 के तहत स्थायी पंजीकरण का अधिकार याचिकाकर्ता को बैंक खाते में राशि प्राप्त करने की अनुमति नहीं देता है।”
न्यायालय ने भारत सरकार के एक पत्र का संज्ञान लिया। जिसके अनुसार संबधित अधिकारी सुरक्षा एजेंसियों से प्राप्त फीडबैक या इनपुट के आधार पर किसी विदेशी दानकर्ता को अलग श्रेणी में रखने का निर्णय ले सकते हैं।
न्यायालय ने बेंगलुरु स्थित पंजीकृत सोसायटी मनासा सेंटर फॉर डेवलपमेंट एंड सोशल एक्शन द्वारा दायर एक याचिका पर अपने फैसले में ये टिप्पणियां कीं, जिसने 2013 में डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक द्वारा अलग रखे गए फंड को जारी करने की मांग की थी।
अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता-एनजीओ को 2013 में ‘डैन चर्च एड’ से ₹5.23 लाख और ₹23.89 लाख के दो योगदान प्राप्त हुए थे और बैंक ने याचिकाकर्ता के खाते में राशि जमा करने के लिए गृह मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी। बैंक ने गृह मंत्रालय से जून-अक्टूबर के दौरान प्राप्त निर्देश पर राशि जमा करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि मंत्रालय द्वारा मंजूरी मिलने तक राशि जमा न की जाए।
अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता गृह मंत्रालय से अनुमति के बिना अपने खाते में राशि जमा करने का हकदार नहीं है।
क्या है एफसीआरए (FCRA)
एफसीआरए यानी फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट या विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम। इस कानून को वर्ष 1976 में बनाया गया था। वहीं वर्ष 2010 में इसमें बड़ा संशोधन किया गया। इस कानून के अनुसार कोई भी NGO (गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन), जो विदेश से चंदा लेना चाहती है उसे एफसीआरए के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होता है। भले ही इसका उद्देश्य सामाजिक या सांस्कृतिक हो।
एफसीआरए के जरिये सरकार विदेशी चंदा लेने की इजाजत तो देती है इसके साथ साथ इस चन्दे पर पूरी नजर रखती है। ताकि फंडिंग का उद्देश्य सरकार की जानकारी में हो। किसी भी तरह की आतंकी फंडिंग पर भी सरकार पूरी नजर बनाये रखती है। अगर एफसीआरए ने किसी तरह की भी गलत फंडिंग पाई तो सरकार इस अधिनियम के तहत एनजीओ का रजिस्ट्रेशन रद्द भी कर सकती है।
1800 से अधिक NGO का FCRA लाइसेंस किया रद्द
पिछले वर्ष कांग्रेस परिवार से जुड़े राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के एफसीआरए (FCRA) रजिस्ट्रेशन को गृह मंत्रालय ने रद्द कर दिया था। 29 मार्च, 2023 को राज्यसभा में दिए गए एक जवाब में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बताया है कि वर्ष 2020 से 2023 के बीच 1,828 ऐसे NGO का लाइसेंस रद्द किया गया है जो नियमों का पालन किए बिना विदेशों से चंदा इकट्ठा कर रहे थे। गृह मंत्रालय ने यह लाइसेंस विदेशी अंशदान विनियम अधिनियम 2010 (FCRA) की धारा 14 के अंतर्गत यह रद्द किए हैं।
देश के अंदर चल रहे इन गैर सरकारी संगठनों को को पिछले तीन वर्षों में 55 हजार करोड़ रुपए से अधिक का विदेशी फंड मिला है। केंद्र सरकार ने यह जानकारी संसद को दी है। वर्ष 2019-20 के दौरान देश में 16,306 करोड़ रुपए का फंड NGO को मिला था। इसी वर्ष देश की राजधानी दिल्ली में CAA के खिलाफ दंगे हुए थे।
वर्ष 2020-21 के दौरान NGO को मिलने वाला विदेशी फंड 17,058 करोड़ रुपए हो गया और वर्ष 2021-22 में यह 22,085 करोड़ रुपए रहा। केंद्र सरकार ने संसद को सूचित किया था कि देश में वर्तमान में 16 हजार से अधिक ऐसे NGO हैं जिनके पास विदेशी फंड लेने का लाइसेंस है।
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