मल्टीकल्चरल इंडिया में सदियों से कई कलाओं को संरक्षण प्राप्त रहा है। देश में शताब्दियों पुरानी मूर्तियाँ एवं कला की वस्तुएं इतिहास का गौरवगान करती आई हैं। बाहर से आये कुछ आक्रमणकारियों के लिए देश की संस्कृति का यह पहलू पिछले कई सौ वर्षों से अटैक का कारण रहा है।
देश की ऐसे धरोहरों पर सदियों से हमले होते रहे हैं। हालांकि, अब भारत ऐसे स्थान पर है जहाँ से वो न सिर्फ अपने विदेशी रिश्ते मजबूत कर रहा है बल्कि अपनी धरोहर को रिक्लेम भी कर रहा है। इस बात की गवाह वे 16 मूर्तियाँ हैं जो हाल ही में अमेरिका ने भारत को लौटाई है।
अमेरिका से लौटाई गई मूर्तियों में मध्य प्रदेश से 11वीं शताब्दी की एक अप्सरा की मूर्ति, जम्मू कश्मीर से 8वीं शताब्दी की कामदेव की मूर्ति, पश्चिम बंगाल से पहली शताब्दी ईसा पूर्व की यक्षी टेराकोटा मूर्ति और अन्य भारतीय कलाकृतियाँ शामिल हैं। जो कभी भारत से तस्करी कर विदेशों के बड़े बड़े आर्ट म्यूजियम तक पहुँच गई थीं।
भारत द्वारा इस विषय में मोदी सरकार के आने के बाद से ही कार्य किया जा रहा है। अमेरिका के न्यूयॉर्क में मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट द्वारा 16 भारतीय कलाकृतियों और मूर्तियों को भारत को वापस किए जाने की घोषणा से पहले भी यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया से ऐसी कलाकृतियाँ भारत लाई जा चुकी हैं।
न्यूयॉर्क के मेट्रोपोलिटन म्यूजियम के डायरेक्टर मैक्स हॉलिन ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि अप्सरा मूर्तिकला सहित 16 मूर्तियाँ और कलाकृतियाँ भारत को लौटा दी गई है। ज्ञात हो कि अप्सरा मूर्ति ने अपनी कला से दशकों तक म्यूजियम के विज़िटर्स को मंत्रमुग्ध रखा और एक अनुमान के अनुसार इस मूर्ति की कीमत आज 1 मिलियन डॉलर है।
ये मूर्तियाँ कथित तौर पर ‘द मेट’ के कलेक्शन का हिस्सा थी जिसे स्मगलर सुभाष कपूर द्वारा अमेरिका ले जाया गया था। सुभाष कपूर एक इंडियन अमेरिकन आर्ट स्मगलर हैं, जिसे 100 मिलियन डॉलर के इंटरनेशनल स्मगलिंग रैकेट चलाने का दोषी ठहराया गया था। वह पहले मैनहैट्टन में आर्ट ऑफ़ द पास्ट गैलरी का मालिक था और फिलहाल तमिलनाडु की एक जेल में 10 साल की सजा काट रहा है। न्यूयॉर्क के मैट में भी सुभाष कपूर द्वारा तस्करी की गई करीब सत्तर भारतीय कलाकृतियाँ हैं जिनमें से 16 कृतियाँ भारत को वापस कर दी गई हैं।
उल्लेखनीय हैं कि इस तरह के जो एंटीक्विटीज लौटाए जाते हैं, उन्हें आमतौर पर विदेशों में इंडियन मिशन्स या हाई हाई कमिशन्स को सौंप दिया जाता है। जिसके बाद विदेश मंत्रालय ASI को सूचित करता है। ASI ऑब्जेक्ट्स वेरीफाई और डाक्यूमेंट्स करने के लिए एक टीम भेजता है, जिसके बाद भारत में उनकी भौतिक वापसी के बारे में निर्णय लिया जाता है।
इसके साथ ही इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मेट ने अपने बयान में घोषणा की है कि वह अपने कलेक्शन का “intensive review” करेगा। वहीं मुज़ियम ने कार्यों और कलाकृतियों को प्राप्त करने की प्रक्रिया की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन भी किया है। संग्रहालय अपनी संपत्तियों की उत्पत्ति की जांच के लिए स्रोत अनुसंधान के एक प्रबंधक को भी काम पर रखेगा।
आपको बता दे, इसी वर्ष 22 मार्च को, न्यूयॉर्क के सुप्रीम कोर्ट ने मेट के खिलाफ एक सर्च वारंट जारी किया था, जिसमें जस्टिस फेलिसिया मेंनिन ने न्यूयॉर्क पुलिस डिपार्टमेंट और होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के एजेंट को एंटीक्विटीज को जब्त करने के लिए 10 दिन का समय दिया था।
जिसके बाद 30 मार्च को, मेट ने एक बयान जारी कर कहा कि यह “15 मूर्तियों को भारत सरकार को वापस करने के लिए ट्रांसफर कर देगा, इसमें कहा गया है कि “सारी मूर्तियाँ सुभाष कपूर द्वारा बेची गंई थी, जो वर्तमान में भारत में जेल की सजा काट रहे हैं।”
वहीं ये पहली बार नहीं जब भारत के ऐतिहासिक स्थलों से गैर क़ानूनी तरीके से तस्करी के ज़रिये विदेशों में पहुंचाई गई बेशकीमती और प्राचीन मूर्तियों एवं कलाकृतियों को भारत वापस लेकर आया जा रहा है। सभी भारतीय सरकारों के प्रयास से समय-समय पर विदेशों द्वारा भारतीय धरोहर लौटाई गई है। हालाँकि इसने गति 2014 के बाद पकड़ी।
सितंबर 2020 में Dr. Syama Prasad Mookerjee Research Foundation की The Return of India’s Stolen Heritage की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद भारत अपने 24 एंटीक्विटीज को वापस लाने में सफल हुआ है वहीं 2009-2014 तक सरकार केवल एक ही स्टोलन एंटीक्विटीज वापस लाने में सफल रही थी।
इसी को लेकर ASI के तत्कालीन डायरेक्टर द्वारा भी यह कहा गया था कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भारत की खोई हुई प्राचीन कलाकृतियों को वापस लाने में एक तेजी आई थी, वही 1976- 2013 के बीच केवल 13 एंटिक्विटीज को भारत वापस लाया गया था।
2022 की “द संडे गार्डियन रिपोर्ट” के अनुसार बीते सात सालों में मोदी सरकार ने विदेशों से 200 स्टोलन एंटीक्विटीज भारत लाने का कार्य किया। जिस पर उन्हें सफलता भी प्राप्त हुई।
अब तक अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य कई देशों से मूर्तियां वापस लाई गई हैं। भारत लाने के बाद कलाकृतियों को उन्हीं जगहों पर भेजा जा रहा है जहाँ से उनकी तस्करी हुई थी।
बीते वर्ष भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दक्षिण एशियाई देश से अवैध रूप से छीन ली गई 29 भारतीय मूल की कलाकृतियों को भारत वापस लाया गया था। इसके बाद उन्होंने कलाकृतियों को वापस करने के लिए ऑस्ट्रेलिया को धन्यवाद भी दिया।
भारत आज यह सुनिश्चित करता है की सरकार द्वारा धीरे धीरे किये जा रहे प्रयास रंग ला रहे हैं। वापस आ रही मूर्तियां भारत की सफल विदेश नीति और अन्य देशों के साथ प्रगाढ़ होते रिश्तों का भी संकेत है। आज भारत सरकार अपनी पौराणिक धरोहर को बखूबी संजोए हुए हैं यह उनके कार्य एवं भारतीय संस्कृति को लेकर उनके निर्णय पर भी झलकता है।