ओडिशा के बालासोर में हुई रेल दुर्घटना के बाद रेलवे सुरक्षा को लेकर कई तरह के भ्रामक दावे किए जा रहे हैं। पहले सुरक्षा कवच को लेकर तरह-तरह की बातें की गई और अब CAG की साल 2022 की एक रिपोर्ट को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है और यह बताने की कोशिश की जा रही है कि CAG ने तो जैसे साल भर पहले ही कहा था कि बालासोर रेल दुर्घटना होने वाली है।
विपक्षी नेताओं और इकोसिस्टम द्वारा CAG की रिपोर्ट का हवाला देकर कहा जा रहा है कि रेलवे सुरक्षा और ट्रैक की मरम्मत पर खर्च किया जाने वाला फंड पर्याप्त नहीं है। कुछ लोगों का दावा है कि मरम्मत के लिए खर्च किए गए फंड में लगातार कटौती की जा रही है तो कुछ ने कहा कि रेलवे की सुरक्षा पर पैसा खर्च करने के बजाय बाकी चीजों पर खर्च किया गया।
इन दावों की सच्चाई क्या है, इससे पहले सुरक्षा समेत भारतीय रेलवे के सभी खर्चों का स्त्रोत क्या है, यह जान लेते हैं।
भारतीय रेलवे के सुरक्षा उपायों और रखरखाव पर खर्च के तीन सोर्स हैं। पहला, Gross Budgetary Support यानी केन्द्रीय बजट से कितना पैसा मिला। दूसरा, Internal Generation of Indian Railway यानी रेलवे का अपना राजस्व और तीसरा External Borrowing अर्थात उधार।
रेलवे सुरक्षा की चिन्ता सरकार को पहले से ही थी इसलिए जिन तीन सोर्स की बात ऊपर की गई है उनके अलावा, सरकार ने पहली बार ‘राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष’ की स्थापना साल 2017 में की। अगले 5 साल के लिए इसका बजट रखा गया 1 लाख करोड़ रुपए और इस पैसे का डेडिकेट्ड इस्तेमाल रेलवे की सुरक्षा पर हुआ। यहां यह बात स्पष्ट हो जाती है कि जो अपर्याप्त फंड की बात की जा रही है, वह सही नहीं है।
क्या कहते हैं आँकड़े
अब आते हैं फंड में कटौती की बात पर। रेलवे की सुरक्षा के लिहाज से ट्रैक की मरम्मत और नए ट्रैक बिछाने के लिए साल 2017-18 में 8,884 करोड़ रुपए खर्च किए गए जबकि साल 2018-19 में यह बढ़कर 9,660 करोड़ रुपए हो गए। 2019-20 में जो फंड 9,391 करोड़ रुपए थे वो 2020-21 में बढ़कर 13,523 करोड़ रुपए किया गया। यानी 50% की बढ़ोतरी, जबकि 2021-22 में यह बढ़कर 16,558 करोड़ रुपए हो गया। कुल मिलाकर 2017 से लेकर 2022 तक, यानी 5 वर्षों में कुल 58,045 करोड़ रुपए खर्च किया गया है। अब कोई बताए कि ट्रैक रिन्यूएवल को लेकर फंड में कटौती कैसे हुई?
इसी तरह डिरेलमेंट की जहां तक बात है तो CAG की रिपोर्ट में केवल तीन वर्ष के फंड की बात की गई है। RRSK के अगले 2 वर्ष की नहीं। अब अगर सीधे हिसाब लगाएं तो 3 साल में खर्च हुआ, 27,935 करोड़ रुपए जबकि अगले 2 साल में खर्च हुए 30,081 करोड़ रुपए। इन आँकड़ों से यह बात स्पष्ट होती है कि कुछ लोग आधी-अधूरी जानकारी परोसकर भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।
रेलवे की सुरक्षा पर खर्च: UPA बनाम NDA
अब एक तुलना कर लेते हैं। तुलना इसलिए क्योंकि कॉन्ग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष और पूर्व रेलमंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे बेतुके सवाल कर रहे हैं कि मोदी जी, आप आए दिन सफ़ेद की गई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने में व्यस्त रहते हैं पर रेल सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं देते।
पूर्व रेलमंत्री मल्लिकार्जिन खड़गे को यह याद करना चाहिए कि इनकी सरकार के समय साल 2004 से लेकर 2013 तक ट्रैक रिन्यूएवल पर 47,039 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे जबकि 2014 से लेकर 2024 तक ट्रैक रिन्यूएवल पर जो खर्च किया जाएगा वो है 1,09,0,23 करोड़ रुपए।
इसी तरह रेलवे की सुरक्षा को लेकर UPA 1 और 2 के कार्यकाल में साल 2004 से 2014 तक 70,274 करोड़ रुपए खर्च किया गया। वहीं, NDA की सरकार में साल 2014-15 से लेकर 2023-24 तक 1,78,012 करोड़ रुपए खर्च किया जाना है।
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