वैश्विक शेयर बाजारों में भारी बदलाव दिखाई दे रहा है। मंदी की आशंकाओं से निवेशक अन्य सुरक्षित इन्वेस्टमेंट तलाश करने के लिए बाध्य हो रहे हैं। पिछले दो दिनों में वैश्विक शेयर बाजारों में लगभग $1.3 ट्रिलियन की भारी बिकवाली देखी गई। सोमवार को शेयर बाजार में आई गिरावट के कारण सेंसेक्स और निफ्टी सूचकांकों पर गंभीर असर पड़ा। आर्थिक उथल-पुथल की शुरुआत अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उम्मीद से कम नौकरियों की रिपोर्ट के साथ हुई। जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में बेरोजगारी दर में 4.3% की वृद्धि और केवल 114,000 गैर-कृषि पेरोल नौकरियों की वृद्धि देखी गई। आर्थिक क्षेत्र के लिए जारी पूर्वानुमानों से हट कर आये इस महत्वपूर्ण विचलन ने अमेरिकी आर्थिक विकास में संभावित मंदी की संभावनाओं को और प्रगाढ़ कर दिया है। इससे निवेशकों का विश्वास कम हुआ है।
निराशाजनक नौकरियों के आंकड़ों ने “Sahm Rule” को जन्म दिया, जो मंदी का एक संकेतक है और बताता है कि बढ़ती बेरोजगारी दरें अक्सर आर्थिक मंदी से पहले होती हैं। इसने अटकलों को बढ़ा दिया कि फेडरल रिजर्व को मंदी रोकने के लिए आक्रामक ब्याज दर में कटौती लागू करनी पड़ सकती है। सामान्य उम्मीद के बावजूद कम ब्याज दरें आमतौर पर स्टॉक की कीमतों को बढ़ाती हैं। फेडरल रिजर्व के अगले कदमों के बारे में अनिश्चितता ने बाजार में अस्थिरता को बढ़ाने में योगदान दिया। निवेशकों की बढ़ती आशंका के कारण उनके इक्विटी से दूर होने की संभावना बढ़ी है क्योंकि वे अब बॉन्ड जैसी सुरक्षित परिसंपत्तियों में शरण में जाएंगे।
अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों के नतीजों का एशिया और यूरोप के सूचकांकों पर गंभीर असर पड़ा। एशियाई बाजारों पर खास तौर पर बुरा असर पड़ा। जापान के निक्केई 225 सूचकांक में 12% से अधिक की गिरावट आई, जिससे अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान व्यापार को रोकने के लिए सर्किट ब्रेकर लगाए गए। मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव और येन कैरी ट्रेड के बंद होने से जापानी बाजारों में गिरावट और बढ़ गई। जैसे ही बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दरें बढ़ाईं, येन में तेजी आई, जिससे विदेशी निवेशकों ने भारत सहित उभरते बाजारों में अपनी स्थिति को खत्म कर दिया।
भारत के सेंसेक्स और निफ्टी सूचकांक भी इन वैश्विक रुझानों के अनुसार दिखाई दिए। बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 में आई गिरावट फिलहाल रूकती हुई दिखाई देती है लेकिन इसके आगे कायम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय शेयर बाजारों में घबराहट दिखाई देती रहेगी जो वैश्विक बिकवाली और बिगड़ते आर्थिक दृष्टिकोण से प्रेरित रहेगी
बाजार विश्लेषक निवेशकों से हाल में आई मंदी में शांत रहने का सुझाव दिया है। मौजूदा बाजार स्थितियों को अल्पकालीन लाभ के अवसर के रूप में देखने की सलाह दी, वैसे भी अधिकतर विशेषज्ञों के अनुसार बाजार ओवर वैल्यूएशन का संकेत देता है। ऐसी परिस्थितियों में निवेशकों को अल्पकालिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार मार्केट पार्टिसिपेंट्स बाजार सुधारों का लाभ उठाते हुए वैश्विक आर्थिक संकेतकों, विशेष रूप से अमेरिका और जापान के संकेतकों के बारे में सतर्क रहना चाहिए, जो बाजार की दिशा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
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