पूर्वोत्तर का राज्य मणिपुर पिछले लगभग 3 महीने से हिंसा (Manipur Violence) के कारण खबरों में है। इम्फाल हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक सुझाव के बाद दो समुदायों, कुकी और मैतेई के बीच प्रारम्भ हुई हिंसा में अनुमान के अनुसार अब तक 150 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। स्थानीय निवासियों की संपत्ति को भी बड़े स्तर पर नुकसान पहुँचा है।
हालाँकि, हिंसा पर अब नियंत्रण पा लिया गया है। इसी बीच 19 जुलाई को सामने आए एक वीडियो ने देश का ध्यान मणिपुर की तरफ खींचा। मई माह में रिकॉर्ड किए गए इस वीडियो में एक भीड़ दो महिलाओं को नग्न परेड कराते हुए दिखती है। इस वीडियो के बाद स्वाभाविक तौर पर सरकार पर प्रश्न उठे। हालांकि, इस मामले में वीडियो वायरल होने के 24 घंटों के भीतर ही कुछ आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन इस घटना को आधार बनाते हुए विपक्ष के राजनीतिक दलों ने राज्य और केंद्र सरकार को कानून व्यवस्था में पूरी तरह विफल बता दिया।
यह सच है कि पिछले कुछ महीनों में राज्य में हिंसा और महिलाओं के विरुद्ध अपराध में बढ़ोतरी हुई है परन्तु यह भी सच है कि वर्ष 1999 के बाद से अब तक वर्तमान एनडीए सरकार के दौरान ही मणिपुर सबसे शांत था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के वर्ष 1999-2021 के आँकड़ों की जांच से पता चलता है कि केंद्र में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में मणिपुर में अपराध और बलात्कार कम थे जो कि यूपीए सरकार के दोनों कार्यकाल में तेजी से बढ़े और वर्तमान एनडीए सरकार के कार्यकाल में पुनः कम होने लगे।
NCRB के आँकड़े और क्या बताते हैं, हम उसे देखने की कोशिश करते हैं।
UPA सरकार के दौरान मणिपुर में बलात्कार के सर्वाधिक मामले सामने आए
कॉन्ग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने पिछले कुछ दिनों से मणिपुर में महिलाओं के विरुद्ध अपराध को लेकर काफी मुखर है परन्तु उसको यह आँकड़े देखने चाहिए कि वर्ष 2004 से लेकर 2014 तक उसके शासन के दौरान मणिपुर में बलात्कार की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी होती रही।
वर्ष 1999 में देश में NDA की सरकार बनी थी। वर्ष 1999 में मणिपुर से बलात्कार की 12 घटनाएं सामने आई, NDA के 2004 में सत्ता छोड़ने से पहले यह संख्या लगातार 20 से कम बनी रही। वर्ष 2004 में यूपीए की सरकार के आने के बाद मणिपुर में बलात्कार की घटनाओं में त्वरित बढ़ोतरी हुई।

UPA-1 के दौरान वर्ष 2004 में बलात्कार की 31 घटनाएं हुई थी और यह 2005 में बढ़कर 40 हो गईं। 2009 तक यूपीए सरकार मणिपुर में बलात्कार की घटनाओं में कोई भी कमी नहीं ला सकी और यथास्थिति बनी रही। UPA-2 के दौरान मणिपुर में बलात्कार की घटनाओं की बाढ़ आ गई।
मणिपुर में वर्ष 2010 में बलात्कार की संख्या 34 हो गई, 2011 में यह और बढ़ कर 53 हो गई। आगे 2012 में यह पुनः बढ़ कर 63 और 2013 में 72 हो गई। UPA के शासन के अंतिम वर्ष 2014 में यह संख्या बढ़ कर 75 हो गई। इससे पहले कभी भी मणिपुर में बलात्कार के इतने मामले सामने नहीं आए थे।
एनडीए सरकार आने के बाद में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध में भारी कमी
केंद्र में 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद मणिपुर में क़ानून व्यवस्था की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध या बलात्कार की घटनाएं एनडीए सरकार के आने के बाद वर्ष 2015 में 75 से गिरकर 46 पर आ गईं। वर्ष 2015 के बाद से इसमें लगातार गिरावट जारी है और वर्ष 2018 में 52 पर पहुँचकर वापस यह गिरने लगे। वर्ष 2019, 2020 और 2021 में यह क्रमशः 36, 32 और फिर 26 हो गईं। यह आंकड़ा बीते 14 वर्षों का सबसे निचला स्तर है।
ऐसे में जब कॉन्ग्रेस मणिपुर में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को लेकर भाजपा सरकार पर प्रश्न उठाती है तो उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि उनकी सरकार के दौरान मामले लगातार बढ़ते रहे तब उन्हने संसद जाम करके कभी इस पर चर्चा क्यों नहीं की?
UPA सरकार के दौरान मणिपुर में बना अपराधों का रिकॉर्ड
मणिपुर में UPA सरकार के दौरान बलात्कार की घटनाओं में बढ़ोतरी तो जारी ही थी परन्तु इसके साथ ही साथ बाकी अपराध भी चरम पर थे। NCRB के आँकड़ों को जांचने से पता चलता है कि वर्ष 2004 के बाद से मणिपुर में अपराधों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई और वर्ष 2012 में यह रिकॉर्ड 5,234 पर पहुँच गए।

कॉन्ग्रेस (यूपीए) शासन के दौरान मणिपुर में 2007, 2008, 2011 और 2012 अपराधों की संख्या 4,000 से अधिक हुई। सत्ता में भाजपा के आने के बाद मणिपुर में अपराधों में तेज गिरावट हुई है। वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के पश्चात अपराधों की संख्या 3,000 के आसपास है और वर्ष 2020 में तो यह और गिर कर 2,986 पर पहुँच गई। यह बीते 21 वर्षों में मणिपुर में घटित अपराधों का सबसे निचला स्तर है।
यहाँ यह बात भी ध्यान देने वाली है कि भाजपा सरकार ने अपराधों की संख्या में कमी तब आई है जब मणिपुर की जनसंख्या पहले कहीं अधिक हो चुकी है। ऐसे में अधिक जनसंख्या के साथ भी कानून व्यवस्था को नियन्त्रण में रख कर सरकार लगातार इन आँकड़ों में कमी लाने में सफल रही है।
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