संसद से हाल ही में विपक्षी सांसदों के सबसे बड़े समूह के एक दिन के निलंबन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्षा ममता बनर्जी का कहना है कि वे खुद को भाग्यशाली समझती हैं कि वे मौजूदा समय में सांसद नहीं हैं।
दरअसल इंडि गठबंधन की निर्धारित बैठक से एक दिन पहले और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी निर्धारित नियुक्ति से 48 घंटे पहले दिल्ली के बंगा भवन में पार्टी नेताओं और सांसदों की एक बैठक में बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वे खुद सात बार सांसद रह चुकी हैं। जो कुछ हो रहा है वह पूरी तरह से अनुचित है। ऐसा लगता है कि पूरी संसद निलंबित है। यह निरंकुशता से कम नहीं है।
वहीं बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए ममता बनर्जी ने निलंबन प्रक्रिया को ‘लोकतंत्र का मखौल’ बताया है। जाहिर है कि पिछले हफ्ते संसद में घुसपैठ के कारण सुरक्षा उल्लंघन पर गृह मंत्री अमित शाह से आधिकारिक बयान की मांग करते हुए हंगामा करने के लिए सोमवार को कुल 78 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें से 33 को लोकसभा से और 45 को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया। संसद के निचले सदन में निलंबित सांसदों में तृणमूल कांग्रेस के नौ सांसद और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह इसी आधार पर 14 विपक्षी सांसदों को पहले ही निलंबित कर दिया गया था। 22 दिसंबर को समाप्त होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के शेष दिनों से निलंबित रहने वाले विपक्षी सांसदों की कुल संख्या वर्तमान में 92 है। वहीं, सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा अपने-अपने सदनों में दी गई सजा का सबसे अधिक खामियाजा भुगतने वाली पार्टियों में 25 निलंबित सांसदों वाली कांग्रेस, इसके बाद 16 निलंबित सांसदों वाली तृणमूल कांग्रेस और 14 सांसदों वाली डीएमके शामिल हैं।
ममता बनर्जी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कुछ सदस्यों ने संसदीय मर्यादा का उल्लंघन किया है तो वे उन पर फैसला ले सकते हैं। लेकिन वे सामूहिक रूप से विपक्षी सांसदों को कैसे निलंबित कर सकते हैं? सदन सर्वोच्च है। उन्हें सदन में भारी बहुमत प्राप्त है। वे ध्वनिमत से विधेयकों को पारित करा रहे हैं फिर वे किस बात से इतना डरते हैं? यदि वे सभी विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर देंगे, तो विपक्ष अपनी आवाज कैसे उठाएगा?
उन्होंने कहा कि लोगों की आवाज़ कौन उठाएगा? लोगों की आवाज को पूरी तरह से दबा दिया गया है। पहले उन्हें सदन निलंबित करने दीजिए। उनके पास इस सदन को चलाने का कोई नैतिक आधार नहीं बचा है। बेहतर होगा कि विपक्ष को निलंबित कर दिया जाए या पूरी तरह से निष्कासित कर दिया जाए, वे सदन को इस तरह कैसे चला सकते हैं?
इसके साथ ही ममता बनर्जी ने कहा कि वे संघीय ढांचे को ध्वस्त कर रहे हैं और गरीब लोगों से सब कुछ छीन रहे हैं। गरीब भूखे हैं और वर्तमान सरकार से नाराज हैं। जब हम इन मुद्दों को उठा रहे हैं तो या तो हमें निलंबित कर दिया जाता है या संसद से निष्कासित कर दिया जाता है या केंद्रीय एजेंसियों द्वारा हम पर छापे मारे जाते हैं। मुझे दिखाओ कि चोर और डकैत होने के बावजूद भाजपा के कितने लोगों पर छापे मारे गए हैं।
उन्हें इस सत्र में तीन आपराधिक कानून विधेयकों सहित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करना है, जहां हमने सरकार से उनके पारित होने को अस्थायी रूप से स्थगित करने और नई सरकार को पहले शपथ लेने की अनुमति देने का आग्रह किया है। चुनाव बस कुछ ही महीने दूर हैं। फाड़ने की जल्दी क्या है? नई सरकार उनकी समीक्षा करना चुन सकती है जिसकी लोकतंत्र में अनुमति है।
ममता बनर्जी ने आगामी चुनाव और सीट शेयरिंग पर बात करते हुए कहा कि देश भर में 70 प्रतिशत सीटों पर उस फॉर्मूले को हासिल करने से विपक्ष को 2024 के चुनावों में लड़ने का मौका मिलेगा। बनर्जी ने खुलासा किया वह बंगाल में कांग्रेस के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल में उनके पास केवल दो सीटें हैं, लेकिन मैं कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत के लिए तैयार हूं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह राज्य में वाम दलों के साथ कांग्रेस के गठबंधन को स्वीकार करने के सवाल पर बनर्जी ने कहा कि यह उनकी पसंद है, मैं किसी राजनीतिक दल के बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकती।
वहीं, विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक की निर्धारित बैठक में सीट बंटवारे पर बातचीत की संभावना पर बोलते हुए तृणमूल प्रमुख ने कहा कि मुझे लगता है कि सभी एक साथ होंगे। सीट बंटवारे के मामले पर चर्चा का मौका है। कल उस पर विस्तार से चर्चा करने का बहुत अच्छा अवसर है। उन्होंने कहा कि एक-पर-एक सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर विपक्षी खेमे के भीतर असंतोष की कुछ आवाजें हो सकती हैं। लेकिन अगर अधिकांश पार्टियां इस पर सहमत होती हैं, तो बाकी पार्टियां स्वतः ही सहमत हो जाएंगी।
इसके साथ ही उन्होंने स्पष्टीकरण देने से इनकार करते हुए कहा कि विपक्षी समूह के भीतर इस पर चर्चा किए बिना, मैं सार्वजनिक रूप से अपनी राय नहीं दे सकती। कल एक ही बैठक में सीट बंटवारे को अंतिम रूप देना आसान नहीं है। लेकिन अगर सैद्धांतिक तौर पर इस मुद्दे पर सहमति बन जाती है तो चीजें सुचारू रूप से चलेंगी।
इसके साथ ही संसद में घुसपैठ के लिए ‘बंगाल-लिंक’ से जुड़े प्रश्न पर ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल से कोई लेना-देना नहीं है। यह गलत है। हो सकता है कि कोई कलकत्ता समेत देश के विभिन्न हिस्सों में रहा हो लेकिन संसद की सुरक्षा में जो उल्लंघन पूर्व नियोजित था, वह आईबी, सतर्कता की पूरी विफलता के कारण हुआ और नए संसद भवन में सुरक्षा संबंधी खामियां थीं।
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