“दुनिया में दो ऐसे पंथ हैं, जो अन्य सभी धर्मों के विरुद्ध दुश्मनी रखते हैं। वे हैं ईसाइयत और इस्लाम। ये न केवल अपने पंथ का पालन करके संतुष्ट हैं बल्कि ये अन्य सभी धर्मों को नष्ट करने के लिए भी तत्पर हैं।”
ये शब्द हैं बंगाल की धरती के लाल रवीन्द्र नाथ टैगोर के।
टैगोर का मानना था कि मुसलमानों में राष्ट्रवाद नहीं होता है। मुस्लिम एक राष्ट्र की जगह अखिल इस्लाम विचार के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं।
पिछले वर्ष अमिताभ बच्चन ने पश्चिम बंगाल की ही धरती से बोला कि “मुझे यकीन है कि मंच पर मेरे सहयोगी इस बात से सहमत होंगे कि अब भी नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।” आज जिस तरह पश्चिम बंगाल में The Kerala Story पर बैन लगाया गया है वो बच्चन साहब की भविष्यवाणी को साकार कर रही है।
Hypocrisy देखिए, जब दीदी के राज में मजहबी दंगे होते हैं, तोड़फोड़ होती है तो दीदी तुरन्त कहती हैं कि ये बाहरी लोग हैं। आज जब बाहरी लोग यानी ISIS के रोल पर एक फिल्म बनी है तो दीदी मानो उन्हें अपना मान रही हो और अपनों का सच दिखाती फिल्म को दबाने का हरसंभव प्रयास कर रही हैं।
ये वही दीदी हैं जो पद्मावत फिल्म के विवाद के समय फिल्म इंडस्ट्री को एक साथ आने का आह्वान कर रही थीं और इनकी बेलगाम सांसद महुआ और सांसद डेरेक ओ ब्रायन BBC डाक्युमेंट्री के लिंक, बांग्लादेशियों को आधार और वोटर कार्ड की तरह बांट रहे थे। दीदी कला की कितनी कदरदान हैं इस बात का एक उदाहरण ये भी देख लीजिए जब पठानकोर्ट एयरबेस पर पाकिस्तानी आतंकी हमला हुआ तो उसके कुछ ही समय बाद दीदी ने पाकिस्तानी सिंगर को अपने यहां न्योते पर भी बुला लिया। परन्तु दीदी अब के बारी ऐसा क्या हो गया?
दीदी ने द केरल स्टोरी के तथ्यों से छेड़छाड़ की बात की और राज्य में शांति और सद्भाव कायम रखने के लिए लिया गया फैसला बताया। आप सोचिए आज अगर टैगोर होते तो दीदी उन्हें भी बैन कर चुकी होती।
अब दीदी, देखो जहां तक तथ्यों की बात है तो तथ्य तो ये भी बताते हैं कि साल 2016 से लेकर साल 2020 तक पश्चिम बंगाल से सबसे ज्यादा 1,43,102 महिलाएं लापता हुई हैं। ये डेटा कोई फिल्मकार नहीं दे रहा है बल्कि NCRB का है।
इसी तरह साल 2020 और साल 2021 में 18 साल से ऊपर की 1 लाख महिलाएं लापता हुईं, जिनमें से 50,000 का पता ही नहीं चला। ये डेटा भी मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स का है।
जब ये महिलाएं लापता हुई तब तो आप शांति का प्रस्ताव नहीं लाए तो फिर आज क्यों? कहीं ऐसा तो नहीं कि आप उस सच से डर रही हैं, जो सच ये आंकड़ें बता रहे हैं, कहीं वो फिल्म के माध्यम से बाहर तो नहीं आ रहा है।
एक और बात कि अगर ISIS मॉड्यूल सक्रिय नहीं है तो फिर NIA ने ये दर्जनों छापे कहां मारे और क्यों मारे?
खैर, चिन्ता शायद ये भी नहीं है, चिन्ता तो कुछ और है। वो चिन्ता है उस कुर्सी की, जो किसी की भी जागीर नहीं है, दीदी की भी नहीं। और खासतौर पर तब जब दीदी के करीबी भ्रष्टाचार के दल-दल में डूबे हों और एक-एक करके सलाखों के पीछे जा रहे हों।
दरअसल, इसलिए भी दीदी के भतीजे अभिषेक बनर्जी जन संजोग यात्रा पर हैं। जहां उन्हें इस बात का आभास हो रहा है कि राज्य में वोट अब हाथ से फिसल चुका है और सरकार के प्रति जनता का असंतोष दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। परिणामस्वरूप हिन्दू वोट अब फिसल रहा है।
हिन्दू वोट के फिसलने की बात हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि राज्य के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया और 77 सीटें बटोरी। यानी साल 2016 के विधानसभा चुनाव से 74 सीट ज्यादा। सोचिए कितना बड़ा अन्तर है। यह अन्तर स्पष्ट रूप से इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि पश्चिम बंगाल का हिन्दू एकजुट हो रहा है।
ये तो रहा एक पहलू। अब दूसरा पहलू ये है कि दीदी को ये डर भी सता रहा है कि मुसलमानों का वोट बैंक भी धीरे-धीरे हाथों से छिटकता जा रहा है। इसका कारण है, इंडियन सेकुलर फ्रंट के फाउंडर पीरजादा मोहम्मद अब्बास सिद्दीकी और भांगोर से उनके विधायक भाई नौशाद सिद्दीकी जिन्हें हाल ही में ममता सरकार ने गिरफ्तार किया।
यहां गौर करने वाली बात ये है कि यह भांगोर दक्षिण चौबीस परगना ज़िले में है और नौशाद सिद्दीक़ी की गिरफ़्तारी के बाद ज़िले के मुस्लिम वोटर ममता बनर्जी और उनकी सरकार के ख़िलाफ़ खुले तौर पर रास्ते पर आ खड़े हुए थे। ऐसे में मुस्लिम वोटर के हाथ से खिसकने का डर ममता बनर्जी को सताने लगा है।
ऐसे में द केरल स्टोरी को बैन करके दीदी किसे साध रही हैं ये बात आसानी से समझ आती है।
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