आपदा में अवसर ढूँढ़ना कोई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सीखे। ऐसा पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता कह रहे हैं क्योंकि टीएमसी सरकार द्वारा बालासोर ट्रेन हादसे के पीड़ितों को मुआवजे में 2,000 रुपए के नोट देने की बात सामने आई है।
दरअसल, अभी कुछ दिनों पहले ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ममता बनर्जी ने दावा किया था कि उनके पास 2,000 रुपए के मात्र 7-8 नोट ही हैं, जिनका वो इस्तेमाल नहीं करती है।
वैसे जनमानस के पास उनकी इस बात पर विश्वास करने का शायद ही कोई कारण हो पर हाल ही में हुए ओडिशा में बालासोर ट्रेन हादसे के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने जिस तरह मदद के हाथ बढ़ाया है वह आपदा में अवसर खोजने के समान ही नजर आ रहा है।
दरअसल, ममता बनर्जी सरकार ने बालासोर हादसे के मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों के लिए 1-1 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। ममता का कहना है कि लगभग 900 लोग जो ट्रेन में यात्रा कर रहे थे और जो मानसिक और शारीरिक तनाव से गुजर रहे हैं, उन्हें 10-10 हजार रुपये दिए जाएंगे।
घायलों की मदद करना तो अच्छी बात है पर ममता बनर्जी अपनी इसी सहायता के कारण विपक्ष के निशाने पर आ गई है। दरअसल ममता बनर्जी सरकार द्वारा जो मुआवजा राशि पीड़ितों में बांटी गई है वो कैश में तो ही साथ ही, पर वो 2,000 रुपए के नोट में प्रदान की गई है।
पश्चिम बंगाल के ही बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ममता बनर्जी सरकार पर आरोप लगाते हुए एक वीडियो शेयर किया जिसमें हादसे के पीड़ितों को दी गई मुआवजे राशि में 2,000 रुपये की नोट में है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
सुकांत मजूमदार ने पीड़ितों की सहायता के लिए टीएमसी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि मदद अच्छी बात है पर इतनी संख्या में दिए गए 2,000 रुपए के नोटों का सोर्स क्या है?
सुकांत मजूमदार ने ट्वीटर पर टीएमसी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2,000 रुपए के नोट को बदलने की बैंक प्रक्रिया जारी है। ऐसे में पीड़ितों को यह नोट देकर उनकी परेशानी बढ़ा दी गई है। साथ ही उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या यह काले धन को सफेद करने का जमीनी तरीका नहीं है?
वहीं, वीडियो पर बीजेपी महासचिव विष्णु वर्धन रेड्डी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है जिन्होंने कहा कि ममता बनर्जी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तो 2,000 के नोट नहीं इस्तेमाल करने का दावा करती है पर पीड़ितों को अब इन्हीं नोटो से सहायता राशि दी गई है। कोई सरकार इस तरह से निष्ठुर बर्ताव कैसे कर सकती है? यह पीड़ितों का मजाक बनाना नहीं हुआ?
भाजपा नेता डॉ अनिर्बान गांगुली ने भी ट्वीटर पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि एक तरफ ममता बनर्जी 2,000 के नोट का इस्तेमाल न करने का दावा करती हैं और दूसरी ओर अपने मंत्रियों के द्वारा 2,000 नोट पीड़ितों में बंटवाती है।
पीड़ितों को डर के मारे यह नोट स्वीकार करने पड़ रहे हैं। यह पीड़ितों के प्रति अपमान भरा रवैया एवं असंवेदनशीलता है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में केंद्रीय रिजर्व बैंक द्वारा क्लीन नोट नीति के तहत 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को वापस ले लिया था। इससे देश के सबसे बड़े मूल्य के करेंसी नोट को प्रचलन से हटा दिया गया था। इस फैसले को काले धन को सामने लाने की तरफ एक कदम माना जा रहा था।