हाल में लंदन के चैथम हाउस (Chatham House) में हुई राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) की बातचीत के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। वायरल होने के कारण अलग अलग है। लेकिन एक वीडियो की सबसे अधिक चर्चा है। इसे राहुल गाँधी ने भी शेयर किया है। इस प्रकरण के बाद मालिनी मेहरा (Malini Mehra) नाम की एक महिला का नाम सामने आया है।
वीडियो में मालिनी मेहरा (Malini Mehra) नामक महिला राहुल गाँधी से एक सवाल पूछ रही हैं।
राहुल गाँधी की प्रवासी भारतीयों से बातचीत में मालिनी ने कहा;
“मैं अपने देश की स्थिति के बारे में बहुत दुखी महसूस कर रही हूं। मेरे पिता आरएसएस में थे और उन्हें इस पर गर्व था लेकिन अब वह इस देश को नहीं पहचान पाते हैं। हम, जो अपने देश से बाहर हैं, अपने लोकतंत्र में कैसे शामिल हो सकते हैं और उसे कैसे सशक्त बना सकते हैं?“
इस पर राहुल गांधी ने जवाब देते हुए कहा,
“आपने जो भी कुछ कहा, आपके पिता के आरएसएस के होने के बारे में, और उनका आज देश को नहीं पहचानने के बारे में, यह अपने आप में एक शक्तिशाली बात है। क्योंकि मेरे कहने से लोगों को लगता है कि यह तो पक्षपाती है। लेकिन जब आप कहती हैं तो इसका प्रभाव बिल्कुल अलग पड़ता है।”
कौन हैं मालिनी मेहरा
मालिनी कोई आम भारतीय नहीं हैं। मालिनी मेहरा की बायोग्राफी के अनुसार उन्होंने दुनिया भर के अनेक संस्थानों और NGO में बतौर सलाहकार एवं विभिन्न भूमिकाओं में काम किया है। वर्ष 2017 के बाद से मालिनी ने लंदन के मेयर सादिक खान के आयुक्त के रूप में काम किया है। वे कई वर्षों से लंदन में ही रहती हैं।
चूँकि विशेष प्रयोजन हेतु मालिनी को भारत से जुड़े रहना था इसलिए उन्होंने रास्ता निकाला पर्यावरण के नाम पर एक्टिविज्म करने का, यानी क्लाइमेट एक्टिविस्ट। ग्रेटा थनबर्ग तो आपको याद होगी? बस उन्हीं के उद्योग में काम करने का फ़ैसला किया मालिनी ने।
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ऐसे ही मालनी मेहरा ने भी भारत से जुड़ाव दिखाने हेतु सेंटर फॉर सोशल मार्केट्स नामक संस्था का गठन किया। सेंटर फॉर सोशल मार्केट्स की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार यह एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी संगठन है जो पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक रूप से और टिकाऊ समाज बनाने के लिए काम करता है।
इस संगठन का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इसको यूरोपियन यूनियन फंडिंग करती है।
मालिनी मेहरा के एनजीओ सीएसएम को यूरोपियन यूनियन से संचालित होने वाले संगठन फेयरट्रेड से भी करोड़ों रुपये मिले। यह वही फेयरट्रेड संगठन है जो जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के साथ भी साझेदार हैं।
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क्या अपने पिता के बारे में मालिनी ने झूठ कहा?
मालिनी और राहुल गांधी के सवाल जवाब में नोट करने वाली बात यह थी कि मालिनी मेहरा कहती हैं, “मेरे पिता RSS में थे और उन्हें देश पर गर्व था लेकिन अब वह इस देश को नहीं पहचान पाते।”
सच्चाई यह है कि उनके पिता अब जीवित ही नहीं हैं। मालिनी मेहरा बनाम दिल्ली सरकार केस में हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जानकारी मिलती है कि मालनी मेहरा के पिताजी माधो लाल मेहरा की 2 मार्च 2011 को ही मृत्यु हो गई थी।
‘द गार्जियन’ के मुताबिक माधो लाल मेहरा भारतीय सरकार में रेलवे मंत्रालय में उच्चाधिकारी रह चुके हैं, उन्होंने वर्ष 1990 में ‘द इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स’ का गठन किया था।
हालाँकि उनका RSS से जुड़े होने का कोई प्रमाण नहीं मिलता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का एक सबसे बड़ा संगठन है इसलिए इतने बड़े संगठन में किसी विशेष व्यक्ति का जुड़ना या ना जुड़ना उल्लेखित रहता भी नहीं है।
महत्वपूर्ण यह है कि जो मालिनी मेहरा अपने पिताजी को आगे रखकर राहुल गांधी के एजेंडा को साधने में उनकी मदद कर रही हैं वह वर्ष 2003 से ही अपने पिता के खिलाफ ही रही हैं। द गार्जियन के अनुसार एक विवाद के बाद वह अपने पिता माधव मेहरा की निंदा करती हैं और कहती हैं कि उनका तो इतिहास ही गुमराह करने वाला एवं भ्रामक रहा है और वह ऐसी स्थिति में नहीं है कि किसी को ईमानदारी या शासन के बारे में व्याख्यान दे सकें।
उनकी बेटी कहती हैं कि उनके पिता ने वर्ष 1989 के बाद सार्वजनिक रूप से अपने नाम का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था, जब वह ब्रिटेन में दिवालिया हो गए थे। जबकि उनके पिता अपनी बेटी की इस बात से इनकार करते थे कि वह कभी दिवालिया थे।
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो बेटी वर्ष 2003 में ही अपने पिता को स्वयं से अलग कर चुकी हो। आज 20 वर्ष बाद उन्हें याद करने की जरूरत क्यों पड़ गई?