The PamphletThe Pamphlet
  • राजनीति
  • दुनिया
  • आर्थिकी
  • विमर्श
  • राष्ट्रीय
  • सांस्कृतिक
  • मीडिया पंचनामा
  • खेल एवं मनोरंजन
What's Hot

हायब्रिड युद्ध में भारतीय पक्ष को रखने की कोशिश है ‘द वैक्सीन वार’

September 29, 2023

पाकिस्तान: जुम्मे के दिन मस्जिद में आत्मघाती बम विस्फोट, 57 की मौत, पख्तूनख्वा प्रांत में हुआ हादसा

September 29, 2023

अब राजस्थान में मिला बंगाल की तरह सड़क पर महिला का अधजला शव, सिर पर हमला कर की हत्या

September 29, 2023
Facebook X (Twitter) Instagram
The PamphletThe Pamphlet
  • लोकप्रिय
  • वीडियो
  • नवीनतम
Facebook X (Twitter) Instagram
ENGLISH
  • राजनीति
  • दुनिया
  • आर्थिकी
  • विमर्श
  • राष्ट्रीय
  • सांस्कृतिक
  • मीडिया पंचनामा
  • खेल एवं मनोरंजन
The PamphletThe Pamphlet
English
Home » संसदीय आचरण मात्र सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी नहीं
प्रमुख खबर

संसदीय आचरण मात्र सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी नहीं

Pratibha SharmaBy Pratibha SharmaFebruary 11, 2023No Comments4 Mins Read
Facebook Twitter LinkedIn Tumblr WhatsApp Telegram Email
Indian Parliament
संसदीय कार्यवाही
Share
Facebook Twitter LinkedIn Email

बजट सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकसभा एवं राज्यसभा में दिए गए भाषण की चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री ने तथ्यहीन आरोपों का जवाब देने के बजाए अपनी सरकार की उपलब्धियों को संसद के सामने रखा। हालांकि इस दौरान उनका भाषण सुनने में जो अड़चने आ रही थी वह दोनों सदनों में विपक्ष के आचरण के कारण थी।

विपक्ष और उसके सांसद पिछले कई वर्षों से शायद यह तय करके आते हैं कि संसदीय कार्यवाही मर्यादित तरीके से संचालित न होने पाए। विपक्षी सांसदों द्वारा सदन में चिल्ला-चिल्ला के प्रश्न पूछे तो जाते हैं पर उन प्रश्नों के जवाब के समय ये सांसद शांत और सह्रदय नहीं रह पाते।

देश की सबसे पुराने राजनीतिक दल कॉन्ग्रेस का आचरण शायद हमेशा से ऐसा ही रहा है। लंबे समय तक सत्ता में रहने के कारण उसे  विपक्ष की जिम्मेदारियों का अहसास नहीं है। शायद दल के सांसद शपथ लेने के साथ ही संसद की मर्यादा भूल जाते हैं। यह नई बात नहीं है। वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पर भाषण दिया जा रहा था तो स्पीकर द्वारा बार-बार मना करने के बाद भी विपक्षी शांत नहीं हुए। आखिरकार वाजपेयी जी को अपने आसन पर कुछ देर चुप होकर बैठना पड़ा।

देखा जाए तो बात मात्र भाषण या परिचर्चाओं की नहीं है। बात है संसदीय आचरण की। संसद में एक सांसद और नेता में फर्क होता है। ऐसे में जब माननीय सांसद राहुल गांधी द्वारा संसद में कागज फाड़े जाते हैं या तथ्यहीन आरोप लगाए जाते हैं तो यह संसद और उसके नियमों का अपमान है।

शायद राहुल गांधी को संसदीय नियमों की जानकारी ही नहीं है। उन्होंने सदन में एक बार सत्ता पक्ष को बोलने की इजाजत देते हुए कहा; मैं एक लोकतांत्रिक व्यक्ति हूं, मैं उन्हें बोलने की इजाजत देता हूँ। क्या राहुल गांधी को नहीं पता कि लोकसभा में बोलने की इजाजत स्पीकर द्वारा दी जाती है जिसका उल्लंघन प्रधानमंत्री भी नहींं कर सकते? या वे स्वयं को नियमों से परे मानते हैं? राहुल गांधी हो या डीएमके सांसद दयानिधि मारन, संसदीय पटल का उपयोग अपने आधारहीन और तथ्यहीन जानकारी के लिए करना कहाँ तक उचित है?

मम्मी के लाडले राहुल गांधी के आचरण को देश क्यों झेले?

सांसदों का खेदजनक आचरण हाल ही में संसदीय कार्यवाहियों का हिस्सा बन गया है। पश्चिम बंगाल से सांसद महुआ मोइत्रा अपनी भाषा को उनके जोशीले व्यक्तित्व का हिस्सा मानती हैं। शायद यही कारण है कि वे सोशल मीडिया पर अपनी असभ्य भाषा का सरलीकरण करती नजर आती हैं।

ये मात्र इस बजट सत्र की बात नहीं है। वर्ष 2021 की बात करें तो महुआ का भाषण बढ़-चढ़कर प्रसारित किया गया था पर उसमें ये प्रसारित नहीं किया गया कि जब वे आरोप लगा रही थी तो सरकार सुन रही थी पर जब सरकार जवाब दे रही थी तो वो सुनने की पक्षधर नहीं थी। स्पीकर को उन्हें संसदीय आचरण याद करवाने की जरूरत पड़ी थी।

ऐसी कितनी ही घटनाएं हाल के दिनों में सामने आई हैं जिसमें संसदीय नियमावलियों का मखौल बनाया गया। कई विपक्षी नेताओं द्वारा संसद के वेल में जाकर रूल बुक को उछालना किस श्रेणी में रखा जाए? इस तरह का आचरण सरकार के विरोध के लिए नहीं हो सकता। इसे मात्र संसद के अपमान के रूप में माना जाना चाहिए।

प्रश्न यह है कि संसद के रूल बुक को यदि संसद में फेंका जा रहा हो तो इसे संसदीय नैतिकता की बलि क्यों न मानी जाए? आश्चर्य तो यह है कि विपक्ष के किसी भी नेता से अनैतिक व्यवहार के बाद माफीनामे सामने नहीं आए हैं।

राहुल गाँधी ने सिद्ध किया कि वो पप्पू ही हैं

संसदीय आचरण के उल्लंघन पर कार्रवाई होने पर विपक्ष द्वारा न्याय की मांग करना हास्यास्पद है। क्या विपक्ष भूल चुका है कि संसद जनता के हित के मुद्दों पर चर्चा के लिए है, विरोध प्रदर्शन के लिए नहीं? संसदीय कार्यवाही का बहुमूल्य समय नष्ट करके देशवासियों के बहुमूल्य कर की हानि की जाती है। वर्ष 2014 में संसदीय कार्यवाही में बाधाओं एवं विरोध के कारण 76 घंटें 26 मिनट का समय व्यर्थ हुआ था।

ऐसे में प्रश्न यह है कि इस आचरण द्वारा विपक्षी सांसद किनके हितों की पूर्ति कर रहे हैं?

संसदीय आचरण का कोई विद्यालय होता तो आज कई माननीयों को कक्षाएं लेनी पड़ती। विपक्ष के माननीय सांसदों के पास प्रश्नों और आरोपों की लंबी सूची होती है पर जवाब सुनने की क्षमता नहीं और ये ही उनके व्यवहार में नजर आता है। बहरहाल, नियमावलियों से अगर आचरण में सुधार होता तो आज संसद की कार्यवाही में शोर कम और चर्चा अधिक सुनाई देती। पर खेद है कि सभ्य आचरण के लिए कोई विद्यालय नहीं है। 

Author

  • Pratibha Sharma
    Pratibha Sharma

    View all posts

Share. Facebook Twitter LinkedIn Email
Pratibha Sharma

Related Posts

हायब्रिड युद्ध में भारतीय पक्ष को रखने की कोशिश है ‘द वैक्सीन वार’

September 29, 2023

पाकिस्तान: जुम्मे के दिन मस्जिद में आत्मघाती बम विस्फोट, 57 की मौत, पख्तूनख्वा प्रांत में हुआ हादसा

September 29, 2023

अब राजस्थान में मिला बंगाल की तरह सड़क पर महिला का अधजला शव, सिर पर हमला कर की हत्या

September 29, 2023

बंगाल: खेत में मिला युवती का अधजला शव, भाजपा ने I.N.D.I. गठबंधन से पूछा- आलोचना भी करेंगे या नहीं?

September 29, 2023

वाइब्रेंट गुजरात: शून्य से उठकर ‘विकसित गुजरात’ तक के दो दशक

September 29, 2023

भारतीय परिवारों की भौतिक आस्तियों में हुई अतुलनीय वृद्धि

September 29, 2023
Add A Comment

Leave A Reply Cancel Reply

Don't Miss
राष्ट्रीय

हायब्रिड युद्ध में भारतीय पक्ष को रखने की कोशिश है ‘द वैक्सीन वार’

September 29, 202320 Views

वास्तव में द वैक्सीन वार नामक यह फिल्म हायब्रिड वारफेयर के दौर में भारतीय पक्ष को रखने की संजीदगी भरी कोशिश है।

पाकिस्तान: जुम्मे के दिन मस्जिद में आत्मघाती बम विस्फोट, 57 की मौत, पख्तूनख्वा प्रांत में हुआ हादसा

September 29, 2023

अब राजस्थान में मिला बंगाल की तरह सड़क पर महिला का अधजला शव, सिर पर हमला कर की हत्या

September 29, 2023

बंगाल: खेत में मिला युवती का अधजला शव, भाजपा ने I.N.D.I. गठबंधन से पूछा- आलोचना भी करेंगे या नहीं?

September 29, 2023
Our Picks

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के राजस्थान दौरे से उतरा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के माथे पर पसीना

September 29, 2023

राघव चड्ढा की अमीरी पर सवाल करने वाले कांग्रेसी MLA को पंजाब पुलिस ने उठाया

September 28, 2023

एस जयशंकर ने वैश्विक मंच पर भारतीय एजेंडा तय कर दिया है

September 28, 2023

रोजगार मेला: 51000 युवाओं को सरकारी नौकरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के 46 केंद्रों में बांटे नियुक्ति पत्र

September 26, 2023
Stay In Touch
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram
  • YouTube

हमसे सम्पर्क करें:
contact@thepamphlet.in

Facebook X (Twitter) Instagram YouTube
  • About Us
  • Contact Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • लोकप्रिय
  • नवीनतम
  • वीडियो
  • विमर्श
  • राजनीति
  • मीडिया पंचनामा
  • साहित्य
  • आर्थिकी
  • घुमक्कड़ी
  • दुनिया
  • विविध
  • व्यंग्य
© कॉपीराइट 2022-23 द पैम्फ़लेट । सभी अधिकार सुरक्षित हैं। Developed By North Rose Technologies

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.