महाराष्ट्र चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्रपति संभाजीनगर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए दिवंगत शिवसेना संस्थापक बाळासाहेब ठाकरे को याद किया। महाराष्ट्र चुनाव में बाळासाहेब ठाकरे का नाम तो आना ही था पर विडंबना यह है कि यह नाम उनके बेटे उद्धव ठाकरे से नहीं आ पाया…शायद राजनीतिक दबाव इसे ही कहते हैं।
संभाजीनगर में रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “महायुति सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर कर दिया और बालासाहेब ठाकरे की इच्छा पूरी की।”
एमवीए पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि महा विकास अघाड़ी सरकार ढाई साल तक सत्ता में रही, लेकिन कांग्रेस के दबाव के कारण शहर का नाम बदलने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
पीएम मोदी द्वारा छत्रपति संभाजीनगर का जिक्र करना दिलचस्प है क्योंकि औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने की मांग बालासाहेब ठाकरे ने उठाई थी। पर उद्धव ठाकरे ने सत्ता में रहते हुए इसपर कभी कदम नहीं उठाया, शायद यह गठबंधन का दबाव था।
यहां तक कि जब महायुति सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर किया था तो कांग्रेस पार्टी इस फैसले को पलटने के लिए अदालत तक गई थी।
अब आप ही बताइए कि इसे राजनीतिक दबाव ही कहेंगे कि अपने पिता की इच्छा के खिलाफ जाने वाली पार्टियों के साथ न सिर्फ उद्धव ठाकरे खड़े हैं बल्कि अपनी ही राजनीतिक विरासत को भूल बैठे हैं। राजनीतिक गलियारों में तो यह भी खबर है कि महा विकास अघाड़ी बैकडोर से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का समर्थन कर रहे हैं, हालांकि दोनों में गठबंधन नहींं हुआ है।
ऐसे में क्या यह कहना गलत होगा कि उद्धव ठाकरे सत्ता मोह में अपने पिता और उनकी विरासत को भुलाकर ऐसे दलों के साथ खड़े हैं जो उस हर वैल्यू के खिलाफ है जिसके लिए जीवनपर्यंत बालासाहेब ठाकरे ने काम किया था।
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