“Commingled with the flow of the yamuna
The Ganga at places looks like the body of
Shiv smeared with white ashes and decorated
With a large dark serpent and shines”
इन पंक्तियों का अर्थ है कि प्रयागराज में जब गंगा और यमुना का संगम होता है तब वह मिश्रित धारा का बहाव ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं शिव अपनी देह पर भस्म लगाकर और गले में वासुकी को लपेटकर चले जा रहे हो।
महाकवि कालिदास ने अपने संस्कृत महाकाव्य रघुवंशम में प्रयागराज के गंगा और यमुना के संगम को परिभाषित करते हुए यह बात कही है। प्रयागराज के ऐसे पवित्र संगम पर एक बार फिर 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच Maha Kumbh आयोजित होने जा रहा है।
कुंभ अतिप्राचीन है। सनातन है। हिंदुओं के अस्तित्व का हिस्सा है। सनातन धर्म में आस्था रखने वाले हिंदू विश्व के किसी भी कोने में रहते हो वे जीवन में एक बार कुंभ अवश्य आना चाहते हैं। एक बार संगम अवश्य आना चाहते हैं। 2025 का Maha Kumbh भी ऐसा ही भव्य-दिव्य और विशाल होने जा रहा है। ऐसे महाकुंभ की तैयारियां भी उसी स्तर पर की जा रही हैं।
इसी क्रम में उत्तर-प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बड़ा निर्णय करते हुए महाकुंभ क्षेत्र को नया जनपद घोषित कर दिया है। जी हाँ, अब उत्तर-प्रदेश में 75 नहीं, 76 जनपद हो गए हैं।
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नए जनपद का नाम रखा गया है महाकुंभ मेला जनपद। महाकुंभ मेला जनपद में 4 तहसीलों- सदर, सोरांव, फूलपुर और करछना के 67 गांवों कों सम्मिलित किया गया है।
अब सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि नए जनपद की आवश्यकता क्या थी? तो देखिए, कुंभ मेला क्षेत्र में वर्ष में कम से कम 2 महीने के लिए उतने लोग आते हैं जो भारत के किसी एक प्रदेश की जनसंख्या से भी अधिक हो सकते हैं।
2025 के महाकुंभ में भी लगभग 50 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। अब आप समझिए, 2011 की जनगणना के अनुसार पूरे देश की जनसंख्या लगभग 120 करोड़ है और अकेले कुंभ में लगभग 50 करोड़ लोग पहुँच सकते हैं।
ऐसे में इन लगभग 50 करोड़ों लोगों के लिए सुचारू रूप से व्यवस्थाएं संचालित करने के लिए। मेले के आयोजन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए एक सुदृढ़, व्यवस्थित और केंद्रित प्रशासनिक ढांचे की सख्त ज़रूरत थी। यही कारण है कि कुंभ मेला क्षेत्र को नया जनपद घोषित किया गया है।
इसकी कितनी आवश्यकता थी, इसको आप इसी से समझ लीजिए कि Maha Kumbh 2025 के दौरान प्रयागराज के अलग-अलग रेलवे स्टेशनों पर हर दिन औसतन 800 रेलगाड़ियां तीर्थयात्रियों को लेकर पहुँचेंगी।
फ्लाइट्स की संख्या भी बड़े स्तर पर बढ़ाई जा रही है। कई शहरों के लिए स्पेशल फ्लाइट्स चलाई जाएंगी। पूरे यूपी से और देश के दूसरे राज्यों से स्पेशल बसें चलाई जाएंगी। एक अनुमान के मुताबिक उत्तर-प्रदेश के लगभग 30 प्रतिशत टेलीकॉम नेटवर्क की आवश्यकता अकेले प्रयागराज में पड़ेगी।
आम स्नान होंगे, राजसी स्नान होंगे, पर्वों के साथ प्रवचन होंगे, जगह-जगह यज्ञ होंगे, जगह-जगह मेले लगेंगे। पूरे देश और दुनिया से नागा साधु, संत, महात्मा और सिद्ध पुरुष वहाँ पहुँचेंगे।
अलग-अलग क्षेत्रों में पहचान रखने वाले दुनियाभग की प्रसिद्ध हस्तियां पहुँचेंगी। देश और दुनिया के तमाम नेता और लगभग पूरी दुनिया का मीडिया इसकी कवरेज के लिए पहुँचेगा। ऐसे में प्रशासनिक व्यवस्था बनाना और उसे बनाए रखना कोई आसान काम नहीं है।
एक बात और समझिए, सिर्फ Maha Kumbh 2025 को ध्यान में रखते हुए कुंभ मेला क्षेत्र को जनपद घोषित नहीं किया गया है बल्कि इसका उद्देश्य बड़ा है।
कुंभ मेला क्षेत्र में इस तरह के आयोजन समय-समय पर होते हैं। महाकुंभ होता है, अर्धकुंभ होता है और साथ ही वार्षिक मेला भी होता है। ऐसे में इस क्षेत्र के लिए एक पृथक प्रशासन की आवश्यकता थी जो नए जनपद के निर्माण से पूरी की गई है।
नए जनपद का निर्माण शासन और प्रशासन के स्तर पर तो मदद करेगा ही इसके साथ ही प्रयागराज की आर्थिक अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी में भी प्रभावी होगा।
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दरअसल, प्रयागराज के पूरब में काशी है। पूरब-दक्षिण में विंध्याचल है। पश्चिम-दक्षिण में मैहर है। पश्चिम में कौशांबी है। केंद्र में प्रयागराज को रखते हुए एक बड़े धार्मिक और सांस्कृति कॉरोडिर के ओर इसे पहला कदम भी समझा जा सकता है।
इस कॉरिडोर पर अगर काम किया जाता है तो यह न सिर्फ सांस्कृति पुरुत्थान बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए भी बूस्टर का काम कर सकता है।
इस तरह देखें तो एक बात कही जा सकती है कि Maha Kumbh मेला जनपद न सिर्फ महाकुंभ, अर्धकुंभ और वार्षिक मेले में बड़ी भूमिका निभाएगा बल्कि आने वाले वर्षों में पूरे प्रयागराज और आसपास के जनपदों के आर्थिक विकास में भी गुणात्मक बढ़ोतरी करता दिखाई दे सकता है।
इसका अर्थ है कि सिर्फ शासन-प्रशासन ही नहीं बल्कि क्षेत्र आम लोगों के लिए भी जनपद वरदान साबित हो सकता है। एक बात निश्चित तौर पर कही जा सकती है कि भविष्य में क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी में नए जनपद का निर्माण गुणात्मक रुप से वृद्धि करता दिखाई दे सकता है।