उत्तर प्रदेश में धर्मान्तरण मामले में पहली बार सजा दी गई है। ये सजा धर्मांतरण निषेध अधिनियम ,2021 के तहत दी गयी है। इस प्रकार के पहले मामले में अमरोहा की अदालत ने 26 साल के अफ़ज़ल को 5 साल की कैद एवं 40 हज़ार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
अफ़ज़ल को बीते साल अप्रैल में हिन्दू नाबालिग लड़की का अपहरण कर धर्मान्तरण करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। अफ़ज़ल की निशानदेही पर लड़की को बरामद किया गया था। उत्तर प्रदेश पुलिस अपर निदेशक अभियोजन हरेंद्र सिंह यादव ने बताया ,उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 के तहत प्रदेश में सजा का यह पहला मामला है।
इस मामले में हसनपुर स्थित नर्सरी के संचालक ने वर्ष 2021 में अफ़ज़ल पर अरमान कोहली बन 16 वर्षीय बेटी को प्रेम जाल में फँसाकर दिल्ली ले जाने का केस दर्ज़ कराया था। पुलिस को दोनों उस्मानपुर क्षेत्र से मिले थे।
इस केस में किशोरी ने अहम बयान दिया कि अफज़ल शादी करके उसका धर्म बदलवाना चाहता था। पिता ने भी पुलिस को बताया कि अफज़ल उनकी नर्सरी में पौधे भी ख़रीदने आता था।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार धर्म परिवर्तन रोकने के लिए साल 2020 में अध्यादेश लेकर आयी थी। बाद में राज्य सरकार ने अध्यादेश को बिल के रूप में पारित कर इसे कानून का रूप दे दिया था। जिसके बाद विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया था एवं मीडिया के एक विशेष वर्ग ने इस कानून को संविधान के खिलाफ भी बताया था।
एक प्रॉपगैंडा न्यूज़ पोर्टल द वायर ने लिखा “धर्मांतरण रोधी क़ानून धर्मनिरपेक्षता, निजता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन’’
और लिखा कि “लव जिहाद’ किसी समुदाय को निशाना बनाने का मामला नहीं, ये हिंदू महिलाओं की स्वतंत्रता आदि के खिलाफ कानून है और उन्हें इसका सबसे ज्यादा विरोध करना चाहिए. हिंदुओं के एक वर्ग के साथ-साथ मुस्लिम भी नहीं चाहते कि दूसरे धर्म में शादी हो’’
हालाँकि, धर्मांतरण मामले में तथ्य ये है कि गिरफ्तार हुआ अफ़ज़ल ,अरमान कोहली बन कर हिन्दू लड़की का धर्मान्तरण करवाना चाह रहा था।