ऐतिहासिक 17वीं लोकसभा और ओम बिरला
आम लोकसभा चुनाव 2019 के निवर्तमान लोकसभा अध्यक्ष महाजन महोदया द्वारा अपने कर्तव्य की इतिश्री पूरी करने के बाद विशेष तरह का कौतूहल सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच शुरू हुआ। इसी बीच चिर-परिचित अंदाज में जो नाम उभर कर सामने आया, जिस नाम की संभवतः किसी को आशा नहीं थी; वह नाम था मृदुभाषी मिलनसार और ऊर्जावान कोटा, राजस्थान से दूसरी बार चुने गए सांसद ओम बिरला!
2019 के आम चुनावों के बाद ये वह समय था जब भारतीय जनता पार्टी अपने उत्कर्ष पर थी और उसके लोकसभा में 303 सांसद थे; साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोगी दलों का साथ भी मजबूती से था। विपक्षी दल, विशेषकर राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी अपने विरोधी दल नेता होने लायक भी सांसद नहीं जीत पाई थी।
17वीं लोकसभा का कार्यकाल कई कारणों से कालजयी रहा और इसमें परिणाम स्पष्ट रूप से दूरगामी निकले। 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला बने, जो इससे पहले कोटा जिले से कई बार विधायक चुने गए और जनता के बीच अपने कार्यों से जमकर लोकप्रियता भी हासिल की।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जिस संसदीय क्षेत्र से चुनकर आते हैं वह जगह पूरे देश में शैक्षणिक संस्थान के रूप में चर्चित है – कोटा। पूरे देश के छात्र-छात्राएं यहां निजी कोचिंग संस्थान से पढ़कर देश के सर्वोच्च इंजीनियरिंग संस्थान IITs, NITs और मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करते हैं। गरीब, वंचित तथा पिछड़े समाज से आने वाले विद्यार्थियों को यहां के संस्थाओं का शुल्क जमा करने में दिक्कत होती है, कठिनाई होती है तो ऐसे भी कई अवसर होते हैं जब प्रतिभाशाली या वंचित अभ्यर्थियों के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के स्थानीय कार्यालय से शुल्क माफ करवाए जाते हैं या विशेष छूट दिलाई जाती है और साथ ही, यथासंभव मदद दी जाती है। कोटा संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार विजयी होने के पीछे का कारण जनसेवा है जो बिना किसी क्षेत्रगत भेदभाव या जाति-पंथ के आधार पर किसी प्रकार की बाधा नहीं होती है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 17वीं लोकसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन अपने संबोधन में कहा था कि इस लोकसभा में 97% उत्पादकता रही जिसमें विशेष रूप से महिला सांसदों की भागीदारी रही। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सत्रों में अंतिम सत्र में यह सबसे अधिक कार्य उत्पादकता है।
एक नज़र डालते हैं ओम बिरला के 17वीं लोकसभा कार्यकाल में लिए गए कुछ महत्वपूर्ण फ़ैसलों पर-
अनुच्छेद 370 और 35ए
संविधान में उपबंध जोड़कर अनुच्छेद 370 का मामला बेहद पेचिदा हो चुका था। देश की एकता और अखंडता के लिए नासूर बन गया था। पूर्व की कोई भी सरकार इस अनुच्छेद 370 को हटाने का तो दूर इस पर चर्चा करना भी उचित नहीं समझती थी, विशेष रूप से वोट बैंक को देखते हुए। किंतु मजबूत मोदी सरकार सरकार और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की सूझबूझ से सरकार ने सन 2019 में अधिनियम लाकर भारत के लोकतंत्र से समझौता करने वाले अनुच्छेद 370 तथा 35 A का उन्मूलन कर दिया। जिससे लोकसभा अध्यक्ष ने पक्ष-विपक्ष को समुचित अवसर देकर इसकी लोकसभा संसद में बहस कराई। खास बात यह है कि उन्होंने कहा कि डॉक्टर भीमराव रामजी अंबेडकर ने भी अनुच्छेद 370 के विरोध में विचार संसद में दिए थे।
अनुच्छेद 370 और 35ए के विलोपित होने के साथ ही इस भौगोलिक क्षेत्र में राजनीतिक प्रशासनिक रूप से विभाजित कर जम्मू, कश्मीर व लद्दाख को दो केंद्र प्रशासित क्षेत्र घोषित किया गया। लद्दाख को स्वतंत्र और पूर्ण स्वायत्त शासन क्षेत्र घोषित कर नवीन प्रशासनिक विभाग बना दिया गया तथा जम्मू को एक साथ केंद्र शासित प्रदेश बनाकर अलग कर दिया गया। जिसे आगे चलकर पूर्ण राज्य का अधिकार देने की की संभावना है।
नया संसद भवन तथा सेंट्रल विस्टा
भारत की संसदीय प्रणाली ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली की अनुकृति है तथा उपनिवेशकालीन निर्मित संसद भवन तथा अन्य प्रशासनिक भवन का निर्माण 100 वर्ष पूर्व हुआ था। उस समय की शासन– प्रशासन तथा जनसंख्या भिन्न थी और आज अलग है। पूर्व की कांग्रेस (UPA) सरकार ने भी नई संसद भवन और प्रशासनिक भवन की आवश्यकता पर कमेटी गठित की थी किंतु समय के साथ अमल नहीं हुआ।
इस प्रकार भारतीय जनता पार्टी सरकार तथा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए नए संसद भवन व मंत्रालयों के विभाग हेतु नवीन कार्यालय के लिए सेंट्रल विस्टा का निर्माण कार्य द्रुत गति से प्रगति पर है।
वर्तमान दौर के सभी उपलब्ध सुविधाओं, तकनीकों और ग्रीन एनर्जी को ध्यान में रखकर साथ ही भारतीय स्थापत्यकला, सांस्कृतिक विरासत के साथ भविष्य के भारत का रेखांकन किया गया है। इसका निर्माण टाटा कंपनी को सौंपा गया है। प्रतिवर्ष 1000 करोड़ रुपए भारत सरकार के द्वारा किराए के रूप में निजी भवनों को किराए पर रख रखा था, जिस रूप में दिए जा रहे थे/हैं; प्रति वर्ष एक हजार करोड़ रूपए की बचत भी होगी।
तीन तलाक को अपराध घोषित करना
17वीं लोकसभा में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक मध्ययुगीन दकियानूसी रिवाज (तीन तलाक) को कानून बनाकर अपराध घोषित कर दंडनीय अपराध बना दिया। जिससे मुस्लिम बेटियों-बहनों को इस इंसानियत के विरुद्ध किए जाने वाले आतंक से मुक्ति मिल सके। इस अमानवीय कृत्य को लेकर लड़ाई लंबे कालखंड से चली आ रही थी किंतु लोकसभा अध्यक्ष ने अपने व्यवहार व कुशलता का परिचय देते हुए इसे संसद में पारित करवाकर कानून बना दिया। आज मुस्लिम महिलाएं खुली हवा में सांस ले रही हैं, साथ ही अपने अधिकार के प्रति सजग, सचेत व सतर्क रहती हैं।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम
किसी भी युग की आधी आबादी महिलाओं की रही है। किन्तु उनके उचित प्रतिनिधित्व के बिना लोकतांत्रिक प्रगति को नहीं माप सकते। आमतौर पर इस बिल को महिला आरक्षण विधेयक भी कहते हैं। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने तीन दशक से ऊपर लंबित इस बिल को लोकसभा से पास कर अगले सत्र की संसदीय चुनाव प्रणाली में एक तिहाई सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया गया। इस प्रकार राजनीतिक व्यवस्था में भारी बदलाव देखने को मिलने की आशा है।
CAA एवं NRC
लोकसभा और राज्यसभा के द्वारा पारित अधिनियम भारत के पड़ोसी देश; खासकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के पंथिक व मजहबियत से उत्पीड़न, प्रताड़ित और शोषित अल्पसंख्यक खासकर हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई और अन्य गैर मुस्लिम भारत में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना।
NRC में जो लोग दूसरे देशों से खासकर म्यांमार से रोहिंग्या मुस्लिम व बांग्लादेश से मुस्लिम गैर कानूनी ढंग से भारत में प्रवेश कर गए हैं उन्हें चिन्हित कर उन्हें उनके मूल देश निर्वासित किया जाए । यह देश की एकता ,अखंडता, रक्षा और सुरक्षा के लिए अनिवार्य तत्व है।
प्रेरणा स्थल
स्वतन्त्रता सेनानी, क्रांतिवीर और लोक प्रसिद्ध व्यक्तियों की आदमकद प्रतिमा संसद भवन के प्रांगण में एक जगह समूह में स्थापित कर प्रेरणा स्थल के रुप में संरक्षित कर विकसित किया गया है। जिससे नवांगतुको को राष्ट्र प्रेम के प्रति श्रद्धा बढ़ेगी।
कुल मिलाकर 17वीं लोकसभा ऐतिहासिक निर्णय, कालजई निर्माण तथा दूरगामी परिणाम वाला कालखंड रहा।वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी अपने पद की प्रतिष्ठा गरिमा और मान-सम्मान अक्षुण्ण बनाए रखा साथ ही उन्होंने अपने व्यवहार- कुशलता, न्यायप्रियता और समरस विचार से विपक्ष के नेताओं को बराबरी का अधिकार, यथोचित सम्मान और संसदीय प्रणाली के तहत अपनी बात रखने, बहस करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया। इससे स्वस्थ लोकतंत्र को मजबूती मिली।
अत: पूरे पांच वर्ष के कालखंड में उनके प्रति कोई भेदभाव वाली घटना नहीं सुनने को मिली वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी अपने पद के साथ पूर्ण न्याय, संपूर्ण समन्वय और पक्ष-विपक्ष के बीच मजबूत कड़ी के रूप में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर भूमिकाओं का निर्वहन किया।