2 मार्च को भाजपा की पहली लिस्ट की घोषणा हुई। हालांकि टिकटों के दावेदार और फॉलोवर्स उलझन में थे, लेकिन
राजनीति में रूचि रखने वालों के लिए तो चुनाव लोकतंत्र का उत्सव हैं (आखिरकार, ग्रीस की तरह ही भारत भी लोकतंत्र
की जननी होने का दावा करता है)। इस बीच चुनावी पंडित हरकत में आ गए और चर्चा करने लगे, कुछ उम्मीदवारों को
चुना गया और कुछ को नहीं, ऐसा क्यों। इस लेख में पाठक भारत के एक प्रमुख शाही राजवंश सिंधिया और लोक सभा
निर्वाचन क्षेत्र के बीच के ऐतिहासिक कनेक्शन को समझ सकेंगे, जिसने इस परिवार के कई सदस्यों की राजनीतिक यात्रा में
विशेष भूमिका निभाई है और इस सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम प्रमुख है।
राजनीति
गुना लोक सभा सीट में आठ विधानसभा सेगमेन्ट्स शामिल हैं- शिवपुरी, पिछोर, कोलारस, बमोरी, गुना, अशोक नगर,
चंदेरी और मुंगावली। भारतीय इतिहास की बात करें तो अठारवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में जब मराठा सिंधिया ‘हिंदवी
स्वराज्य आंदोलन’ के योद्धाओं के रूप में डेक्कन से मध्य भारत पहुंचे, तब उन्होंने इन स्थानों पर जीत हासिल कर ली थी।
इस आंदोलन की नींव छत्रपति शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई ने रखी थी, जिसे बाद में खुद शिवाजी महाराज ने
मजबूती दी।
लेकिन उनके सपने को वास्तव में महाराजा महादजी सिंधिया ने साकार किया; उन्होंने मुगल साम्राज्य की चार पूर्व
राजधानियोंः आगरा, फतेहपुर सीकरी, दिल्ली और लाहौर में मराठा झंडा लहराया। वे वास्तव में सच्चे देशभक्त और बहादुर
योद्धा थे, जिन्होंने अंग्रेज़ों और मराठा के पहले युद्ध में अंग्रेज़ों को परास्त किया। वडगांव में ब्रिटिश का सरेंडर करना उनकी
शक्ति का प्रतीक साबित हुआ।
शिवपुरी जो अब गुना लोक सभा में है, को महाराजा माधो राव सिंधिया के शासनकाल के दौरान सिंधिया राज्य की
ग्रीष्मकालीन राजधानी चुना गया। उनके निधन के बाद, 1925 में टेलीग्राफ अखबार में छापा गया था कि ‘‘किसी भी
भारतीय राजकुमार ने इस तरह से अपने राज्य में न सिर्फ बेहतरीन प्रशासन का बल्कि विज्ञान एवं राजनीति के आधुनिक
तरीकों का प्रदर्शन नहीं किया, जैसा कि ग्वालियर के महाराजा सिंधिया ने किया है।’’
भारत की आज़ादी के बाद, गुना लोक सभा में सिंधिया की चुनावी जीत का लम्बा इतिहास रहा है, फिर चाहे उन्होंने किसी
भी पार्टी से चुनाव लड़ा हो। विजय राजे सिंधिया ने 1957, 1967, 1989, 1991, 1996 और 1998 में सीट जीती। उनके बेटे
माधवराव जीवाजीराव सिंधिया ने 1971, 1977, 1980 और 1999 में निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया; उनके बेटे
ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने लगातार चार बार 2002 (बायपोल), 2004, 2009 और 2014 में सीट जीती।
भले ही, ज्योदिरादित्य 2019 में चुनाव हार गए, लेकिन उन्होंने पूरे ग्वालियर-चंबल बेल्ट में अपने राजनीतिक प्रभाव का
इस्तेमाल कर एमपी में भाजपा को चुनावी फायदा पहुंचाकर अपनी काबिलियत साबित कर दी। 2023 के विधानसभा
चुनाव में पार्टी सत्ता में आ गई, और उन्होंने कई चुनावी विशेषज्ञों को गलत साबित कर दिया जो सत्ता विरोधी लहर की भविष्यवाणी कर रहे थे। 2024 में महाराजा ज्योतिरादित्य गुना से फिर से लोकसभा चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन इस
बार भाजपा के उम्मीदवार के रूप में, एक पार्टी जिसकी नींव उनकी दादी ने रखी थी।
विकास
आज की दौर की गुना लोक सभा, कभी सिंधिया के राज्य का हिस्सा हुआ करती थी; यह दौर वास्तव में क्षेत्र के विकास के
लिए सुनहरा दौर था। शिवपुरी उस समय एक छोटी छावनी की तरह था, जहां सिर्फ एक छोटा सा शहर था। बाद में
महाराजा माधो राव सिंधिया (1886-1925) ने इस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया और गर्मियों में यहां अपनी सरकार की सीट
स्थापित करने का फैसला लिया। उन्होंने शिवपुरी को आकर्षक बनाने के लिए काफी पैसा और समय खर्च किया।
जंगलों को काट कर, पहाड़ों एवं झरनों के उपर से कृत्रिम झीलों के किनारों पर सड़कें बनाई गईं, ताकि इन क्षेत्रों तक
पर्यटकों की पहुंच बढ़ सके। शहर तक बिजली पहुंचाई गई, पानी की अच्छी आपूर्ति उपलब्ध कराई गई। इसे सिंदिया
ग्वालियर लाईट रेलवे लाईन तथा सिंधिया ग्वालियर और नोर्थ इंडियन ट्रांसपोर्ट कंपनी लिमिटेड (जिसे बाद में दिल्ली
परिवहन निगम में बदल दिया गया) की बसों के द्वारा सिंधिया राज्य की शीतकालीन राजधानी शिवपुरी से जोड़ा गया।
1899 में महाराजा माधो राव सिंधिया ने गुना और बारन के बीच रेलवे की शुरूआत की, तभी से गुना में कारोबार में काफी
बढ़ोतरी होने लगी। बीना-गुना बारन लाईन का निर्माण सिंधिया के ग्वालियर दरबार की लागत पर किया गया और इसे
जी.आई.पी. रेलवे के प्रबन्धन को सौंप दिया गया। गुना रेलवे स्टेशन का निर्माण भी महाराजा ने ही किया था। गुना
अस्पताल के लिए एक्स-रे मशीन की खरीद हेतु सरकारी अनुदान दिया गया, साथ ही गुना में एक पशु अस्पताल भी बनाया
गया। यह शहर सेंट जॉन एम्बुलेन्स एसोसिएशन का भी केन्द्र था।
गुना के नज़दीक एक तालाब बनाया गया, जो 1,200 मिलियन क्यूबिक फीट तक पानी होल्ड करने और 16,000 बीघा की
सिंचाई में सक्षम था। उस समय इसकी लागत तकरीबन रु 6,00,000 आई थी। साथ ही पुराने कुओं की मरम्मत, नए कुंओं
के निर्माण के लिए लोन दिए गए। बीजों, बैल एवं उर्वरक की खरीद के लिए एक मंडी बनाई गई।
शिवपुरी और गुना के अलावा आस पास के क्षेत्रों के विकास पर भी ध्यान दिया गया। महाराजा माधो राव सिंधिया द्वारा
वित्तपोषित जी.आई.पी.आर की बीना-बारन शाखा की ओपनिंग के बाद अनाज निर्यात केन्द्र के रूप में मुंगावली का महत्व
कहीं अधिक बढ़ गया। 1904 में माधो राव सिंधिया ने मुंगावली में एक नगरपालिका की स्थापना की थी। कोलारस में डाक
और निरीक्षण बंगले बनवाए गए और धातु की एक सड़क भी बनाई गई। पिछौर, डकैतों के लिए कुख्यात था। महाराजा
माधो राव सिंधिया ने सुनिश्चित किया कि सभी डकैत जो लम्बे समय तक अधिकारियों की पहुंच से बाहर थे, उन्हें पकड़ा
जाए। डकैतों द्वारा चुराई गई सम्पत्ति बड़ी मात्रा में बरामद की गई।
चंदेरी की बात करें तो यहां सिंधिया के योगदान की वजह से टेक्सटाईल उद्योग काफी विकसित हो गया था। महाराज
माधो राव सिंधिया के समय में, उद्योग जगत के सर्वेक्षण के ऑर्डर सिंधिया दरबार द्वारा पास किए जाते थे। लाला बाबूलाल
गोविला ‘टेक्सटाईल इंजीनियर- टोकियो’ को काम हाथ में लेने और सरकार को पूरी रिपोर्ट सौंपने की ज़िम्मेदारी दी गई।
यह साल 1909 की बात थी, लाला बाबूलाल गोविला ने ज़रूरी इन्क्वायरी के बाद अपनी रिपोर्ट पेश की। उनके सुझाव को दरबार में पूरी तरह से स्वीकार कर लिया गया और चंदेरी में टेक्सटाईल टेक्नोलॉजी संस्थान और टेक्सटाईल स्टोर के लिए अनुमोदन दिया गया। गोविला को इसे अंजाम देने की ज़िम्मेदारी दी गई। तकरीबन एक साल के समय में सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त दो संस्थान बनाए गए। आज़ादी के बाद, ज्योतिरादित्य ने उनके दादा जी की विरासत को आगे बढ़ाया। गुना के एमपी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने रु 2100 करोड़ के विकास कार्य शुरू किए। 2016 में बिज़नेस स्टैण्डर्ड ने रिपोर्ट किया था कि ‘ज्योतिरादित्य सिंधिया चंदेरी फ्लेवर को एमज़ॉन इंडियन फैशन वीक’ में ले आए हैं।’’ हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा चंदेरी तहसील के प्राणपुर गांव में देश के पहले ‘क्राफ्ट हैण्डलूम टूरिज़्म विलेज’ की स्थापना के अवसर पर भी सिंधिया मौजूद रहे। इस अवसर पर रु 45-45 करोड़ के साथ उड़ान योजना के तहत गुना एवं शिवपुरी एयपोर्ट्स के विकास की घोषणा भी की गई। वास्तव में सिंधिया परिवार ने गुना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
निष्कर्ष
चुनाव आयोग ने 16 मार्च को लोक सभा मतदान का शेड्यूल घोषित कर दिया है। चुनाव 7 चरणों में होंगे। वोटिंग 19
अप्रैल से 1 जून तक चलेगी और गुना में मतदान 7 मई को होंगे। मतगणना 4 जून को होगी। चुनाव वास्तव में लोकतंत्र का
उत्सव हैं और भारत में लोक सभा चुनाव दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का उत्सव हैं। सभी मतदाताओं को देश के सर्वश्रेष्ठ
हित के लिए अपने मतदान के अधिकार का उपयोग करना चाहिए। तो लोकतंत्र के इस उत्सव और गुना के विकास में अपना
योगदान दें।
लेख साभार:
- अरुणांश बी. गोस्वामी, हैड, सिंदिया रीसर्च सेंटर, ग्वालियर
- सुमित कौशिक, पीएचडी उम्मीदवार, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल युनिवर्सिटी और सोशल इम्पैक्ट कन्सलटेन्ट