समान नागरिक संहिता (UCC) पर चर्चाओं के बीच भारत के विधि आयोग को यूसीसी पर देश भर से जबरदस्त प्रतिक्रियाएं मिली हैं। आयोग ने बताया कि वह सभी हितधारकों के बीच पैनल चर्चा और बहस आयोजित करेगा।
जानकारी के अनुसार विधि आयोग को यूसीसी पर 75 लाख से भी अधिक प्रतिक्रियाएं मिली हैं। पैनल ने संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों से विचार मांगे थे। इसपर भारत के राष्ट्रपति के कार्यालय को 3 लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए हैं। वहीं, प्रधान मंत्री कार्यालय को भी 2 लाख से अधिक प्रतिक्रियाएं मिली हैं।
उल्लेखनीय है कि विधि आयोग द्वारा इन प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया जाएगा। विधि आयोग द्वारा चुनिंदा पार्टियों के साथ वन-टू-वन चर्चा और यूसीसी पर सार्वजनिक बहस, सेमिनार और संगोष्ठियां आयोजित की जाएगी।
विधि आयोग के एक अधिकारी के अनुसार हितधारकों से प्राप्त सभी प्रतिक्रियाओं को एकत्र किया जा रहा है। इनकी रिपोर्ट का मसौदा तैयार करके निष्कर्ष तैयार किए जाएंगे। साथ ही सिफारिशों की एक श्रृंखला सूचीबद्ध करके इसे कानून मंत्रालय को सौंपा जाएगा। वही, इसकी समयसीमा बढ़ाने की संभावनाओं पर विधि आयोग ने असहमति जताई है।
बता दें कि जून 14, 2023 को प्रतिक्रियाएं प्रस्तुत करने की मूल एक माह की समय सीमा समाप्त हो गई थी पर पैनल द्वारा इस सीमा को 28 जुलाई तक बढ़ाया गया था।
समान नागरिक संहिता पर राजनीतिक दल बंटे नजर आ रहे हैं। हालांकि यूसीसी का उद्देश्य समान व्यक्तिगत कानूनों को लागू करना है जो सभी नागरिकों पर उनके धर्म, लिंग, जाति आदि की परवाह किए बिना लागू होंगे। अनिवार्य रूप से यह कानूनों के एक मानकीकृत सेट की स्थापना पर जोर देता है जो विवाह, तलाक, विरासत, उत्तराधिकार और गोद लेने सहित व्यक्तिगत मामलों पर जोर देता है।
वर्तमान स्थिति की बात करें तो देश में विभिन्न समुदायों से संबंधित व्यक्तिगत कानून मुख्य रूप से उनकी संबंधित धार्मिक प्रथाओं से प्रभावित करते हैं। संभावित है कि मानसून सत्र के दौरान सरकार के द्वारा यूसीसी पर सदन में बिल पेश किया जाएगा।
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