लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) भारत के नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ होंगे। वह दिवंगत जनरल बिपिन रावत की जगह लेंगे, जिनकी दिसंबर 2021 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान सैन्य मामले विभाग में भारत सरकार के सचिव के तौर पर भी अपनी सेवाएं देंगे।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम हैं। उनकी आखिरी पोस्टिंग ईस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी)-इन-चीफ के रूप में थी।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को जानें
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने कोलकाता के केंद्रीय विद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की है।
भारतीय सेना में शामिल होने की प्रेरणा उन्हें कोलकाता में रहते समय ही हुई थी।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं।
उनके चार दशकों के सैन्य करियर की शुरुआत 1981 में हुई जब 11वीं गोरखा राइफल्स में वे गए।
उन्होंने मेजर जनरल के रूप में बारामूला में उत्तरी कमान के एक इन्फैंट्री सेना डिवीजन की कमान संभाली थी।
2017 से 2018 तक उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल के तौर पर नागालैंड स्थित तीसरी कोर के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में कार्य किया।
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान (सेवानिवृत्त) ने संयुक्त राष्ट्र के लिए अंगोला में एक शांति मिशन में भी अपनी सेवा दी है।
जनवरी 2018 में, उन्हें DGMO यानी महानिदेशक सैन्य अभियान नियुक्त किया गया था।
इस दौरान उन्होंने दो प्रमुख सैन्य अभियानों को अंजाम दिया – 2019 में पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी हवाई हमले और ऑपरेशन सनराइज – एक संयुक्त भारत-म्यांमार आतंकवाद विरोधी स्ट्राइक।
सितंबर 2019 को, उनके पूर्ववर्ती मनोज मुकुंद नरवणे की पदोन्नति पर पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को नियुक्त किया गया था।
31 मई, 2021 को वे आर्मी से सेनानिवृत्त हो गए। सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने अजीत डोभाल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य किया।
नए सीडीएस के तौर पर उनके समक्ष कई चुनौतियां हैं। स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत की जगह भरना अपने आप में कठिन कार्य है।
हालाँकि, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान भी आखिरी सांस तक देश के लिए सबकुछ न्योछावर करने के लिए तैयार हैं।