आम आदमी पार्टी की सरकार वाले पंजाब की कानून व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। ड्रग्स और गुंडागर्दी के बाद अब पंजाब में देशविरोधी तत्वों का बोलबाला हो चुका है।
इसका एक उदारहण कल देखने को मिला जब खुद को ‘वारिस पंजाब दे’ नाम के संगठन के मुखिया बताने वाले अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने अमृतसर के अजनाला थाने पर हमला करके कई पुलिस वालों को घायल कर दिया और घंटों तक उत्पात मचाया।
शुक्रवार शाम इसी घटना को लेकर पंजाब पुलिस के मुखिया गौरव यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। यादव ने बताया है कि उत्पात मचाने वालों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन की बात कह कर इजाजत ली थी लेकिन भीड़ ने बाद में पुलिस पर पत्थरों और नुकीले हथियारों से हमला कर दिया।
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डीजीपी यादव ने यह भी बताया कि खालिस्तानियों की इस भीड़ ने यह पूरा हमला गुरु ग्रन्थ साहिब की आड़ लेकर किया। पुलिस पवित्र ग्रन्थ की मर्यादा को बनाए रखने के प्रयास के चलते चोटिल हो गई। इस पूरी घटना में 6 पुलिस वाले घायल हुए हैं।
डीजीपी यादव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी और पंजाब पुलिस में एसपी जुगराज सिंह को इस झडप के दौरान गंभीर चोटें लगी हैं और उनके 11 टाँके लगाए गए हैं। उन्होंने खालिस्तानियों के इस हमले को एक कायरतापूर्ण कृत्य बताया है। डीजीपी ने यह भी कहा है कि सभी आरोपियों की पहचान की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
यह पूरा मामला अमृतपाल के एक करीबी लवप्रीत नाम के व्यक्ति से जुड़ा हुआ है। लवप्रीत के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज हुई थी जिसके कारण उसे गिरफ्तार किया गया था।
इसी मामले को लेकर अमृतपाल और उसके समर्थकों ने कल पूरे दिन अराजकता की। अमृतपाल ने कल पंजाब पुलिस को चुनौती देते हुए कहा था कि आधे घंटे के अंदर लवप्रीत को छोड़ दिया जाए वरना जो कुछ होगा उसका जिम्मेदार प्रशासन होगा।
अमृतपाल लगातार पुलिस प्रशासन को धमकियां दे रहा था जिसके बाद उसके समर्थक खालिस्तानियों की इस भीड़ इस थाने पर हमला कर दिया। इसके बाद पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने दबाव में आकर लवप्रीत को छोड़ने का ऐलान कर दिया था और 24 फरवरी को उसे छोड़ भी दिया गया है।
पंजाब पुलिस और प्रशासन समेत सरकार के खालिस्तानियों के सामने इस प्रकार आत्मसमर्पण की सोशल मीडिया समेत देश भर में खूब आलोचना हो रही है। गौरतलब है कि अमृतपाल का पंजाब में कुछ ही समय पहले उद्भव हुआ है और वह इससे पहले दुबई में ट्रक चलाता था।
वह जिस वारिस पंजाब दे संगठन का मुखिया होने का दावा करता है उसका गठन अभिनेता दीप सिद्धू ने किया था जिसकी पिछले वर्ष एक सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी।
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अमृतपाल सिख वेशभूषा में रहता है और पंजाब में नशे के खिलाफ अभियान चलाने की बातें करता है। अमृतपाल लगातार खालिस्तान की मांग उठाते हुए देश विरोधी बयान देता आया है। उसने अपना हाव-भाव जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह बना रखा है। भिंडरावाले 1980 के दशक में पंजाब में खालिस्तान की मांग करता था और भारतीय सेना ने उसे अमृतसर में ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान वर्ष 1984 में मार गिराया था।
अमृतपाल सिंह हाल ही में देश के गृह मंत्री अमित शाह पर भी विवादित बयान दे चुका है। उसने अमित शाह और को देश की पुर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी जैसा हश्र भुगतने की बात कही थी। इंदिरा गांधी की उनके ही दो सिख अंगरक्षकों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी।
अमृतपाल अपने चारों तरफ तलवार और बंदूकों से सुसज्जित गार्ड रखता है और बात बात पर भीड़ के सहारे क़ानून व्यवस्था बिगाड़ने की धमकी देता है। वहीं, पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार इस पूरे अराजकता के माहौल को नियन्त्रण में नहीं ला पा रही है।
पंजाब में आम आदमी पार्टी के ऊपर खालिस्तानी भावनाओं को जानबूझ कर भड़कने देने और उनका पोषण करने के आरोप भी कई लोगों ने लगाए हैं। कानून व्यवस्था के मामले में भी मुख्यमंत्री भगवंत मान का ट्रैक रिकॉर्ड कुछ ख़ास नहीं रहा है।
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भगवंत मान एक लगभग 1 वर्ष के कार्यकाल के अंदर कई बड़ी आपराधिक घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या प्रमुख है।
अब अजनाला की इस घटना के बाद पंजाब की सरकार पर लगातार सवाल उठ रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान कोई जवाब नहीं दे रहे हैं ना ही खालिस्तानियों के खिलाफ कोई कड़ी कार्यवाही होने की बात की जा रही है।