पिछले दिनों से पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति पुतिन को दी गई सलाह अंतरराष्ट्रीय मीडिया और नेताओं में छाई हुई है। इस बीच लग रहा है कि उन्होंने वैश्विक राजनीति के केंद्र में भारत को लाकर खड़ा किया है और भारत और उसके नेता की बात अब सभी ध्यान से सुन रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को कहा था कि आज का समय युद्ध का नहीं है। इस बात को फ्रांस के राष्ट्रपति और अमेरिकी NSA के साथ ही वैश्विक मीडिया ने भी खूब जगह दी।
अब खबर ये है कि कजाकिस्तान ने अक्टूबर 2022 में होने वाली ‘काॅन्फ्रेंस ऑन इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग मेजर्स इन एशिया’ (Conference on Interaction and Confidence-Building Measures in Asia- CICA) में शिरकत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को न्योता भेजा है। सम्मलेन का आयोजन कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में 12-13 अक्टूबर को होगा।
कुछ दिन पहले संपन्न हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मलेन में जब अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्ष मिले तो वैश्विक राजनीति के बहुत से नए समीकरण बने। अब कजाकिस्तान में आयोजित होने वाले CICA सम्मलेन में ‘मध्य एशियाई’ देशों के पास भारत से अपने रिश्तों को प्रगाढ़ करने का सुनहरा मौका होगा।
बैठक को लेकर कजाकिस्तान की उम्मीदें
कजाकिस्तान सरकार के एक अधिकारी ने सिखर सम्मलेन के बारे में मीडिया से बात करते हुए बताया कि, “सीआईसीए की 30वीं वर्षगांठ के वर्ष में आयोजित होने वाले इस शिखर सम्मेलन, जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य सभी प्रतिभागी और पर्यवेक्षक राष्ट्रों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है, इस क्षेत्र के एकीकरण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। सभी देश मिलकर आधुनिक चुनौतियों और खतरों का सामना करने के लिए प्रण करेंगे।”
कजाकिस्तान और मध्य एशियाई देश
- कजाकिस्तान ने वर्ष 1991 में सोवियत यूनियन से निकलने के प्रस्ताव पर एक जनमत संग्रह करवाई थी और एक अलग राष्ट्र बनने की घोषणा की थी।
- इसके बाद से ही कजाकिस्तान समेत मध्य एशियाई राष्ट्रों ने वैश्विक समुदाय का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया था।
- कजाकिस्तान मध्य एशिया का सबसे संपन्न देश है।
- कजाकिस्तान मध्य एशिया में मौजूद देशों में क्षेत्रफल के मामले में भी सबसे बड़ा है।
- साथ ही कजाकिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है।
- यह क्षेत्र न केवल खनिज संसाधनों में समृद्ध है, बल्कि एक संतुलित विदेश नीति भी अपना रहा है।
- अपने संतुलित कदम से इन देशों ने विश्व की सारी महाशक्तियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।
कजाकिस्तान में सम्मलेन और भारत
- CICA सम्मलेन में शिरकत करने के लिए पहली बार भारत को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी के नेतृत्व में जुलाई, 2002 में आमंत्रित किया गया था।
- इस सम्मलेन की ख़ास बात यह थी कि इसमें कजाकिस्तान की राजधानी का नाम ‘नूर-सुल्तान’ से पुनः ‘अस्ताना’ करने पर सहमति बनी थी।
- प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसके पहले दो बार कजाकिस्तान का दौरा कर चुके हैं।
- मोदी साल 2015 में द्विपक्षीय वार्ता के लिए और वर्ष 2017 में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेश सम्मलेन में शिरकत करने के लिए कजाकिस्तान जा चुके हैं।
सम्मलेन से भारत की उम्मीदें
हाल ही में संपन्न हुए शंघाई सहयोग संगठन सम्मलेन भारत के लिए काफी सफल रहा है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का पक्ष रखते हुए कई मुद्दों पर चर्चाएँ की, विश्व के अनेक राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात की। उन्होंने रूस-यूक्रेन विवाद और अफगानिस्तान पर भी चर्चा की। भारत के आने वाले वर्षों में लक्ष्य के बारे में भी बताया। इस सम्मलेन में भारत को वर्ष 2023 में होने वाले शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेश सम्मलेन की अध्यक्षता भी मिली और बनारस को पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी ने रूप में स्वीकृत किया गया। कुल मिलाकर यह सम्मलेन भारत के लिए बहुत सारी सम्भावनाएँ लेकर आया। अब यह देखना दिलचस्प होगा की मध्य एशिया के ‘सबसे समृद्ध देश’ कजाकिस्तान में आयोजित होने वाले CICA सम्मलेन से भारत को कूटनैतिक तौर पर कितना फायदा होता है।