घाटी में 32 वर्ष के बाद फिर से सिनेप्रेमियों के लिए एक सिनेमाघर की शुरुआत होने वाली है। श्रीनगर में शुरू होने वाला यह सिनेमाघर विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस एक 3 स्क्रीन वाला मल्टीप्लेक्स होगा।
कश्मीर में आतंक के काले साए के कारण 32 साल से कोई भी सिनेमाघर नहीं था लेकिन स्थितियां सुधरने और आतंकवाद में कमी के कारण अब सिनेमा वापस घाटी में लौट रहा है, अभी यह सिनेमाघर अपने निर्माण के अंतिम चरण में है।
कभी विविधतापूर्ण संस्कृति वाली घाटी में सिनेमा हुआ करते थे लेकिन जिहादी और रूढ़िवादी मानसिकता वालों के दबाव, आतंकवादियों की धमकियों और हमलों के कारण घाटी में इन्हें बंद करना पडा था।
कश्मीर में सिनेमा का इतिहास
कश्मीर में शुरुआत से ही सिनेमा के प्रति प्रेम काफी गाढ़ा रहा है, वेबसाइट आउटलुक के अनुसार कश्मीर में पहला सिनेमाघर वर्ष 1932 में खुला था, श्रीनगर के प्रसिद्ध लाल चौक पर स्थित ‘कश्मीर टॉकीज’ प्रारम्भ में हॉलीवुड की फ़िल्में दिखाया करता था।
बाद में इस सिनेमाघर का नाम पैलेडियम सिनेमा हो गया, यह सिनेमाघर कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी भी रहा है, इसी सिनेमाघर के सामने ही पंडित नेहरु ने कश्मीर में जनमत कराने की अपील की थी।
इस सिनेमाघर को 1989 में आतंकियों की धमकी के बाद बंद कर दिया गया था जिसके एक वर्ष बाद इसमें आग लग गई जिससे इसे काफी नुकसान हुआ। बताया जाता है कि कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के 1990 में शुरू होने से पहले करीब 15 सिनेमाघर हुआ करते थे, जिनमें से रीगल, पैलेडियम और ब्रॉडवे जैसे प्रमुख थे। कश्मीर में अन्य प्रमुख सिनेमाघर समद टॉकीज सोपोर में, निशांत टॉकीज अनंतनाग में और रेजिना सिनेमा बारामुला में थे।
आतंक का काला साया
कश्मीर में 80 के दशक के अंत में जब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की बुरी नजर पड़ी तो फलता-फूलता सिनेमा कारोबार भी इससे अछूता नहीं रह पाया, जिहादी और कट्टरपंथी मानसिकता वाले इन रूढ़िवादियों ने कश्मीर में सिनेमाघरों को धमकाने, उन पर ग्रेनेड फेंकने और उनके मालिकों को डराने जैसी गतिविधियाँ शुरू कर दी क्योंकि सिनेमा का दिखाया जाना आतंकवादियों की नज़र में गैर-इस्लामिक था।
कश्मीर में 90 के दशक के अंत सारे सिनेमाघरों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया और कश्मीर के लोगों को मध्यकालीन मानसिकता वाले लोगों ने मनोरंजन के साधनों से महरूम कर दिया।
हालांकि, 1999 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने इन सिनेमाघरों को प्रारम्भ करने का पुनः प्रयास किया, लेकिन पैलेडियम सिनेमा को खोलने के अगले ही दिन उसपर इस्लामिक आतंकवादियों ने ग्रेनेड फेंक कर हमला किया जिसमे एक व्यक्ति की जान चली गई और कई घायल हुए।
एक नई सुबह
कश्मीर में सिनेमा को वापस लाने के प्रयास काफी दिनों से चल रहे थे, पर धारा 370 के हटने और सुरक्षा स्थितियों के सामान्य होने के कारण इसमें 2019 के बाद काफी तेजी आई। जल्द ही खुलने जा रहा यह विश्वस्तरीय सिनेमाघर भारत की दूसरी सबसे बड़ी सिनेमाघरों की श्रंखला आइनॉक्स और कश्मीरी उद्योगपति विजय धर के आपसी सहयोग से बन रहा है।
इस सिनेमाघर में 3 अलग-अलग सिनेमा स्क्रीन होंगी और इसके साथ ही 520 लोगों के बैठने की क्षमता होगी, कश्मीर की भीषण ठण्ड को देखते हुए इस सिनेमाघर में बैठने वाली जगहों को गरम रखने की पूरी व्यवस्थाएं की गईं हैं, इसी के साथ ही इस सिनेमाघर में बच्चों के लिए भी व्यवस्थाएं भी की गईं हैं।
इस आधुनिक सिनेमाघर में खाने-पीने के लिए भी काफी व्यवस्थाएं की गईं हैं , समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए इस सिनेमाघर के मालिक विजय धर ने कहा, “ हमने महसूस किया कि पिछले तीस सालों से यहाँ ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, क्यों ना इसे शुरू किया जाए” साथ ही उन्होंने कहा कि “यहाँ पर भी युवाओं को वैसी ही सिनेमा की सुविधाएँ मिलनी चाहिए जैसी कि कश्मीर के बाहर अन्यत्र किसी जगह पाते हैं। ”
इस सिनेमाघर के खुलने के साथ ही कश्मीर के युवाओं के लिए रोजगार की नए अवसर पैदा होंगे और घाटी के वासियों के लिए मनोरंजन के साधन में बढ़ोत्तरी होगी।
धारा 370 के हटने से होने वाले बड़े बदलाव अब सामने आ रहे हैं, साथ ही आतंकवाद के झूठे प्रलोभनों और खोखले आजादी के दावों से कश्मीर का युवा अब प्रभावित ना होकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देना चाह रहा है। लगातार घटती आतंकवादी घटनाओं और कश्मीरी जनता का लोकतंत्र में बढ़ता विश्वास अब आतंकवाद और अविश्वास के माहौल पर बढ़त पा रहा है।