सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि वाराणसी के बाबा विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath) में ‘स्पर्श दर्शन के लिए शुल्क’ लगाने जा रही है।
देखते हैं कि इस दावे की सच्चाई क्या है
सोशल मीडिया पर कई एकाउंट्स हैं जिनके द्वारा यह बात कही जा रही है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए शुल्क लिया जाएगा। ये फ़ेक न्यूज़ फैलाने वालों में सबसे प्रमुख (न्यूसम) ‘Newsum’ नाम का ट्विटर अकाउंट है जो कि अक्सर मंदिर एवं हिंदू धर्म से जुड़ी खबरों पर पोस्टर भी बनाते हैं।
इस पोस्टर संदेश के वायरल होने के बाद कई लोगों ने ‘बाबा के स्पर्श दर्शन शुल्क’ का विरोध भी शुरू कर दिया।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी काशी विश्वनाथ मंदिर में शुल्क के बारे में फेक न्यूज़ फैलाई है। उन्होंने मंगलवार सुबह एक ट्वीट में लिखा, “श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श-दर्शन के लिए शुल्क की बात उठना भी धार्मिक आस्थाओं पर गहरी चोट है। काशी निवासी व विश्व भर के बाबा विश्वनाथ के भक्त इस समाचार से बेहद आहत हैं। धर्म का व्यावसायीकरण करनेवाली धन पिपासु भाजपा सरकार कल को ‘गंगा जी’ के स्पर्श का भी शुल्क लगा सकती है।
हालाँकि सोशल मीडिया पर किए जा रहे इन दावों को स्वयं काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने झूठ बताया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसी किसी भी व्यवस्था को लागू नहीं किया जा रहा है और कई बार ऐसा होता है जब बाबा के स्पर्श दर्शन के नाम पर भक्तों से ठगी हो जाती है।
वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने भी यह स्पष्ट किया है कि विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए कोई शुल्क लगाने का निर्णय नहीं लिया गया है और ऐसा कोई निर्णय भविष्य में अगर होगा तो उसकी जानकारी प्रशासन स्तर पर अवश्य दी जाएगी।
कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने स्पष्ट किया कि एक दिन ट्रस्ट की मीटिंग हुई थी उसके एक-दो दिन बाद भी ये बात आई थी और उस समय भी यह स्पष्ट कर दिया गया था।
“यह पुरानी ही बैठकों में जो कार्य किया है या उसमें डिस्कशन के पॉइंट होते हैं। वह अलग ट्रस्ट के लोगों के हवाले से बता दिए जाते हैं। सोशल मीडिया में कई मैसेज ऐसे भी सर्कुलेट हो जाते हैं तो पुरानी बातें होती हैं, जैसा मैंने बताया कि भारत के अलग-अलग मंदिरों की व्यवस्थाएं हैं और उसका तुलनात्मक अध्ययन किया गया था। उसकी ही चर्चाएं हुई थी, उन्हीं चर्चाओं में यह बात आई थी कि बाकी मंदिरों में इस प्रकार का शुल्क लगता है, लेकिन वाराणसी के मंदिर में कोई शुल्क लगाने का अभी निर्णय नहीं हुआ है और ऐसा कोई निर्णय भविष्य में अगर होगा तो उसकी जानकारी दी जाएगी।”
कमिश्नर कौशल राज शर्मा
कमिश्नर शर्मा ने स्पष्ट किया कि फिलहाल काशी विश्वनाथ मंदिर में किसी प्रकार के शुल्क की कोई व्यवस्था स्पर्श दर्शन के लिए नहीं की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जो आरतियां होती हैं, या जो अन्य हेल्प डेस्क के माध्यम से जो दर्शन होते हैं, उन्हीं के मूल्य जो पहले से निर्धारित है, वो वैसे ही रहेंगे और उसके अलावा कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में इसी @Newsumindia द्वारा ही उत्तराखण्ड स्थित जोशीमठ के मंदिर में मौजूद शिवलिंग पर दरार की फ़ेक कहानी भी फैलाई गई थी। जोशीमठ के मंदिर में ‘खंडित शिवलिंग’ की कहानी को ज्योतिर्मठ के प्रभारी श्री ब्रह्मचारी मुकुंदानंद जी ने ही झूठ बताया था।
सोशल मीडिया पर यह खबर एक अख़बार की कटिंग के साथ भी कई जगहों पर शेयर की गई है। इसके शीर्षक में भी मंदिर में स्पर्श दर्शन के बारे में यही दावा किया जा रहा है।
सर्च इंजन गूगल के सर्च रिजल्ट में यह खबर तलाशने पर पता चलता है कि हिन्दी समाचार पत्र दैनिक जागरण द्वारा मंदिर में शुल्क की खबर को प्रकाशित किया गया है। इसके अलावा नवभारत टाइम्स ने भी इस खबर को प्रकाशित किया है।
कई अन्य सोशल मीडिया एकाउंट्स पर भी #kashivishwanath मंदिर में स्पर्श दर्शन पर शुल्क की बात शेयर की गई गई। समाचार चैनल UPTakOfficial ने भी ट्विटर पर दावा किया कि “मंदिर से भी इस मामले को हरी झंडी मिल गई है”।
निष्कर्ष: काशी विश्वनाथ मंदिर में ‘स्पर्श दर्शन के लिए शुल्क’ की व्यवस्था की बात एकदम झूठ एवं बेबुनियाद है।