कर्नाटक के नए कांग्रेसी सीएम सिद्दारमैया का हाल कुछ ऐसा हो रखा है जैसे एक एंड्राइड यूजर का हाल होता है, जब उसे आईफ़ोन पकड़ा दिया जाता है, कर्नाटक के सीएम को भी आजकल नई नई सत्ता की प्राप्ति हुई है और वो खुद भी ये पता नहीं लगा पा रहे हैं कि शुरू कहाँ से करना है। देखते हैं कि नई बहस अब क्या है। ऐसे ही अब टीपू सुल्तान पर भी एक बार फिर बहस को हवा दे दी गई है।
कुछ ही दिन पहले कर्नाटक में चुनाव निपटे हैं, चुनाव के बाद वहाँ कांग्रेस की सरकार सत्ता में बैठी है। अब कर्नाटक में नया अकादमिक सेशन शुरू होने जा रहा है इसलिए सिद्दारमैया ने अपने एक ताज़े बयान में कहा है कि ‘ग्रंथों और पाठों के माध्यम से बच्चों के दिमाग को प्रदूषित करने के कृत्य को माफ नहीं किया जा सकता है और कहा कि वे कार्रवाई करेंगे ताकि बच्चों की शिक्षा बाधित न हो’।
इस बात पर जोर देते हुए सिद्दारमैया ने कहा कि ‘हिजाब विवाद के कारण हजारों लड़कियां शिक्षा से वंचित हैं’। उन्होंने राज्य सरकार से शिक्षण संस्थाओं में महिलाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को हटाने की भी बात की। उन्होंने सिलेबस में बदलाव की भी बातें कहीं हैं और जब कर्नाटक में कोई स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव की बात करता है तो जान जाइए कि वो क्या संदेश देना चाहता है।
कर्नाटक के स्कूलों के सिलेबस की बात करें तो इसमें कुछ बदलाव लाये गए थे जो की भाजपा सरकार द्वारा किये गए थे, उसके ही चलते लोग यह प्रश्न कर रहे है कि क्या अब टीपू सुल्तान का चैप्टर भी वापस लाया जाएगा? कर्नाटक में सिद्दारमैया की पिछली सरकार के दौरान टीपू सुल्तान की जयंती मनाई गयी और उसके चलते कई विवाद भी हुए थे।
अब सवाल ये उठ रहे हैं कि आखिर वो कौनसा सिलेबस है जिसकी बात कर्नाटक के नए कोंग्रेसी CM कर रहे हैं। असल में कर्नाटक में पिछली भाजपा सरकार के वक्त स्कूली सिलेबस में बदलाव काफी चर्चा में रहा था। इसमें सबसे ऊपर था टीपू सुल्तान को टेक्स्ट बुक में रखने या फिर न रखने की बहस।
पिछले साल, रोहित चक्रतीर्थ की अध्यक्षता वाली टेक्सटबुक रिविज़न कमिटी ने लेखकों, शिक्षाविदों, मज़हबी नेताओं और विपक्षी दलों की आलोचना की थी और उन्होंने पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का आरोप भी लगाया था। इन आरोपों में डिस्टॉर्टेड हिस्ट्री और दक्षिणपंथी, हिंदुत्ववादी विचारधारा को आगे बढ़ाने की भी बातें शामिल थीं।
इसमें भगत सिंह, नारायण गुरु, सारा अबू बकर और पी लंकेश जैसे लोगों के संबंध में आपत्ति की गई थी जबकि आरएसएस के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार, गोविंदा पाई और अन्य लोगों के बारे में चैप्टर्स जोड़े गए थे।
यह सब बदलाव कर्नाटक में कक्षा 1 से 10 तक की सामाजिक विज्ञान की किताब में परिवर्तन को लेकर था और खूब बहस भी हुई। इसके बाद राज्य की भाजपा शासित सरकार पर भगवाकरण के आरोप लगाए जा रहे थे।
राज करने की तथाकथित कांग्रेसी योग्यता का तिलिस्म टूट रहा है
कर्नाटक में पहले से चली आ रही किताबों में बासवन्ना को लिंगायत समुदाय का संत, हिंदू कर्मकांड के खिलाफ विद्रोह, जीवन जीने का नया तरीका बताना, आदि का जिक्र किया गया था। जबकि नई किताब में केवल बासवन्ना को वीराशैव मान्यता में सुधार करने वाला बताया गया है।
विपक्षी दल द्वारा तभी से पुरानी टेक्स्टबुक को वापस लाने की मांग की जाने लगी। अब कांग्रेस जब सत्ता में आई है तो उसने बिना समय गँवाए इन सब पर काम शुरू कर दिया है।
संभव है कि सिद्दारमैया और कांग्रेस अब टीपू सुल्तान के नाम की मुगली घुट्टी स्कूली छात्रों को दोबारा पढ़ाना चाह रहे हों। जब केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नाम टीपू सुल्तान पर रखा जा सकता है तो कर्नाटक सरकार कुछ भी कर सकती है। जाते जाते आपको याद दिला दें कि ये वही टीपू सुल्तान है, जिसने मालाबार क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा हिंदुओं और सत्तर हज़ार से ज्यादा ईसाइयों को इस्लाम अपनाने पर मजबूर किया था।
जिन लोगों ने इस्लाम स्वीकार किया, उन्हें मजबूरी में अपने-अपने बच्चों को शिक्षा भी इस्लाम के अनुसार देनी पड़ी। इनमें से कई लोगों को बाद में टीपू सुल्तान की सेना में शामिल किया गया। ऐसा मैं नहीं कह रही बल्कि ये उनीस सौ चौंसठ में प्रकाशित केट ब्रिटलबैंक की किताब ‘लाइफ ऑफ टीपू सुल्तान’ में कहा गया है।
सिद्दारमैया ने यह भी कहा कि कन्नड़ सेनानियों, लेखकों और किसानों के खिलाफ झूठे मुकदमे वापस लिए जाएंगे और नई शिक्षा नीति के नाम पर शिक्षा क्षेत्र में मिलावट नहीं होने दी जाएगी। इसी के साथ ये भी कहा कि अधिकारियों को मोरल पुलिसिंग और लेखकों को धमकी देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।