हमने आपको फरवरी माह में बताया था कि कैसे पंजाब का अनाज कैंसर का कारण बन रहा है। इसके पीछे प्रमुख वजह कीटनाशकों का प्रयोग है जो फसल की पैदावार को बढ़ाने के काम आता है।
एक ओर कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी पंजाब के अन्नदाताओं के लिए MSP की कानूनी गारंटी दिलाने के लिए लड़ने की बात करते हैं और दूसरी ओर राहुल गाँधी की कॉन्ग्रेस ने कर्नाटक राज्य में पंजाब के ही अनाज को ये कहते हुए खरीदने से इंकार कर दिया है कि पंजाब के चावल की क्वालिटी काफी खराब है और यह खाने योग्य नहीं है।
पंजाब के चावल को अस्वीकार करने का कर्नाटक में यह पहला मामला नहीं आया है बल्कि दो सप्ताह पहले अरुणाचल प्रदेश भेजे गए चावल के नमूनों को खराब गुणवत्ता का और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त पाया गया था।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा भेजी गई टीमों ने कर्नाटक के हुबली में भंडारण डिपो और राशन की दुकानों से फोर्टिफाइड चावल के 26 नमूने लिए थे। इसमें से चार नमूने मानक से नीचे बताए गए हैं। मंत्रालय ने इन चावलों को बदलने के लिए कहा था। नाभा से हुबली 7,304 बैग जो लगभग 3,568.837 क्विंटल बनता है, जबकि जालंधर जिले के भोगपुर से 2,995 बोरियां यानी लगभग 1,484.929 क्विंटल भेजी गई थी। पटियाला और जालंधर डिवीजन में भारतीय खाद्य निगम के अधिकारियों को इस बारे में जानकारी देते हु्ए चावल को बदलने के लिए कहा गया है।
पंजाब के चावलों की गुणवत्ता से किसान यूनियन के साथ-साथ पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार भी परेशान नजर आ रही है। यही वजह है कि पंजाब की भगवंत मान सरकार के साथ साथ किसान यूनियन के उपाध्यक्ष राजिंदर सिंह दीपसिंगवाला ने आरोप लगाया है कि पंजाब से भेजे गए चावल के नमूने जानबूझकर अस्वीकृत किए जा रहे हैं ताकि पंजाबी किसानों को चावल उगाने से रोका जा सके। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब से भेजे गए चावलों के खिलाफ लोगों की राय बनाने की कोशिश की जा रही है क्योंकि केंद्र के अनाज भंडार भरे हुए हैं।
किसान नेताओं के आरोपों से अलग अगर पंजाब में अनाज की स्थिति देखें तो क्या आपने उन खबरों पर कभी ध्यान दिया है जिनमें बताया जाता है कि पंजाब में कैंसर का कहर कितना ज़्यादा बढ़ रहा है । इसके पीछे सबसे बड़ी वजह फसलों में कीटनाशकों यानी फर्टिलाइजर्स और कैमिकल का अत्यधिक प्रयोग है। राज्य कैंसर संस्थान अमृतसर में रोजाना 70 से 80 कैंसर रोगियों का इलाज हो रहा है, जबकि हजारों लोग प्राइवेट अस्पतालों से ट्रीटमेंट ले रहे हैं। बड़े ही नहीं बल्कि कैंसर से पंजाब में छोटे बच्चे भी पीड़ित हैं। पंजाब में हर साल करीब 50 बच्चे ट्यूमर और ब्लड कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं। पंजाब के पर्यावरण में ज़हर घुला हुआ है, डेढ फीसदी भौगोलिक क्षेत्र में 18 फीसदी कीटनाशकों का इस्तेमाल होता है, लगभग सारा वर्ष यहां के लोग कीटनाशकों से एक्सपोस्ड हैं। मालवा को तो पंजाब के ‘कैंसर बेल्ट’ के नाम से भी जाना जाता है, हर साल यहां कैंसर के हजारों मामले सामने आते हैं। पूरे देश में जहां कैंसर के 8 से 10 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं, वहीं पंजाब में एक लाख लोगों में 90 मरीज कैंसर से पीडि़त हैं। ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक पहले राज्य में मुक्तसर, बठिंडा, संगरूर और तरनतारन में ही कैंसर के मरीज सामने आते थे लेकिन अब ये हर जिले में आ रहे हैं। पिछले साल के एक डेटा को देखें तो राज्य स्तरीय कैंसर संस्थान अमृतसर की रिपोर्ट से पता चलता है कि मात्र डेढ़ महीने में पंजाब में कैंसर के 2,200 नए मामले सामने आए हैं । ICMR द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में कैंसर के मामले जहां साल 2021 में 39,521 थे, वहीं ये साल 2024 में बढ़कर 42,288 हो गए हैं, यानी क़रीब 7% की वृद्धि। यह संख्या 2022 में 40,435 से लगातार बढ़कर साल 2023 में 41,337 हो गई थी।
अब वैज्ञानिक शोध और अन्नदाताओं के साथ आम आदमी पार्टी की सरकार में से किसके वर्जन को सच माना जाना चाहिए, इसके उत्तर तलाशने के साथ-साथ कर्नाटक की कांग्रेस सरकार से ये प्रश्न अवश्य पूछिए कि आखिर वे पंजाब के उन किसानों से चावल क्यों नहीं खरीद रहे हैं जिनके लिए राहुल गाँधी न्याय की मांग करने का दावा करते रहे हैं?