जूनियर खड़गे यानी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे के सुपुत्र प्रियांक खड़गे इस बार हिन्दी और हिन्दी भाषी राज्यों के प्रति दुर्भावना के कारण चर्चा में हैं। पिछली बार वे मोहम्मद जुबैर नामक कथित फैक्ट चेकर और ट्विटर यूजर को चीफ कहने के कारण चर्चा में थे।
प्रियांक खड़गे ने साउथ फर्स्ट को दिए एक इन्टरव्यू में कहा है कि क्या आपने कभी किसी कन्नड़ को यह कहते सुना है कि मैं नौकरी के लिए उत्तर प्रदेश जा रहा हूँ? मैं आपको दिखाऊंगा कि कर्नाटक में यूपी और मध्य प्रदेश के कितने लोग हैं, वे इकोसिस्टम के कारण यहाँ आते हैं। हिन्दी पट्टी को लगता है कि वे आजीविका के लिए दक्षिण भारत आ सकते हैं। दक्षिण का कोई भी व्यक्ति यह नहीं सोचता कि वे हिन्दी पट्टी में जा सकते हैं और सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण वहाँ कमाई कर सकते हैं।
प्रियांक खड़गे का यह बयान सीधे तौर पर हिन्दी पट्टी के राज्यों पर हमला तो है ही लेकिन चुनौती नेहरू-गाँधी परिवार को भी है, जिनकी जन्मभूमि-कर्मभूमि हिन्दी पट्टी राज्य रहे हैं, और परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इन्हीं हिन्दी पट्टी राज्यों की बदौलत सत्ता में रहे हैं।
ब्रिटिशकाल में कांग्रेस के अध्यक्ष मोतीलाल नेहरू आगरा में ही जन्में थे।
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्म भी हिन्दी पट्टी में ही हुआ यानी इलाहाबाद, जिसे अब प्रयागराज कहते हैं। जवाहर लाल नेहरू उसी उत्तर प्रदेश के फूलपुर सीट से 1952, 1957 और 1962 में लोकसभा पहुँचे थे जिसे जूनियर खड़गे आज हीन भावना से देख रहे हैं।
नेहरू की भाभी उमा नेहरू सीतापुर और बहन विजय लक्ष्मी फूलपुर से सांसद रही हैं।
नेहरू के दामाद यानी इन्दिरा गाँधी के पति फिरोज उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से 2 बार लोकसभा पहुँचे। यही नहीं, मृत्योपरांत उन्हें दफन भी किया गया तो हिन्दी पट्टी इलाहाबाद में ही।
नेहरू की पुत्री और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी का इसी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ और अपने पति की रायबरेली सीट से पहली बार लोकसभा पहुँची थी।
इन्दिरा के पुत्र संजय गाँधी अमेठी से ही पहली बार लोकसभा पहुँचे और इसी लोकसभा सीट से बाद में राजीव गाँधी भी लोकसभा पहुंचे और देश के प्रधानमंत्री बने। यही नहीं, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी भी जब कर्नाटक से चुनाव जीती तो उन्होंने उन सीटों को शायद प्रतिनिधित्व के लायक़ नहीं समझा और उन लोकसभा सीटों से इस्तीफ़ा दे दिया था।
आज सोनिया गाँधी अपने ससुर फिरोज गाँधी और सास इन्दिरा गाँधी के ही संसदीय क्षेत्र यानी रायबरेली से सांसद हैं। इनके सुपुत्र राहुल गाँधी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत अपने पिता के संसदीय क्षेत्र अमेठी से ही की। वे अमेठी से तीन बार सांसद रह चुके हैं। इतना ही नहीं जब साल 2019 में प्रियंका गांधी वाड्रा प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में आई तो उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया गया। प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा का जन्म स्थान हिन्दी पट्टी मुरादाबाद ही है।
अब सवाल ये है कि जिस कांग्रेस की जड़ ही हिन्दी पट्टी राज्य रहे हैं, क्या प्रियांक खड़गे अब उसी जड़ को खोदने में लग गए हैं?
ज्ञात हो कि मृत्यु से पहले नेहरू वसीयतनामा लिख कर गए थे कि उनकी अस्थियों को हवाई जहाज से भारत के हर राज्य में गिरा दिया जाए। आज जूनियर खड़गे इसी वसीयतनामे के चीथड़े फाड़ने में लगे हैं, संभवत: इसलिए भी क्योंकि उनके पिता अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
जूनियर खड़गे से प्रश्न
यह स्वाभाविक बात है कि अपने प्रदेश से निकल कर कोई दूसरे प्रदेश में नौकरी करता है तो ज़ाहिर है कि उसकी शिक्षा, उसके स्किल और उसके टैलेंट की उस जगह को आवश्यकता होगी, तभी ऐसा संभव है।
जब हमारे देश के प्रोफेशनल, अमेरिका, यूरोप या अरब वर्ल्ड में जाकर नौकरी करते हैं तब वहाँ के लोग यह नहीं देखते कि वे भारत के यूपी से आए हैं या कर्नाटक से। वहाँ केवल उस भारतीय का टैलेंट, ज्ञान और स्किल देखा जाता है।
हम जब गर्व से कहते हैं कि अमेरिका या यूरोप में बड़ी से बड़ी सेवाएँ या मैन्युफ़ैक्चरिंग में भारतीयों का बोलबाला है तब यह नहीं देखते कि यह बोलबाला उत्तर भारतीय का है या दक्षिण भारतीय का।
अब आप कल्पना कीजिए कि खड़गे की तरह ही अन्य देशों के लोग भारतीयों से यह सवाल करने लगें तो हमें कैसा लगेगा?
दरअसल खड़गे जो खेल खेलना चाहते हैं वह उनके सुपर बॉस राहुल गाँधी का शुरू किया हुआ खेल है। पिछले कई वर्षों से राहुल गाँधी दक्षिण भारतीयों को उत्तर भारतीयों से अधिक ज्ञानी, अधिक सहिष्णु और अधिक सुपात्र बताते रहे हैं। कारण शायद यह है कि वे अब दक्षिण भारतीय कांग्रेस पार्टी के नेता बन गए हैं और खड़गे उन्हें गुड ह्यूमर में रखने का कोई मौक़ा अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते।
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