साल 2018 में बकरीद से पहले बीजापुर की हजरत हाशिम पीर दरगाह के मौलाना तनवीर पीर हाशिम तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार के मंत्री शिवानंद पाटिल के सामने बैठकर चेतावनी दे रहे थे कि “गाय की कुर्बानी तो होगी ही लेकिन अगर किसी ने कुर्बानी देने से रोका तो उसकी भी कुर्बानी दी जाएगी।”
बीते कल कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने बकरीद का हवाला देते हुए कहा कि गोरक्षकों को लात मारकर जेल में डाला जाएगा।
प्रियांक खड़गे के बयान की जब आलोचना हुई तो वे कहने लगे कि जिन्हें कन्नड़ समझ में नहीं आती है उन्हें संविधान कहां से समझ में आएगा। वे पूछते हैं कि गौरक्षक को कानून तोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए?
प्रियांक खड़गे को मालूम तो है लेकिन वे यह बताना नहीं चाहते कि कर्नाटक में जो गोवंश संरक्षण अधिनियम लागू है, उसमें उन व्यक्तियों को संरक्षण देने की बात कही गई है जो सद्भावना से इस अधिनियम के नियमों के तहत काम करते हैं। जैसे कि आमतौर पर गोरक्षक करते ही हैं।
तनवीर पीर हाशिम का बयान और प्रियांक खड़गे का बयान बकरीद से पहले आते हैं और इन दोनों में बस फर्क इतना है कि तब एक मंत्री के सामने गाय की कुर्बानी की बात होती है और आज खुद मंत्री गोरक्षकों को लात मारकर जेल में डालने की बात कर रहे हैं।
दरअसल, कॉन्ग्रेसी डीएनए ही मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू विरोधी रहा है। अगर ऐसा न होता तो कॉन्ग्रेसी नंदिनी को केवल एक मिल्क प्रोडक्ट की कंपनी के रूप में न देखते। अगर ऐसा न होता तो केरल में कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ता खुलेआम गाय काटते नहीं, उसे काटकर पकाने और बांटने का काम सड़क पर नहीं करते और राहुल गांधी गाय काटने वालों से सरेआम सड़क पर नहीं मिलते।
कर्नाटक में कॉन्ग्रेस की सत्ता में वापसी के साथ ही फिर से हिन्दू उत्पीड़न का उदाहरण हम पहले ही देख चुके हैं। जब, एमनेस्टी इंटरनेशनल कॉन्ग्रेस सरकार पर दबाव बनाकर गोवंश संरक्षण के लिए लाए गए अधिनियम को निरस्त करवाने की बात कहता है।
हमनें तब भी सवाल उठाया था कि भारत के बाहर की एक संस्था इतना साहस कहाँ से जुटाती है कि वो भारतीय राज्य की एक 15 दिन पुरानी राज्य सरकार को निर्देश देती है कि सरकार गोहत्या कानून वापस ले। इसी के इर्द-गिर्द फिर कर्नाटक कॉन्ग्रेस सरकार के पशुपालन मंत्री के. वेंकटेेश कहते हैं कि जब भैंसों को काटा जा सकता है कि तो फिर गाय को क्यों नहीं?
ज्ञात हो कि कर्नाटक सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बसवराज बोम्मई ने 2022 में बकरीद पर गोवंश की कुर्बानी पर बैन लगाया था।
आज कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार के मंत्रियों और नेताओं के तमाम हिन्दू विरोधी बयान इस ओर संकेत कर रहे हैं कि वे राज्य में हिन्दू प्रतीकों, हिन्दू मान्यताओं, सनातन संस्कृति को लेकर क्या रवैया अपनाने वाले हैं।
यह भी पढ़ें: कर्नाटक: धर्मांतरण विरोधी कानून से बुर्का तक, जानिए कांग्रेसी सरकार ने अब तक कौन-कौन से फैसले पलटे