भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जांच के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को दी जाने वाली सामान्य सहमति वापस ले लिया है। इसके साथ ही कर्नाटक सरकार ने आरोप लगाया कि एजेंसी जांच करने में पक्षपात करती है।
यह फैसला ऐसे समय आया है जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पत्नी पर MUDA जमीन अलॉटमेंट प्रकरण में घोटाले के गंभीर आरोप लगे हैं। शनिवार, 21 सितंबर को इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें MUDA घोटाले के संबंध में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई है।
सीबीआई जांच शुरू हो इससे पहले ही राज्य सरकार ने जांच की खातिर दी जाने वाली आम सहमति को वापस ले लिया। कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सामान्य सहमति वापस लेने के बारे में पूनावाला ने कहा, “कर्नाटक कांग्रेस सरकार का यह कदम एक दोषी की मानसिकता को दर्शाता है- यह जांच से बचने के लिए सीबीआई को रोकने का एक स्पष्ट प्रयास है।
पूनावाला के अनुसार मई 2023 में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी थी लेकिन अब सितंबर 2024 में वे अचानक दावा कर रहे हैं कि सीबीआई प्रतिशोधात्मक तरीके से काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का जमीनों से पुराना नाता है। जहाँ भी यह सत्ता में आती है, यह एससी/एसटी समुदायों के लिए निर्धारित भूमि को अपने रिश्तेदारों के नाम पर पुनः आवंटित करती है। कांग्रेस पार्टी का मुख्य कार्य सत्ता में आने के बाद लूट करना है।
कर्नाटक में MUDA घोटाले के नाम पर हजारों करोड़ की हेराफेरी की गई और अब कांग्रेस एक पेशेवर चोर की तरह व्यवहार कर रही है। कानून से बचने के लिए इसने सीबीआई को जांच के लिए पहले दी गई सामान्य सहमति भी वापस ले ली है। उन्होंने भ्रष्टाचार किया और जब वे जांच के निशाने पर आने लगे तो कांग्रेस पार्टी ने पेशेवर चोर की तरह काम करते हुए जांच के लिए सहमति ही वापस ले ली। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कांग्रेस पार्टी का दृष्टिकोण पहले चोरी करना और फिर दंड से मुक्त होकर काम करना है। भ्रष्टाचार के प्रति यह रवैया केवल कर्नाटक में ही नहीं बल्कि पूरे देश में व्याप्त हो गया है।
पूनावाला ने ये भी कहा है कि, कर्नाटक में सिर्फ मुडा घोटाला ही नहीं बल्कि वाल्मिकी घोटाला भी हुआ है, जहां दलितों और आदिवासियों के लिए निर्धारित धन का उपयोग लेम्बोर्गिनी और शराब ख़रीदने के लिए तथा चुनाव मित्र मंडल के लिए किया गया था।
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक सरकार के फैसले का बचाव किया है और कहा कि सामान्य सहमति वापस लेना सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने कहा, “जब मैं कर्नाटक का गृह मंत्री था तब वीरप्पन के मामले, स्टांप पेपर घोटाला और कोलार में एक और मामले में सीबीआई को संदर्भित किया, तो उन्होंने कहा कि जांच ठीक चल रही है, हम जांच नहीं करना चाहते।”
मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि जब गोधरा की घटना हुई, तो क्या प्रधानमंत्री मोदी ने इस्तीफा दिया था? किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाकर उसकी छवि खराब न करें, क्योंकि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कै माध्यम से पार्टी की छवि भी खराब होगी। केंद्र सरकार कांग्रेस पार्टी को खत्म करने के लिए ऐसा कर रही है। कानून को अपना काम करने दें। मैं हर रोज MUDA के बारे में सुनकर तंग आ चुका हूं। हम उनके साथ खड़े हैं और हम उनका समर्थन करेंगे, क्योंकि वे हमारी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।”
फिलहाल तो MUDA घोटाले का मामला गरमाया हुआ है और इसमें सीबीआई जांच की मांग भी जोर पकड़ रही है। कर्नाटक सरकार द्वारा सीबीआई को जांच करने के अधिकार की सहमति वापस लेने के फैसले ने सिद्धारमैया के खिलाफ संदेह ही पैदा किया है।
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