जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा, यह हम या कोई बॉलीवुड के सिंगर नहीं बल्कि कर्नाटक की जनता अपनी चुनी हुई कांग्रेसी सरकार से कह रही है।
आप सोच रहे होंगे कौन से वादे? तो आप को बता दें वही वादे जिन्हें अपनी पांच गारंटी का नाम देकर कांग्रेस ने कर्नाटक में सत्ता हासिल की। अब वादों से मुकरना कांग्रेस की कोई नई आदत तो नहीं है, परन्तु इस बात को कर्नाटक की जनता को कौन समझाए?
हाँ, कर्नाटक की जनता को ये बात शायद राजस्थान और मध्य प्रदेश की जनता समझा सके लेकिन …
कांग्रेस को अपने वादों से मुकरने की आदत है ये कोई नई बात नहीं और इसी आदत को लेकर कर्नाटक में बिजली के बिल को लेकर जमकर बहस भी चल रही है। जिसके कई वीडियोस कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद आए दिन सामने आ ही रहे है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कर्नाटक के कोप्पल, कलबुर्गी और चित्रदुर्ग जिलों के कुछ गावों में लोगों ने बिजली के बिल भरने से मना करना शुरू कर दिया है।
अब इसी से जुड़ा एक और वीडियो सामने आया। इसमें ये व्यक्ति ये बोलता नज़र आ रहा है कि हमने कांग्रेस को वोट दिया था क्योंकि उन्होंने मुफ्त बिजली देने का वादा किया था। अब हम कोई भी बिल नहीं देंगे। यह कहकर हमें मूर्ख बनाने का कोई मतलब नहीं है कि कैबिनेट को फैसला करना है या कुछ प्रतिबंध हैं। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने हमें स्पष्ट रूप से कहा है कि कांग्रेस के सत्ता संभालने के बाद बिलों का भुगतान न करें।
कर्नाटक में बिजली बिल के भुगतान को लेकर जनता और सरकार के बीच जो घमासान चल रहा है इससे यह बात तो साफ़ है कि कांग्रेस का चुनावी कैंपेन कितना असरदार था। जनता को लुभाने के लिए कांग्रेस ने वादे तो किए कि अगर वो सरकार बनाती है तो 200 यूनिट बिजली फ्री देगी।और पहली ही कैबिनेट मीटिंग में इसे पास भी कर दिया गया। परन्तु अपनी टर्म्स एंड कंडीशन नहीं बताई।
ऐसे ही पहले कहा कि हर महिला को बस में फ्री चलने दिया जाएगा लेकिन चुनाव जीतने के ठीक बाद डीके शिवकुमार ने राजदीप से कह दिया था कि; पहले देखना होगा कि किसे चाहिए। जिसे फ्री राइड चाहिए उसी को दिया जाएगा लेकिन पहले ऐसे महिलाओं की पहचान की जाएगी।
अब अगर टर्म्स एंड कंडीशन ही बता देते तो मार्केटिंग कैसे करते। लेकिन कांग्रेस के ये झूठे वादे केवल बिजली के बिल तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि चुनाव कैंपेन के समय अपनी मार्केटिंग के लिए कई वादे किए जिनमें अब शर्ते लगाई जा रही हैं, जैसे कहा गया कि हर अनएम्प्लॉयड ग्रेजुएट को प्रतिमाह 3,000 रुपये मिलेंगे लेकिन अब कांग्रेस सरकार का कहना है कि यह केवल उन छात्रों पर लागू होता है जो इसी वर्ष पास हुए हैं।
तो जो पहले पास हुए थे वे ग्रेजुएट नहीं थे? और अगर पहले ग्रेजुएट हुए लोग ग्रेजुएट नहीं थे तो उन्हें चुनाव प्रचार के समय ही बता देना था न!
कांग्रेस के नेता चुनाव से पहले भी यह कह सकते थे। चुनाव प्रचार के दौरान, उन्होंने इन योजनाओं की घोषणा सभी के लिए की और अब उनका ये कहना है कि वो इसे सड़कों पर चलने वाले किसी को भी नहीं दे सकते।
यानी चुनाव में खूब दावे किये गए वादे किए गए लेकिन आखिर में यू टर्न भी मार लिया। और अब जनता से धैर्य रखने की बात कर रहे हैं। शायद कांग्रेसी ये भूल गए हैं की ये पब्लिक है सब जानती है।
यहाँ तक कि कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस को नोटिस तक दे दिया है। कि हमें 200 से ज्यादा यूनिट की बिजली की ज़रूरत नहीं पड़ती तो इलेक्ट्रिसिटी बिल जेनरेट ना करे।
अब जब कांग्रेस को कर्नाटक की जनता से नोटिस पीरियड मिल ही गया है तो अपनी पांच गारंटी योजना को लागू करने में कांग्रेस को मशक्क्त तो करनी ही होगी।
वहीं हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक IAS officer का कहना है कि सरकार पहले से ही किसानों के लिए विभिन्न योजनाओं के लिए प्रति वर्ष 14,508 करोड़ रुपए की सब्सिडी का भुगतान कर रही है। बिजली आपूर्ति की औसत लागत 9.12 है। सरकार को हर महीने घरेलु उपभोक्ताओं को 3,848 MU बिजली मुफ्त देनी होगी जिससे उन्हें 3,509 करोड़ रूपए प्रति माह और 42,108 करोड़ रूपए सालाना खर्च होंगे।
ऐसे में राज्य पर यह आर्थिक बोझ क्या कांग्रेस नियम और शर्तों के जरिए पूरा करेगी या इन वादों से पूरी तरह ही मुकर जाएगी? ये देखना अभी बाकी है।
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