कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार जिन वादों के सहारे सत्ता में आई थी अब उन्हें ही पूरा करने में विफल होती दिख रही है। इसी कड़ी में कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा लाई गई ‘अन्न भाग्य योजना’ के तहत अब लाखों लोगों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
कॉन्ग्रेस ने वादा किया था कि यदि वह सत्ता में आते हैं तो कम आय वाले परिवारों को 5 किलो प्रति व्यक्ति चावल मुफ्त उपलब्ध कराएंगे। इसे अन्न भाग्य योजना का नाम दिया गया था। सत्ता में आने के पश्चात कॉन्ग्रेस सरकार ने इस योजना को लागू किया लेकिन चावल की कमी के कारण वह वितिरित करने में सफल नहीं हो सकी।
कॉन्ग्रेस सरकार ने केंद्र और अन्य राज्यों से भी चावल खरीदने का प्रयास किया लेकिन यह प्रयास कुछ काम नहीं आए। इसके पश्चात कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने तय किया था कि वह इन परिवारों के लाभार्थियों को 170 रुपए प्रति व्यक्ति (34 रूपए/किलो) के हिसाब से उनके खाते में हस्तांतरित करेंगे। यह धनराशि परिवार के मुखिया के खाते में हस्तांतरित होनी थी।
अब यह सीधे धनराशि देने की योजना भी खटाई में पड़ गई है। अंग्रेजी समाचार पत्र डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, लगभग 1 करोड़ लाभार्थियों का पैसा जुलाई में और 73 लाख लाभार्थियों का पैसा अगस्त में हस्तांतरित नहीं किया। इसके पीछे कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने कागजी कार्यवाही का पूरा ना होना और खातों में गड़बड़ी का कारण दिया है।
गौरतलब है कि इस योजना के प्रारंभ से ही इसमें दिक्कतें आ रही हैं। चावल की अनुपलब्धता का ठीकरा कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने केंद्र पर फोड़ा था। कॉन्ग्रेस ने आरोप लगाया था कि केंद्र ने अपने कोटे से चावल की बिक्री बंद कर दी है क्योंकि वह कॉन्ग्रेस से राजनीतिक बदला लेना चाहती है। वहीं केंद्र सरकार ने देश में अन्न की कमी ना हो और कीमतें ना बढ़ें इसके लिए केंद्रीय कोटे के चावल की बिक्री भी बंद कर दी थी और चावल के निर्यात पर भी रोक लगा दी थी।
लाभार्थियों को दो माह के पैसे हस्तांतरण पर भी मौन
अब यह भी जानकारी सामने आई है कि कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने जुलाई और अगस्त का फंसा हुआ पैसा हस्तांतरित नहीं करने का निर्णय लिया है। यह धनराशि लगभग 294 करोड़ रुपए है। बताया गया है कि बड़ी संख्या में लाभार्थी इसलिए वंचित रह गए हैं क्योंकि नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से उनके खाते और राशन कार्ड के लिंक होने का वेरिफिकेशन नहीं हो सका है।
हालांकि कुछ व्यक्तियों ने अपने खाते और राशन कार्ड सभी लिंक होने पश्चात भी लाभ ना मिलने की बात कही है। राज्य के खाद्य और रसद मंत्री ने भी बीते दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि योजना चालू होने के पश्चात लगभग 5 लाख परिवारों ने एक बार भी इसका लाभ नहीं लिया है, ऐसे में लग रहा है कि इन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है।
कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा सत्ता में आने के लिए किए गए वादों के तहत चालू की गई योजनाएं लगातार समस्याओं में फंसती रही हैं। ऐसे ही महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा वाली योजना के कारण बड़ी संख्या में राज्य ऑटो और निजी बस था टैक्सी संचालकों के नुकसान उठाने की बात सामने आई थी।
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