कर्नाटक में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद अब पार्टी चुनाव से पहले किए गए वादों को पूरा करने में टाल-मटोल करने लगी है। हालिया मामला कॉन्ग्रेस की ‘पांच गारंटी’ को लेकर है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आज यानी शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक की। सिद्वारमैया ने बताया कि पार्टी द्वारा किए गए पांच गारंटी के वादे चालू वित्त वर्ष में पूरे होंगे। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में बताया है कि उनके मंत्रिमंडल ने ‘पांच गारंटी’ के अपने वादे पर विस्तृत चर्चा की और कैबिनेट इस नतीजे पर पहुंची है कि यह वादे इस वित्तीय वर्ष में पूरे किए जाएँगे।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद सियासी पारा भी गर्म होने लगा है क्योंकि कॉन्ग्रेस ने चुनाव से पहले कहा था कि वह सत्ता में आते ही पांच गारंटियाँ 10 दिनों के भीतर पूरे करेंगे। यानी जो पहले कॉन्ग्रेस का चुनाव के बाद पहली बैठक का वादा था, वो वादा अब वित्त वर्ष का हो गया है।
कॉन्ग्रेस पर पहले भी चुनाव के बाद अपने वादों की अवधि खींचने के आरोप लगते रहे हैं। चाहे राजस्थान हो, छत्तीसगढ़, हिमाचल या फिर अब कर्नाटक, कॉन्ग्रेस अपने चुनावी वादों से ख़ुद ही अपना पीछा छुड़ाते नज़र आती रही है।
चुनावी वादे से मुँह मोड़ती कांग्रेस
क्या है कॉन्ग्रेस की 5 गारंटियाँ?
कॉन्ग्रेस की 5 गारंटियां यानी 5 वादों में सभी घरों (गृह ज्योति) को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, हर परिवार की महिला मुखिया (गृह लक्ष्मी) को 2,000 रुपए मासिक सहायता, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवार (अन्न भाग्य) के प्रत्येक सदस्य को 10 किलोग्राम मुफ्त चावल, बेरोजगार स्नातक युवाओं के लिए हर महीने 3,000 रुपए और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों (दोनों 18-25 आयु वर्ग में) को दो साल के लिए 1,500 रुपए (युवा निधि) और सार्वजनिक परिवहन बसों (शक्ति) में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा शामिल हैं।
विवादों का हिस्सा बन रही कर्नाटक सरकार
कर्नाटक में कॉन्ग्रेस की सरकार बनते ही विवादों में आने लगी है। इससे पहले भी कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने एक सरकारी शिक्षक को निलंबित कर दिया था। शिक्षक को निलंबित करने के पीछे उसके द्वारा सिद्दारमैया की आर्थिक नीतियों की आलोचना करना कारण रहा है।
यह भी पढ़ें: कर्नाटक: कर्नाटक: कांग्रेस के साथ अब स्कूलों में फिर लौटेगा टीपू सुल्तान?