शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध से सम्बन्धित मामले पर गुरुवार (15 सितम्बर, 2022) को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम स्कूल को यूनिफॉर्म तय करने के अधिकार का उपयोग करने से रोक नहीं सकते हैं। यह स्कूल के नियमों के अन्तर्गत आता है। हिजाब अलग विषय है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के प्रमुख अंश
सुप्रीम कोर्ट में आज हिजाब मामले पर एक लम्बी बहस चली। इस बहस में कपिल सिब्बल और कॉलिन गोंजाल्विस ने स्कूल में हिजाब की वैधता के लिए कई तर्क दिए।
कॉलिन गोंजाल्विस ने हिजाब की तुलना सिख पगड़ी के साथ करते हुए कहा, “हिजाब कई मुस्लिम लड़कियों की अंतरात्मा के लिए आवश्यक है और उन्हें भारतीय संविधान के तहत सिख पगड़ी और कृपाण के समान सुरक्षा दी जानी चाहिए।
सिख पगड़ी और कृपाण पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही अपना रूख साफ कर चुका है। 8 सितम्बर, 2022 को हिजाब मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा भी था कि “कृपया सिख धर्म से इसकी (यानी हिजाब की) तुलना न करें। यह भारतीय संस्कृति में पूरी तरह समाहित है। सिखों द्वारा पहनी जाने वाली पगड़ी सिख धर्म के पांच अनिवार्य तत्वों का हिस्सा है और इसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी मान्यता दी है।”
कपिल सिब्बल ने हिजाब मामले को पहनावे से जोड़ते हुए कहा, “स्कूलों या कई संस्थानों में जहाँ यूनिफार्म है वहां लोगों को अपनी उन धार्मिक परंपरा का पालन करने का अधिकार है जिनसे मर्यादा और नैतिकता पर बुरा असर नहीं पड़ता हो।”
कपिल सिब्बल ने हिजाब को अनुच्छेद 19 (1) (ए) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ते हुए कहा, “सबसे पहले जिस सवाल का फैसला किया जाना है, वह है खुद की अभिव्यक्ति के लिए एक पोशाक पहनना और स्वायत्तता से जुड़ा होना। ‘मैं मिनी स्कर्ट पहन सकता हूं, मैं जो चाहूं पहन सकता हूं।”
प्रशांत भूषण ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि जब स्कूलों में पगड़ी, तिलक और क्रॉस को बैन नहीं किया गया तो फिर हिजाब पर बैन क्यों? ये सिर्फ एक धर्म को निशाना बनाने के लिए कहा गया है।
प्रशांत भूषण का कहना है कि “स्कूल या कॉलेज की ड्रेस थोपी नहीं जा सकती है। एक निजी क्लब में एक ड्रेस कोड हो सकता है। उदाहरण के लिए गोल्फ क्लब, लेकिन एक सार्वजनिक शिक्षण संस्थान ऐसा नहीं कर सकता।” प्रशांत भूषण की इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम स्कूल के यूनिफॉर्म तय करने के अधिकार का उपयोग करने से नहीं रोक सकते हैं।