अफ़ग़ानिस्तान में जब तालिबान ने सत्ता हड़पी थी तो कुछ ऐसी ख़बरें सामने आई थीं कि एक हास्य कलाकार को बेरहमी से मार दिया गया था, एक संगीतकार को अपने सारे वाद्य यंत्र इसलिए बेचने पड़ गए थे क्योंकि तालिबान नहीं चाहता कि उनके शासन में कोई कलाकार सांस ले सके। अब हम तालिबान से सीधा आते हैं ममता के बंगाल में, वही बंगाल जो रबीन्द्रनाथ टैगोर के लिए जाना जाता है। उसी बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी के कुछ गुंडों ने एक कविता लिखने वाले 32 साल के युवक के साथ मारपीट की है।
मामला 25 जुलाई का है, जब बंगाल के नादिया जिले के रहने वाले कल्लोल सरकार (Kallol Sarkar) से TMC के गुंडों ने इसलिए बदसलूकी और मारपीट की क्योंकि उन्होंने ममता बनर्जी से वहां पर हो रही हिंसा को लेकर सवाल पूछ दिए थे। उन्होंने बिद्रोह नाम से एक कविता लिखी थी। सरकार ने ममता बनर्जी पर एक कविता लिखकर कटाक्ष किया था। 29 मई के दिन सोशल मिडिया पर ये कविता वायरल हो गई जिसमें बंगाल की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल पूछे गए थे।
कविता का शीर्षक है ‘बिद्रोहो’ यानी ‘Revolt’! जिस बंगाल की पहचान रबीन्द्रनाथ टैगोर जैसे लोगों से है वहां पर एक व्यक्ति को अपनी बात रखने के लिए पीटा जाता है। TMC के कार्यकर्ता भड़क गए और जो कल्लोल सरकार ने अपनी कविता में लिखा था वो सच भी साबित हुआ।
25 july को ममता बनर्जी की पार्टी के गुंडों ने सांतीपुर में हमला बोल दिया। टीएमसी के गुंडों ने उन्हें ये कहकर धमकाया भी कि अगली बार अगर उसने कलम उठाई और ऐसा कुछ लिखा तो इसके परिणाम भी झेलने होंगे।
बंगाल में चुनावों के वक्त होने वाली हिंसा तो चर्चा में आ जाती है लेकिन चुनाव के बाद वो हिंसा इसलिए बहस में नहीं आती क्योंकि उस हिंसा के आगे-पीछे चुनाव नहीं जुड़े होते। ममता बनर्जी के बंगाल में जमकर लोकतंत्र की हत्या होती रही हैं मगर जब वो स्टेज पर होती हैं तब ये कहते सुनी जाती हैं कि भारत में लोकतंत्र ख़त्म हो गया है।
रबीन्द्रनाथ टैगोर के बंगाल में एक कवि से मारपीट की जाती है, उसको धमकाया जाता है लेकिन दिल्ली की पत्रकार मंडली इस पर चूं तक नहीं करती। फैज अहमद की लाइन घिस घिसकर फासिज़्म चिल्लाने वाले बंगला में कल्लोल सरकार के लिए क्यों नहीं आवाज उठाते? गालीबाज सांसद महुआ मोइत्रा मौन क्यों हो जाती हैं?
कल्लोल सरकार ने इस मामले में केस दर्ज किया लेकिन अभी तक इस मामले में कोई एक्शन भी नहीं लिया गया है। शायद बंगाल पुलिस भी जानती है कि उन्हें सुरक्षित रहने के लिए क्या करना है और क्या नहीं।
न्याय मिलने की बात तो दूर की है, तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने कल्लोल सरकार पर आरोप लगाए हैं कि अपनी कविता में वो लोगों को हथियार उठाने के लिए कह रहा है। जबकि कल्लोल सरकार का कहना है कि उन्होंने अपनी कविता में सिर्फ बंगाल में वर्तमान सरकार से “कानून का शासन स्थापित करने” की बात रखी है क्योंकि उन्होंने ये वादा किया था लेकिन जमीन पर ऐसा होते दिख नहीं रहा।
बंगाल में कलाकारों पर हमले की ये खबर पहली नहीं है। इसी साल ग्यारह अप्रैल को ही एक और घटना सामने आई थी, जिसमें तृणमूल के ही कुछ कार्यकर्ताओं ने नादिया के राणाघाट में एक theatre artist को इसलिए पीटा क्योंकि उस आर्टिस्ट ने कथित तौर पर ममता बनर्जी सरकार की आलोचना वाला प्ले किया था। निरुपम भट्टाचार्य के इस नाटक से बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता नाराज थे।