यूपीए के राज में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने 30 जुलाई को एक ट्वीट कर दावा किया है कि मोदी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में सिर्फ 11 नए एयरपोर्ट बनाए हैं जबकि वह दावा करती है कि उसने 74 नए एयरपोर्ट बनाए हैं। चिदंबरम ने लिखा है कि सरकार द्वारा उड़ान योजना के तहत चालू किए गए 479 रूट में 225 रूट अब चालू नहीं हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि 74 में से 15 एयरपोर्ट चालू होकर बंद हो गए हैं।
वैसे तो पी चिदंबरम को यह पता था कि वह आधी-अधूरी जानकारी जनता के सामने रख रहे हैं लेकिन फिर भी उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। चिदंबरम द्वारा किए गए दावों की पोल पहले जनता ने खोली फिर देश के उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी चिदंबरम को जवाब दिया।
चिदंबरम को नहीं पता ग्रीनफील्ड, ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट में अंतर
दरअसल, चिदंबरम का यह दावा है कि वर्ष 2014 के बाद देश में 11 नए एयरपोर्ट ही चालू हुए हैं जबकि सरकार 74 का दावा करती है। इसकी असलियत यह है कि वर्ष 2014 के बाद से सरकार 11 ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट चालू किए हैं, अर्थात 11 नए एयरपोर्ट बनाए हैं।
इसके अतिरिक्त चालू किए गए 63 एयरपोर्ट में से अधिकांश ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट हैं, अर्थात इन जगहों पर एयरपोर्ट का ढांचा तो था लेकिन पूरी तरह से विकसित नहीं था। कुछ जगह रनवे छोटा था तो कहीं पर टर्मिनल बिल्डिंग अपर्याप्त थी, कहीं पर एटीसी व्यवस्था नहीं थी। इन सभी सुविधाओं को देने के बाद ही इन एयरपोर्ट को चालू किया जा सका है।
ऐसे में सरकार ने बनाए भले ही 11 एयरपोर्ट हों उसने चालू 74 किए हैं और अब देश में 2014 की तुलना में दोगुने एयरपोर्ट हैं। वर्ष 2014 में 74 एयरपोर्ट थे जो कि 148 हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बनाया गया एयरपोर्ट पूरी तरह से नया है जबकि उत्तर प्रदेश के बरेली में ही चालू किया गया एयरपोर्ट पहले से बना था, लेकिन उसमें सुविधाएं जोड़ कर उसे 2021 में चालू किया जा सका।
चिदंबरम ने यह भी कहा कि इन 74 में से 9 हेलिकॉप्टर स्टेशन और वाटरड्रोम हैं, ऐसे में वह कैसे एयरपोर्ट में गिने जा सकते हैं? गौरतलब है कि सरकार का मुख्य लक्ष्य दूरदराज के क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ना है। देश में कई इलाके ऐसे हैं, जहाँ एयरपोर्ट बनाने के लिए उपयुक्त जगह नहीं है और यहाँ से मात्र हेलिकॉप्टर ही उड़ाए जा सकते हैं। क्या चिदंबरम यह चाहते हैं कि दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को सुविधाएं ना दी जाए?
क्या उड़ान स्कीम सफल नहीं हुई?
चिदंबरम का दावा है कि मोदी सरकार द्वारा चालू किए गए 74 एयरपोर्ट में से 15 बंद हो चुके हैं और उड़ान स्कीम के तहत चालू किए गए 479 रूट में से 225 रूट बंद हो गए हैं। इस दावे की असलियत यह है कि सरकार उन सभी रूट पर विमान चलाने के लिए नीलामी चालू करती है, जहाँ पर भी एयरपोर्ट बनाए जाते हैं। ऐसे में कई रूट ऐसे हैं जिन पर यात्रियों द्वारा हवाई सेवा ना उपयोग करने के कारण एयरलाइन कम्पनियां अपनी सेवाएं नहीं दे सकती।
सरकार एक रूट पर किसी एयरलाइन के सेवा बंद करने के पश्चात दोबारा यही प्रक्रिया अपनाती है। गौरतलब है कि पहले कोरोना महामारी से मांग में कमी और फिर यूक्रेन-रूस के बीच युद्ध छिड़ने से एविएशन फ्यूल की कीमत में बढ़ोतरी के चलते एयरलाइन पहले से ही संकट में हैं। ऐसे में वह उन रूट पर संचालन नहीं कर रही हैं जहाँ मांग कम है। हालाँकि, बीते दिनों देश में फ्लाईबिग और फ्लाई91 जैसी एयरलाइन चालू हुई हैं जो छोटे विमानों के साथ इन एयरपोर्ट से सेवा देने का कार्य करेंगी।
उड़ान स्कीम की सफलता इसी बात से जाँची जा सकती है कि अक्टूबर 2016 में इसके प्रारम्भ होने के बाद से देश में 1.23 करोड़ यात्री इसका लाभ उठा चुके हैं और २ लाख से अधिक उड़ानें इसके तहत हो चुकी हैं। स्कीम के अंतर्गत सरकार उन रूट पर कम्पनियों के घाटे की भरपाई करती है जहाँ उन्हें संचालन में घाटा होता है। उड़ान स्कीम का ही असर है कि देश का एविएशन क्षेत्र आज इतनी तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय एयरलाइन्स विश्व के सबसे बड़े विमान आर्डर दे रही हैं।
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