अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले हफ्ते ‘पेल ग्रांट’ स्कॉलरशिप पाने वाले छात्रों के स्टूडेंट लोन 20,000 डॉलर तक और अन्य अर्हताप्राप्त कर्जदारों के 10,000 डॉलर माफ करने की घोषणा की है। अमेरिका में उच्च शिक्षा की बढ़ती लागत के बीच यह खबर कर्ज लेने वालों को राहत दे रही है।
लेकिन एक बड़ा आलोचक वर्ग इस योजना पर सवाल उठा रहा है और चेतावनी दे रहा है कि अगर कर्जमाफ़ी वाले छात्र अपना खर्च बढ़ाएंगे तो महंगाई पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिका में ये बहस तेज हो गयी है। बाइडेन के फैसले के पक्ष और विपक्ष में तीन प्रमुख तर्क दिए जा रहे हैं।
ये फैसला जीवन स्तर सुधारेगा या महंगाई बढ़ाएगा?
निस्संदेह, बहुत से लोगों के लिए ‘स्टूडेंट लोन’ एक बड़ा बोझ है। बाइडेन की योजना के तहत, 4 करोड़ 30 लाख लोग अपने लोन कम कराने की कतार में खड़े हैं, जबकि 2 करोड़ लोगों का कर्ज पूरी तरह से माफ कर दिया जाएगा।
जिन लोगों के लोन कम या समाप्त कर दिए गए हैं, उनके पास कार खरीदने, घर का डाउन पेमेंट करने या कहीं और खर्च करने के लिए अब ज्यादा पैसा होगा। इसलिए बाइडेन सरकार का कहना है कि कर्ज माफी लाखों लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठा सकती है।
हालांकि, विपक्ष का कहना है कि अतिरिक्त खर्च करने की शक्ति अमेरिकी इकॉनमी में महंगाई की आग में घी का काम करेगी जहाँ व्यवसाय पहले से ही उपभोक्ता मांग को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अमेरिका में महंगाई 40 वर्षों के अपने उच्चतम स्तर के करीब बनी हुई है और फेडरल रिजर्व कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए आक्रामक रूप से ब्याज दरों को बढ़ा रहा है। सभी अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कर्ज माफी महंगाई को बढ़ावा देगी।
सरकार का कहना है कि कर्ज माफी पिछले साल भेजे गए 1200 डॉलर के राहत चेक की तरह नहीं होगी, जिसने महंगाई बढ़ाने का काम किया था। कर्जदारों के बैंक खातों में अचानक 20,000 डॉलर जमा नहीं होंगे बल्कि उन्हें कुछ सालों में लोन चुकाने से राहत दी जाएगी।
कोरोना के दौरान स्टूडेंट लोन की किश्तें चुकाने से सभी को छूट दी गयी थी जिसे अगले साल फिर से शुरू कर दिया जाएगा, और इससे कर्जमाफी से मिलने वाली अतिरिक्त खर्चशक्ति की भरपाई हो जाएगी। पर सरकार पर पड़ने वाले वित्तीय भार की भरपाई कैसे होगी इसपर विपक्षी सरकार को घेरे हुए हैं।
गरीब अमेरिकियों की मदद होगी या अमीरों को मिलेगी राहत?
विपक्षियों का कहना है कि कर्जमाफी से कर्जदारों के सैकड़ों अरब डॉलर का कर्ज पूरी तरह फेडरल सरकार और अंततः सामान्य करदाताओं पर शिफ्ट हो जाएगा।
कर्ज का यह ट्रांसफर उन लोगों पर दण्ड के सामान होगा जिन्होंने कॉलेज फीस चुकाने के लिए लोन न लेकर बचत से फीस चुकाई और उन अधिकांश अमेरिकियों पर भी जो कॉलेज नहीं जाते हैं। अंततः कर्जमाफी का सारा बोझ टैक्सपेयर्स पर आ जाएगा।
वरिष्ठ नीति निदेशक मार्क गोल्डविन कहते हैं कि, “मुझे लगता है कि इस कर्जमाफी का एक बड़ा हिस्सा उन डॉक्टर, वकील, एमबीए, और अन्य ग्रेजुएट्स को मिलने वाला है, जिनकी लाखों डॉलर कमाई की संभावना है और यहाँ तक कि वो इसी साल बहुत अधिक कमाई कर सकते हैं।”
कॉलेज शिक्षा में गिरावट का खतरा
गोल्डविन यह शिकायत भी करते हैं कि कर्ज माफी कॉलेजों की बढ़ती फीस की समस्या का समाधान नहीं करती बल्कि यह उस समस्या को और भी खराब कर सकती है। सालों से, महंगाई की तुलना में कॉलेज शिक्षा की लागत बहुत तेजी से बढ़ी है, इसी वजह से स्टूडेंट्स लोन में विस्फोट हुआ है।
उस कर्ज में से कुछ हिस्सा माफ कर सरकार वर्तमान और पूर्व छात्रों को राहत देगी, पर इससे सरकार भविष्य के छात्रों को और ज्यादा कर्ज लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, क्योंकि लोग यह मान लेंगे कि कर्ज कभी भी रद्द हो सकते हैं।
जबकि सरकार अमेरिकी शिक्षा की लागत नियंत्रित करने के लिए कुछ खास नहीं कर रही है। इससे अमेरिकी कॉलेज बिना किसी दबाव के अपनी ट्यूशन फीस बढ़ाएंगे और कम गुणवत्ता वाली डिग्रियां देना शुरू कर देंगे।