पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की लेगेसी को जनता तक पहुँचाने के लिए नई दिल्ली में तीन मूर्ति परिसर से संचालित जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि (JNMF) इस वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री की 135वीं जयंती पर नेहरू आर्काइव शुरू करने जा रहा है। यह आर्काइव उसी कैंपस में खोला जा रहा है जहां प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) द्वारा जवाहरलाल नेहरू आर्काइव पहले से चलाया जा रहा है। बता दें कि वर्तमान में JNMF में 14 ट्रस्टी हैं और इसकी अध्यक्षता कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी करती हैं।
अब दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय होते हुए भी JNMF को अलग से नेहरू आर्काइव बनाने की क्यों जरूरत पड़ी? इसको समझने का प्रयास करते हैं और यह भी देखते हैं कि यह नया आर्काइव किन उद्देश्यों को पूरा करेगा?
देखिए तीन मूर्ति परिसर से संचालित यह संस्था पहले नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के नाम से जानी जाती थी। कांग्रेस सरकार ने अपने रहते कभी इसमें बदलाव नहीं किया। हो सकता है कि उनका मानना हो कि युगदृष्टा नेहरू जी के आगे कोई दूसरे प्रधानमंत्री के बारे में क्यों ही सुनना चाहेगा?
खैर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में तीन मूर्ति परिसर में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार रखा था। इसके बाद ही मोदी सरकार ने इस नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदलकर प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी कर दिया। सरकार का उद्देश्य था कि संग्रहालय स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की सामूहिक यात्रा और राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक प्रधान मंत्री के योगदान को दिखाने वाला होना चाहिए।
यही बात शायद कांग्रेस नेताओं को जमी नहीं, इसलिए ही केंद्र सरकार के फैसले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है।
खैर, अब दिल्ली में नेहरू जी के लिए समर्पित संग्रहालय न होकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय है। शायद इसी असुरक्षा की भावना को दूर करने के लिए सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि ने यह नेहरू आर्काइव शुरू करने का फैसला किया है।
अब हमें यह तो पता चल गया कि क्यों नेहरू आर्काइव की शुरूआत की जा रही है पर इसके पीछे क्या उद्देश्य है यह समझते हैं। जैसा कि हमने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के भाषणों का प्रसार करने के लिए PMML पर आर्काइव चला रहा है पर ऐसा लगता है कि यह कांग्रेसी नजरिए और उद्देश्यों को पूरा नहीं कर रहा इसलिए पार्टी को अलग से आर्काइव खोलने की जरूरत महसूस हुई है। नेहरू आर्काइव की पहल से जुड़े लोगों का कहना है कि इसमें स्वतंत्र रूप से उपलब्ध आंकड़े नेहरू के बारे में किसी भी गलत बयान को दूर करने में उपयोगी होंगे।
दिलचस्प बात यह है कि इस संग्रह में नेहरू के वारिस के रूप में इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी द्वारा PMML को दान किए गए निजी संग्रह भी शामिल होंगे। नेहरू के कागजात PMML को इंदिरा गांधी ने दिए थे। बाद में, सोनिया गांधी ने भी 1946 के बाद के नेहरू के कागजातों का एक बड़ा संग्रह भी PMML को सौंप दिया था।
आप इस बात पर गौर कीजिए कि इसी जवाहर लाल नेहरू के भाषणों और बातचीत से जुड़े करीब 51 बक्सों को मई, 2008 में सोनिया गांधी ने वापस ले लिया था। रिकॉर्ड के अनुसार, वापस लिए गए कागजातों में नेहरू और जयप्रकाश नारायण, एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टीन, अरुणा आसफ अली, विजया लक्ष्मी पंडित और जगजीवन राम के बीच आदान-प्रदान किए गए पत्र शामिल हैं।
अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि क्या ये कागजात भी नए आर्काइव का हिस्सा होंगे या नहीं..पर संभावना यही है कि नेहरू से जुड़े भाषणों का उपयोग सोनिया गांधी कांग्रेस की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी बचाने के लिए करे।
फिलहाल नए आर्काइव को लेकर JNMF सचिव प्रोफेसर माधवन के पलात ने बताया है कि नेहरू आर्काइव में ‘जवाहरलाल नेहरू के चयनित कार्य’ के 100 खंड, 1947 से 1964 तक मुख्यमंत्रियों को लिखे उनके पत्र और जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रकाशित पुस्तकें जैसे ‘Letters from a Father to His Daughter’, ‘Glimpses of World History, An Autobiography’, ‘The Unity of India’, ‘The Discovery of India’, ‘A Bunch of Old Letters’ और उनके कम प्रसिद्ध लेख उपलब्ध होंगे।
इसके साथ ही इसमें ऐसे लेख भी दिखाए जाएंगे जो बहुत ज्यादा मुख्य धारा में नहीं है और जो नेहरू के समकालीनों द्वारा लिखे गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा संचालित आर्काइव से हटकर कांग्रेस को स्वयं के स्तर पर पूर्व प्रधानमंत्री के भाषणों के लिए आर्काइव बनाने की जरूरत राजनीतिक बताई तो नहीं गई पर लग जरूर रही है।
ऐसा लग रहा है कि नेहरू की बौद्धिक संपत्ति का उपयोग देश के प्रधानमंत्री के रूप से अधिक पार्टी कांग्रेस द्वारा देश को दिए गए पहले प्रधानमंत्री के रूप में करना चाहती है। इसका फायदा किसको मिलेगा, आपको पता है! ये भी सम्भव है कि 2024 के आम चुनावों के बाद सत्ता में आने का ख्वाब देख रहे सोनिया गाँधी और उनकी कांग्रेस नेहरू जी के नाम पर जो करना चाहते थे उन्हें मन मारकर उसे चारदीवारी के भीतर ही कैद करना होगा।
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