ज्ञानपीठ चयन समिति द्वारा 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा की गई है, जिसमें प्रसिद्ध उर्दू कवि गुलज़ार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को प्राप्तकर्ता के रूप में नामित किया गया है।
जाहिर है कि चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक नेता, शिक्षक और 100 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जन्म से नहीं देख सकते हैं। वे संस्कृत भाषा और वेद-पुराणों के ज्ञाता माने जाते हैं।
पद्मविभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य इससेर पहले सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में शास्त्रों के उद्धरण के साथ गवाही दे चुके हैं। उनका वास्तविक नाम गिरिधर मिश्र भी है, जिनका जन्म 14 जनवरी 1950 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 ई. से प्रतिष्ठित हैं।
वहीं, गुलज़ार हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए जाने जाते हैं और इस युग के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक माने जाते हैं। इससे पहले उन्हें अपने काम के लिए 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं।
ज्ञानपीठ चयन समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है: संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलज़ार। उल्लेखनीय है कि वर्ष, 2022 में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार गोवा के लेखक दामोदर मौजो को दिया गया था।
यह भी पढ़ें- सदानीरा महोत्सव: चौथे संस्करण में साहित्य से जुड़े लेखक, कवियों को किया गया सम्मानित