प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को एक हलफनामे के माध्यम से झारखंड उच्च न्यायालय को बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार, एडवोकेट जनरल राजीव रंजन, एजेंसी के जोनल कार्यालय की जासूसी करने में शामिल थे।
ईडी ने अपने इस हलफनामे में बताया कि एक अवैध खनन मामले में झामुमो नेता पंकज मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू और महाधिवक्ता राजीव रंजन ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय में जासूसी करने में शामिल थे।
गौरतलब है कि मिश्रा को 1,000 करोड़ रुपए से अधिक के कथित अवैध खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।
ईडी ने कोर्ट को बताया कि अभिषेक प्रसाद की कॉल को ‘कानूनी तौर पर इंटरसेप्शन’ के तहत रखा गया था। इस मामले में हाई कोर्ट के साथ इंटरसेप्टेड कॉल्स के ट्रांसक्रिप्ट भी साझा किए।
ईडी ने बताया कॉल में अभिषेक प्रसाद उक्त आरोपी पंकज मिश्रा के लिए एक सरकारी वकील की व्यवस्था करने का प्रयास कर रहे थे।
मिश्रा को 28 जुलाई को अभिषेक प्रसाद की सलाह पर स्वास्थ्य आधार पर न्यायिक हिरासत में रिम्स, रांची में भर्ती कराया गया था।
ईडी ने अपने हलफनामे में आगे उल्लेख किया है कि मिश्रा लगातार सबूतों को प्रभावित कर रहे थे और मामले में गवाहों को प्रभावित कर रहे थे। यहाँ तक कि न्यायिक हिरासत में होने के बावजूद मिश्रा के पास मोबाइल फोन भी था।
हलफनामे में उल्लेख किया गया है कि “मोबाइल फोन की जाँच से पता चला है कि पंकज मिश्रा ने न्यायिक हिरासत में रहते हुए अपने सहयोगियों और रिश्तेदारों को लगभग 300 फोन कॉल किए थे। ऐसे व्यक्तियों में पुलिस विभाग, झारखंड के अधिकारियों सहित कई सरकारी अधिकारी शामिल हैं।”
ईडी ने 19 जुलाई को मिश्रा को लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।
शुरुआत में एजेंसी को टोल प्लाजा के प्रबंधन में धमकी और हमले से संबंधित शिकायत मिली थी, इसके बाद यह मामला मूल रूप से साहेबगंज जिले के बरहरवा थाने में दर्ज किया गया था।
ईडी के मुताबिक मिश्रा स्टोन चिप्स के अवैध परिवहन के लिए उक्त टोल प्लाजा को अपने नियंत्रण में लेना चाहता था।
समन और गिरफ्तारी से पहले मिश्रा ने अपने एक साथी को भी बुलाया था, जिसे मिश्रा ने निर्देश दिए थे कि गिरफ्तारी के विरोध में बरहेट और आसपास के क्षेत्रों में सड़क को अवरुद्ध किया जाए, बाजारों को बंद ही रखा जाए और हड़ताल शुरू करने के भी निर्देश दिए थे।
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